तैयारियां तो शुरू हो चुकी होंगी। सफाई, नया सामान, नए कपड़े, पूजा की तैयारी और भी न जाने क्या-क्या। लिस्ट लंबी है न! यह सब कुछ उस खास दिन के लिए किया जाता है, जब मां लक्ष्मी का आगमन होता है। कोशिश रहती है। कि मां प्रसन्न हो जाएं और अपनी कृपा हम पर बरसाएं। मां लक्ष्मी का हम सभी के जीवन में विशेष महत्व है क्योंकि एक सामान्य जीवन जीने और बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए भी लक्ष्मी जी की सबसे ज्यादा जरूरत पड़ती है। ऐसे में मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए हम कोई कमी नहीं छोड़ना चाहते। लोगों से सुनी बातें, रील्स, वीडियो जहां से जो भी सुन लेते हैं, उसे करना शुरू कर देते हैं। सही बात तो यह है कि मां लक्ष्मी को प्रसन्न करना इतना भी कठिन नहीं है।
मां लक्ष्मी का विशेष महत्व क्यों?
ऐसा क्यों है कि दीपावली की रात ही मां लक्ष्मी की विशेष पूजा होती है? दरअसल दीपावली का त्योहार धनतेरस से ही शुरू हो जाता है। माना जाता है कि इसी दिन सागर मंथन से मां लक्ष्मी प्रकट हुईं थीं। वे कमल के आसन पर विराजमान थीं और हाथों में कमल पकड़े हुए थीं। उनके साथ और भी कई चीजें थीं जैसे शंख, गोमती चक्र आदि। मां लक्ष्मी के साथ इसी दिन कुबेर भी प्रकट हुए थे। मां लक्ष्मी को दैत्य और देवताओं में चुनाव करना था, इसलिए उन्होंने देवताओं को चुना और भगवान विष्णु को पति माना। धनतेरस से तीसरे दिन अमावस्या की रात को मां लक्ष्मी की पूजा का महत्व है। ज्योतिषाचार्य राहुल द्विवेदी कहते हैं कि इस दिन चंद्रमा वृष लग्न में होता है और उसी समय घर पर मां लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। अगर अपने कामकाज की जगह में पूजा करनी है तो चंद्रमा सिंह लग्न में होना चाहिए। मां लक्ष्मी के साथ गणपति की पूजा की जाती है ताकि जीवन की बाधाएं दूर हो सकें और लक्ष्मी मंगल कामों में लगें। साथ ही मां सरस्वती की पूजा भी की जाती है क्योंकि पूजन, स्तुति बिना मां सरस्वती के संभव नहीं है। इसके साथ ही लक्ष्मी वहीं टिकती हैं, जहां सद्बुद्धि होती है।
नारायण का करें ध्यान
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