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संसद की भूमिका पर उठते सवाल
लोकसभा के नियमों के अनुसार सदन के नेता' से आशय प्रधानमंत्री से है, यदि वह लोकसभा का सदस्य हो। इसी प्रकार राज्यसभा में सदन का नेता प्रधानमंत्री द्वारा नामित कोई ऐसा मंत्री होता है जो राज्यसभा का सदस्य हो। संसद के किसी सदन में उसकी कुल संख्या से कम से कम 10 प्रतिशत सीटें हासिल करने वाली सबसे बडी विपक्षी पार्टी का नेता, सदन में विपक्ष का नेता कहा जाता है। इसका मुख्य कार्य सरकार की नीतियों की रचनात्मक आलोचना करना तथा वैकल्पिक सरकार का गठन करता है। लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के नेता को वर्ष 1977 में वैधनिक दर्जा प्रदान किया गया। विपक्ष के नेता को कैबिनेट मंत्री के समकक्ष वेतन, भत्ते तथा सुविधाएं उपलब्ध हैं।
यूपी में राहुल की नाकामयाबी के दाग धोती प्रियंका
पिछले 30-32 वर्षों से कांग्रेसी सड़क पर संघर्ष करते दिखते ही कहां थे। चाटुकारिता के बल पर लोग पार्टी में बड़े-बड़े पदों पर आसानी हो जाया करते थे, जिन्होंने पार्टी का बेड़ा गर्क करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। उत्तर प्रदेश से राहुल गांधी की 'विदाई' और प्रियंका की 'इंट्री' कांग्रेस के लिए शुभ मानी जा रही है। पार्टी का बदला मिजाज देखकर कांग्रेसी विचारधारा के वह लोग काफी खुश नजर आ रहे हैं, जो वर्षों से यह उम्मीद लगाए बैठे थे कि एक न एक दिन प्रदेश में कांग्रेस पुरानी पहचान हासिल कर लेगी। प्रियंका जिस तरह से मिशन उत्तर प्रदेश को पूरा करने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रही है, उसको देखते हुए इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।
भारतीय पुलिस, लोकतंत्र और सिविल सोसाइटी
भारतीय सिविल सोसाइटी ने अपना कर्तव्य इस मामले में बखूबी पूरा किया। दूसरी घटना याद कीजिए केरल में एक हथिनी को विस्फोटक खिला देने से मौत वाली। हमने देखा इसका भी बहुत विरोध हुआ। बल्कि काफी कलात्मक तरीके के मीम वगैरह बनाकर सोशल मीडिया में चलाए गए। हालांकि इस बारे में कुछ लोगों का कहना था कि इस घटना को तूल देने के पीछे केरल सरकार को कोरोना से निपटने में मिल रही प्रशंसा को धूमिल करने की मंशा थी लेकिन सच में यह घटना भी बेहद अमानवीय थी जिसका विरोध बेहद जरूरी था। तीसरी घटना याद कीजिए सुशांत सिंह राजपूत की कथित आत्महत्या की, हमने देखा कि सिविल सोसाइटी को इस घटना ने भी काफी उद्वेलित किया।
राज्यसभाः बहुमत से 22 कदम दूर भाजपा
आठ राज्यों में हुए राज्यसभा चुनाव में भाजपा को आठ कांग्रेस तथा वाईएसआर कांग्रेस को चार-चार सीटों पर जीत हासिल हुई। जबकि एक सीट कांग्रेस के सहयोगी झामुमो के खाते में गयी। राज्यसभा चुनाव खत्म होने के बाद अब पार्टियों के नफे-नुकसान का आकलन किया जा रहा है। यदि कुल 24 सीटों की बात की जाये तो राज्यसभा में एनडीए 90 से बढ़कर 101 तथा कांग्रेस और यूपीए घटकर 65 हो गयी है। वहीं यदि 19 सीटों का परिणाम देखें तो यूपीए फायदे में दिख रही है।
कोरोना के बारे में कुछ चिंतनीय पहलू
आजकल कोरोना के जन्मस्थान को लेकर भारी विवाद है। रूस, चीन, अमेरिका के ऊपर उंगलियां उठ रही है। कोई प्रकृतिजन्य मान रहा है तो कोई मानव का कारस्तानी मान रहा है। इस विवाद के विस्फोट ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को भी हिलाकर रख दिया है।
उत्तर पूर्वी भारत में नृजातीय पहचान बचाने की कवायद
केंद्र सरकार और त्रिपुरा सरकार का आपसी ताल मेल वर्तमान समय में अच्छा है, इसलिए मिजो नेतृत्व इस मुद्दे को लेकर थोड़ा सशंकित है। अभी एक हफ्ते पूर्व ही उत्तरी त्रिपुरा स्थित गैर सरकारी संगठन मिजो कन्वेंशन ने जैपुई पहाड़ियों और उसके आस पास के क्षेत्रों में ब्र परिवारों को न बसने देने के लिए विरोध प्रदर्शन किया था। ऐसे में मिजोरम और त्रिपुरा सरकारें क्या करती हैं इसे देखना बाकी है लेकिन इस बीच 37 हजार ब्रू जनजाति परिवारों का कुशल विस्थापन एक मानवीय मांग हैं जिसे दोनों राज्य सरकारों को सही दिशा देना है। दरअसल मिजोरम की हाल की इस मांग के पीछे उत्तर पूर्वी भारत में ऐतिहासिक ब्रू- -रियांग समझौते की बातों का प्रभाव है।
इक्कीसवीं सदी की भारत की यात्रा-एक पृष्ठभूमि
60 के दशक के शीतयुद्ध के पर्व में अफ्रीका के देशों के प्रति उपनिवेशवादियों या पूर्व उपनिवेशवादियों का रहा। उससे उपरोक्त स्थापना की पुष्टि होती है। वह स्थितिगति मध्य और दक्षिणी अमेरिकी देशों की हुई। 70 के दशक में जो अराजकता पूर्वी और दक्षिण एशिया में फैली उसके पीछे भी देसी-विदेशी न्यस्त स्वार्थी तत्वों का हाथ है। कई कठपुतली शासकों को इन साम्राज्यवादियों के द्वारा बैठाया गया, जैसे ईरान। उनके खिलाफ हुए विद्रोहों में उनकों बेरहमी से कुचला गया। अब ये अमीर देश परोक्ष साम्राज्यवादी शोषण के रास्ते पर चल पड़े। सैनिक शक्ति की बजाय धनशक्ति का एवं छलशक्ति का सहारा लिया जाने लगा।
कोविड-9 के खिलाफ सतर्क रहने की जरूरत
संयुक्त राष्ट्र अनुसार कोविड-19 महामारी से पहले भी मानसिक विषाद या अवसाद और चिन्ता या बेचैनी जैसी समस्याएं विश्व अर्थव्यवस्था को लगभग एक ट्रिलियन डॉलर के नुकसान के लिए जिम्मेदार थीं। दुनिया भर में 26 करोड़ से ज्यादा लोग डिप्रेशन यानि अवसाद से पीड़ित हैं। मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियों के आधे से ज्यादा मामले 14 वर्ष की आयु से शुरू होते हैं। 15 से 29 आयु वर्ग में युवाओं की मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण आत्महत्या है। संयुत्त राष्ट्र की रिपोर्ट में वैश्विक मानसिक स्वास्थ्य और टिकाऊ विकास पर लान्सेट कमीशन' की उस चेतावनी का भी उल्लेख है।
वहीं बनने लगा मंदिर
पूर्व में श्रीराम जन्मभूमि न्यास ने जिस मंदिर मॉडल को तैयार कराया और जिसे देश के संतों ने वेद मंत्रोंचारण कर अनुमोदित किया तथा जिसका चित्र करोड़ों घरों मे पूजित हो रहा हो, अब वह ही दो-तीन वर्षों में साक्षात स्वरूप ग्रहण करने जा रहा है। अभी शुरुआती छह माह परिसर को मंदिर निर्माण के अनुकूल बनाने में लगेंगे। शेष बचे पत्थरों की नक्काशी भी शीघ्र प्रारंभ होगी। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की अगली बैठक तक इस पर निर्णय होगा। मंदिर निर्माण का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया होता, परंतु देश में कोरोना महामारी के कारण यह संभव नहीं हो पा रहा। इसलिए स्थानीय स्तर पर मंदिर निर्माण की कड़ी में समतलीकरण का काम किया जा रहा है।
यूपी देगा हर हाथ को काम
लोबल महामारी कोरोना के दौर में
लोचशील अर्थव्यवस्था:वर्तमान समय की मांग
कोविड-19 महामारी ने लगभग सभी क्षेत्रों को गंभीर रूप से प्रभावित किया है, लेकिन इसका सबसे ज्यादा असर अर्थव्यवस्था पर पड़ा है। इस महामारी ने अर्थशास्त्र के कई स्थापित सिद्धांतों को चुनौती दी है। ये सिद्धांत पिछले कई वर्षों से सार्वजनिक नीति में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे। वर्तमान की घटित कई घटनाओं ने यह जता दिया है कि अर्थशास्त्र के अब परम्परागत सिद्धांत अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए उतने उपयुक्त नहीं हैं, कोविड-19 महामारी ने तो इस बात की पुष्टि ही कर दी है। कोविड-19 महामारी से उत्पन्न चुनौतियों से सामना करने के लिए अर्थव्यवस्था को अधिक लोचशील होना चाहिए लेकिन इसकी अभी नितांत कमी देखी जा रही है। लोचशील अर्थव्यवस्था का तात्पर्य उस अर्थव्यवस्था से है।
'इंटरनेट आफ थिंग्स
केरल सरकार द्वारा कोरोना से संक्रमित व्यक्तियों की देखभाल हेतु
योगी सरकार ने हर क्षेत्र में सफलता के पूरे किये तीन वर्ष
सांप्रदायिक सौहार्द कायम करते हुए सभी जगह रंगों का त्योहार मनाया गया और पिछली तीन होली के त्योहार सकुशल मनाए जा चुके हैं। सीएए विरोध को लेकर दिल्ली में दंगा हुआ लेकिन उत्तर प्रदेश में उपद्रवी घरों में दुबके रहे। वजह थी, योगी का वह सुपरहिट फॉर्मूला, जिसमें न लाठी चली, न गोली, पर दंगाइयों को जख्म बहुत गहरे मिले। दरअसल दिल्ली से पहले लखनऊमें भी एक दिन जमकर उपद्रव हुआ था। दंगाइयों ने दिन भर खूब हिंसा, लूटपाट और आगजनी की थी। महिलाओं-बच्चों की ढाल के चलते पुलिस कुछ कर नहीं पाई। खैर, योगी जी ने नया रास्ता निकाला। वीडियो और फोटो से दंगाइयों की पहचान करवाई और शहर भर में इनकी तस्वीरों के होर्डिंग लगवा दिए। उपद्रवी की तस्वीरों के होर्डिंग लगे हुए सरकारी अमले ने नुकसान का आकलन किया और वसूली के नोटिस इनके घरों पर चस्पा करवा दिए।
जीना यहाँ मरना यहाँ इसके सिवा जाना कहाँ?
फिल्म बॉबी से एज ए हीरो फिल्मी सफर की शुरुआत करने वाला यह अभिनेता कोई और नहीं सुपरस्टार ऋषि कपूर थे। ऋषि जी ने असल मायने में फिल्मी नायक नायिकाओं को मर्द-औरत से बदलकर लड़के-लड़की का रुतबा दिलाया था। दरअसल बॉबी बनने से पहले हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री में जो हीरो हेरोइंस थे वे उम्रदराज ही हुआ करते थे। लेकिन राजकपूर ने ऋषि कपूर को लांच कर इस पैटर्न को तोड़ दिया था और अब फिल्मों में असल टीन जोड़ी बनने लगी थी। शरीर से गोल मटोल, बदन दूधिया, स्वेत रंग हाथों में गिटार लेकर जब ऋषि कपूर ने स्क्रीन पर गाना गया तो, दर्शकों को एक नया अनुभव मिला।
योगी सरकार ने अयोध्या के लिए खोला खजाना
पद संभालने के बाद से ही योगी ने अयोध्या का खास ख्याल रखा है। सुप्रीम कोर्ट से फैसला पक्ष में आने के बाद तो जैसे यूपी सरकार ने अयोध्या के लिए खजाना ही खोल दिया। देव दीपावली का पर्व तो अपनी छाप विदेश तक छोड़ रहा है।
प्रवासी मजदूरः देश की कमजोरी या देश की ताकत?
पढ़े लिखे जानकार लोगों के बुद्धिविलास की विषयवस्तु बन जाती है। इस कमजोर कड़ी की स्थितियों को जानना, समझना जरूरी है। तभी जमीनी जरूरते समझ में आयेंगी।
चारों दिशाओं में मौत का तांडव
वायरस का स्पाइक प्रोटीन रिसेप्टर से सहबद्ध होकर मानव कोशिका के सतह से अपने को जोड़ता है और अपने आनुवंशिक पदार्थ (नोबल कोरोना वायरस के संदर्भ में आरएनए) को मानव कोशिकाओं में छोड़ने लगता है। कोरोना वायरस जो सार्स (एसएआरएस-कोव) का भी कारण होता है, भी इसी एसीई2 रिसेप्टर का इस्तेमाल कोशिकाओं पर आक्रमण करने के लिए करता है। कोरोना वायरस इंसानों के फेफड़ों को संक्रमित करता है। इसक दो मूल लक्षण होते हैं- बुखार और सूखी खांसी। कई बार इसके कारण व्यक्ति को सांस लेने में भी तकलीफ होती है। इस वायरस के कारण शरीर का तापमान 37.8 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है।
लोन राइट ऑफ का मिथक
वर्ष-2005 में आरबीआई द्वारा जारी मास्टर सर्कुलर के अनुसार बैंकों द्वारा अपने एनपीए को तीन वर्गों पहला, सब स्टैण्डर्ड असेट्स (ऐसे एनपीए जिनको एनपीए घोषित हुए 12 माह से अधिक ना हुआ हो), दूसरा, डाउटफुल असेट्स (जिसे एनपीए घोषित हुए 12 माह से अधिक कासमय हो गया हो) और तीसरा लॉस असेट्स ( वह एनपीए जिसे बैंकों द्वारा आन्तरिक व बाह्य लेखा परीक्षण में 'लौस ऐसेस्ट मान लिया गया है, किन्तु अभी उसे बैंक के बॉलेन्स सीट से हटाया नहीं गया है।) के रूप में वर्गीकृत किया जाता है
विश्व बैंक ने जताई चिंता
कोरोना आपदा के कारण 40 मिलियन भारतीय मजदूर प्रभावित
साकार और व्यावहारिक अभिव्यक्ति है स्वदेशी
आप इन्हें अच्छी तरह पहचान लीजिये, ये कौन लोग हैं जो भारत में बनी वस्तुओं और उनके उपयोग को हतोत्साहित कर रहे हैं। जबकि स्वदेशी भारत की अनेक समस्याओं का समाधान है। स्वदेशी का विचार लोगों के मन में बैठ गया तो लाखों लोगों को स्थानीय स्तर पर रोजगार मिलेगा। स्थानीय प्रतिभा को आगे बढ़ने का अवसर मिलगा। हमारे कुशल कारीगरों के हाथ मजबूत होंगे। उनके उत्पाद की मांग बढ़ेगी तो किसे लाभ होगा? भारत को, भारत के लोगों को ही उसका लाभ मिलेगा। इसलिए जो लोग स्वदेशी का विरोध कर रहे हैं, असल में वे भारत का विरोध कर रहे हैं।
सैम अंकल की ढलान और ड्रैगन की उड़ान?
अमेरिकी सर्वोच्चता का सबसे खास पहलू बना उसका सॉफ्ट पॉवर होना। जो विश्व मे उसकी सांस्कृतिक और वैचारिक वर्चस्वता को स्थापित कर गया। इसके लिए अमेरिकी कंपनियों ने विश्व में उपभोक्तावादी संस्कृति पर आधारित अमेरिकन जीवन शैली को लोकप्रिय बनाया। विश्व की श्रेष्ठतम प्रतिभावों का अमेरिका में ही जमावड़ा हुआ। हॉलीवुड ने अमेरिका की फैंटेसी को पूरी दुनिया के आंखों में भर दिया। इस तरह सैम अंकल यानी अमेरिका पूरी दुनिया का सबसे ताकतवर देश बन पाया। किंतु
राष्ट्रीयकरण बनाम ध्रुवीकरण
मुस्लिम तुष्टिकरण को अगर हम समझने का प्रयास करें तो यह एक खास किस्म की राजनीति है जहां राजनीतिक पार्टियां मुसलमानों को शिक्षा, आर्थिक सशक्तीकरण, चुनावों में मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट एवं मुस्लिम त्योहारों पर छुट्टी देने आदि का आश्वासन देकर वोट बैंक की राजनीति करती आई है। भारतीय राजनीति में इसके कई उदाहरण मिलेंगे जिसमें शाहबानो प्रकरण में मुस्लिम वोटों को गंवाने के डर से कांग्रेस सरकार द्वारा उच्चतम न्यायालय के निर्णय को बदले जाने से लेकर राजीव गांधी द्वारा सलमान रुश्दी की 'सेटेनिक वर्सेस' पर प्रतिबंध लगाये जाना एवं वीपी सिंह द्वारा पैगम्बर मोहम्मद के जन्मदिन पर राष्ट्रीय छुट्टी घोषित कर देना और समान नागरिक संहिता कानून को अमली जामा पहनाने से परहेज करके तुष्ट किया गया था।
मोदी के सपनों को पंख लगायेंगे योगी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने चौथे बजट में मूलभूत ढांचे पर निवेश को बढ़ावा देने की मंशा से उ.प्र. को आर्थिक समृद्धि और विकास के रास्ते पर ले जाने का संकल्प दोहराया। युवाओं, महिलाओं और किसानों के हितों को सर्वोपरि रखते हुए इस बजट को लोकलुभावन बनाने का प्रयास किया। पांच लाख 12 हजार 860 करोड़ रुपये के बजट को अब तक का सबसे बड़ा बजट माना जा रहा है। जो कि पिछले बजट की तुलना में 33 हजार 159 करोड़ अधिक है। इसमें नयी योजनाओं के लिए दस हजार 967 करोड़ रुपये शामिल हैं। वित्तीय वर्ष 2020-2021 में पांच लाख 558.53 आमदनी की तुलना में अनुमानित खर्च पांच लाख 12 हजार 860.72 करोड़ है। जो कि 12 हजार 302 करोड़ रुपये के घाटे का बजट है। अनुमानित वित्तीय घाटा 53 हजार 195.46 करोड़ आंका गया है। जो कि जीडीपी का 2.97 फीसदी होने के कारण बहुत अधिक नहीं है। अनुमानित ऋण को भी बहुत अधिक नहीं कहा जा सकता, जिसे जीडीपी का 28.8 फीसदी कहा जा रहा है। मूलभूत ढांचे पर अधिक जोर दिये जाने के कारण यह बजट और अधिक लोकलुभावन हो गया है।
संसार आनंद का क्षेत्र है
राष्ट्र की रक्षा राजा या शासक का कर्तव्य है। अरस्तू प्लेटो ने दार्शनिक और ज्ञानवान राजा को श्रेष्ठ बताया है। अथर्ववेद में यह धारणा प्राचीन यूनानी दर्शन के पहले से ही है।अथर्ववेद में ब्रह्मचर्य के साथ तपशक्ति को भी राष्ट्र रक्षा का तत्व बताया गया है। कहते हैं, ऐसा ही शासक विराट को वश में करने वाला नियंता इन्द्र बनता है। (वही 16) इन्द्र वैदिक काल के निराले देवता हैं। वे राजा भी हैं। इन्द्र जैसा राजा होने के लिए भी ब्रह्मचर्या की अनिवार्यता है। इन्द्र को ही क्यों आधुनिक काल के शासकों के लिए भी अथर्ववेद की ब्रह्मचर्य धारणा बहुत उपयोगी है। ब्रह्मचर्य अस्तित्व की ही उपासना है।
योगी का राजधर्म
मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति का परिचय देते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के राजनीति के कई मिथ तोड़े हैं। चाहे वह नोएडा की धरती पर किसी भी मुख्यमंत्री के जाने का भय हो या प्रशासनिक प्रणाली में फेरबदल। या फिर कानून व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त करने की दृष्टि से लखनऊ और नोएडा को पुलिस कमिश्नर प्रणाली देने की बात हो। बात किसान की हो या भ्रष्टाचार निवारण व शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार जैसे मुद्दों पर तमाम आलोचनाओं की परवाह किये बगैर योगी ने अपने राजधर्म का ईमानदारी से पालन किया है और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में अपनी स्पष्ट और ईमानदार शैली को दर्ज कराया है।
यूपी के हथियार करेंगे देश की सुरक्षा
उत्तर प्रदेश की राजधानी एवं नवाबों की नगरी लखनऊ की सरजमीं पर पहली बार आयोजित हुआ अब तक का सबसे बड़ा एवं डिफेंस एक्सपो का 11वां संस्करण कई मायनों में ऐतिहासिक रहा। इस दौरान रक्षा क्षेत्र की विभिन्न कम्पनियों तथा सार्वजनिक संस्थाओं के बीच हुए समझौतों और आयोजन स्थल के दायरे के मामले में अब तक का सबसे बड़ा एक्सपो साबित हुआ है। इस दौरान देश में पहली बार किसी एक्सपो में 200 से ज्यादा एमओयू और अन्य समझौते हुए। इस बीच यह गौरतलब है कि भविष्य में डिफेन्स एक्सपो के अन्य आयोजकों के लिए इस आंकड़े को छूना बहुत बड़ी चुनौती होगी।
भारतीय अर्थव्यवस्था की तस्वीर
बजट 2020-21 में कृषि, ग्रामीण विकास, सिंचाई और सम्बद्ध कार्यों पर 2.83 लाख करोड़ रुपये खर्च किए जाने का निर्णय लिया गया है क्योंकि किसान और ग्रामीण गरीबों पर सरकार मुख्य रूप से ध्यान देना जारी रखेगी। वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुना करने की प्रतिबद्धता दोहराते हुए, वित्त मंत्री ने लोकसभा में कहा कि सरकार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत 6.11 करोड़ किसानों का बीमा करके उनके जीवन में उजाला कर चुकी है। प्रधानमंत्री- किसान योजना के सभी पात्र लाभार्थियों को केसीसी योजना के अंतर्गत शामिल किया जाएगा।
बढ़ेगी परमाणु हथियारों की होड़
परमाणु हथियारों और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा पर लम्बे समय से गम्भीर मतभेद बने हुए हैं। पिछले एक दशक में हथियार नियंत्रण को लेकर स्थिति काफी भयावह हुई है, जिससे वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरा बढ़ा है। कई देशों ने इस बीच हथियारों का जखीरा बना लिया है। इसके साथ यह भी सच है कि परमाणु हथियारों की संख्या में गिरावट आ रही है, लेकिन अमेरिका के आईएनएफ संधि से पीछे हटने और नई मिसाइलें तैनात करने से दो चीजें हो सकती हैं- पहला, हिंद- प्रशांत क्षेत्र को परमाणु हथियारों का निशाना बनता देख उसे रणक्षेत्र में बदलने से रोकने के लिए रूस और चीन नए परमाणु निःशस्त्रीकरण के लिए तैयार हो जाएं, ठीक वैसे ही। जैसे 1980 के दशक की शुरुआत में यूरोप में परमाणु मिसाइलों की तैनाती के कारण मॉस्को । आईएनएफ संधि के लिए राजी हो गया था।
केजरीवाल की हैट्रिक
दिल्ली चुनाव नजदीक आते-आते नागरिकता संशोधन कानून यानि सीएए का मुददा जोर पकड चुका था हालांकि केन्द्र में सत्तारूढ भाजपा ने इस मुद्दे को दिल्ली से पहले झारखण्ड में भी कैश कराने का प्रयास किया था लेकिन वहां भी स्थानीय मुद्दे भाजपा के राष्ट्रवाद पर भारी पड़ गए। बात यदि दिल्ली कि हो तो यहां भी सीएए पर जामियां और शाहीनबाग में रोज नया बखेड़ा हुआ। शाहीनबाग में तो लगातार धरना प्रदर्शन महीनों से जारी है। ऐसे में भाजपा के रणनीतिकारों ने शाहीनबाग बनाम राष्ट्रवाद का दांव खेला और पूरे चुनाव को सीधे-सीधे दो हिस्सों में बांटने का प्रयास किया। दिल्ली के चुनाव परिणामों से एक बात तो साफ हो गई कि भारतीय जनता पार्टी के रणनीतिकारों से चूक हुई। बीजेपी ने चुनाव में पूरी ताकत लगाई। लेकिन दिल्ली की जनता ने बीजपी को सत्ता देने के बजाय केजरीवाल को ही अपना नेता चुना।
उत्तर पूर्व को दिल्ली के नजदीक लाएगा बू-रियांग और बोडो समझौता
पीएम मोदी के अनुसार जिस नॉर्थ ईस्ट में लगभग हर क्षेत्र में सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (अफस्पा) लगा हुआ था, अब यहां त्रिपुरा, मिजोरम, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश का ज्यादातर हिस्सा अफस्पा से मुक्त हो चुका है। नॉर्थ ईस्ट के अलग-अलग क्षेत्रों के भावनात्मक पहलू और उनकी उम्मीदों को समझा गया है। पीएम मोदी ने कहा कि पहले नॉर्थ ईस्ट के राज्यों को अनुदान प्राप्तकर्ता राज्य के तौर पर ही देखा जाता था। आज उनको विकास के ग्रोथ इंजन के रूप में देखा जा रहा है। पहले नॉर्थ ईस्ट के राज्यों को दिल्ली से बहुत दूर समझा जाता था, आज दिल्ली से उत्तर पूर्व को रेलवे और वायुमार्ग से तेज गति से जोड़ा गया है। जिस नॉर्थ ईस्ट में हिंसा की वजह से हजारों लोग अपने ही देश में शरणार्थी बने हुए थे, अब यहां उन लोगों को पूरे सम्मान और मर्यादा के साथ बसने की नई सुविधाएं दी जा रही हैं।