सब कुछ योजना के मुताबिक चला तो गुजरात में अगले दशक तक अपने सात औद्योगिक शहरों - अहमदाबाद, वडोदरा, अंकलेश्वर, सूरत, वापी, सरिगाम और जेतपुर-से औद्योगिक जल-मल को गहरे अरब सागर में छोड़ने के लिए पाइपलाइनों का व्यापक नेटवर्क होगा. साबरमती और राज्य की दूसरी भारी प्रदूषित नदियों को बचाने के लिए गुजरात सरकार ने सितंबर में विधानसभा को बताया कि ऐसी सात पाइपलाइनें योजना और अमल के विभिन्न चरणों में हैं, जिन्हें समुद्री आउटफॉल भी कहा जाता है. राज्य की पहली ऐसी बड़ी पाइपलाइन 2016 में भड़च जिले में चालू की गई थी, जो झगडिया औद्योगिक एस्टेट से लगभग 60 किमी दूर तटीय गांव कांटियाजल तक है. इससे ट्रीट किए हुए औद्योगिक कचरे को खंभात की खाड़ी में 11 मीटर की गहराई में डाला जाता है.
इस परियोजना से राज्य में बहने वाली नदियों को नया जीवन मिल सकता है, लेकिन पर्यावरणविदों ने समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र और तटीय बस्तियों पर इसके दुष्प्रभाव की चिंता जताई है. गुजरात में उद्योगों से हर रोज 57.5 करोड़ लीटर प्रदूषित जल निकलता है. इसमें 6 करोड़ लीटर, या 11 फीसद सीधे समुद्र में बहा दिया जाता है, और शेष 51.5 करोड़ लीटर या 89 फीसद विभिन्न नदियों और खाड़ियों में बहा दिया जाता है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने 2018 में गुजरात में 20 प्रदूषित नदी क्षेत्रों की पहचान की, जिनमें पांच-साबरमती, भादर, भोगावो, अमलखड़ी और विश्वामित्री - को 'अत्यधिक प्रदूषित' बताया गया. अहमदाबाद में साबरमती और वडोदरा के पास माही में प्रदूषण और बदबू हानिकारक स्तर पर हैं.
आउटफॉल की जरूरत
Denne historien er fra December 27, 2023-utgaven av India Today Hindi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent ? Logg på
Denne historien er fra December 27, 2023-utgaven av India Today Hindi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent? Logg på
मिले सुर मेरा तुम्हारा
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता संगीतकार अमित त्रिवेदी अपने ताजा गैर फिल्मी और विधा विशेष से मुक्त एल्बम आजाद कोलैब के बारे में, जिसमें 22 कलाकार शामिल
इंसानों की सोहबत में आलसी और बीमार
पालतू जानवर अपने इंसानी मालिकों की तरह ही लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों का शिकार हो रहे हैं और उन्हें वही मेडिकल केयर मिल रही है. इसने पालतू जानवरों के लिए सुपर स्पेशलाइज्ड सर्जरी और इलाज के इर्द-गिर्द एक पूरी इंडस्ट्री को जन्म दिया
शहरी छाप स लौटी रंगत
गुजराती सिनेमा दर्शक और प्रशंसा बटोर रहा है क्योंकि इसके कथानक और दृश्य ग्रामीण परिवेश के बजाए अब शहरी जीवन के इर्द-गिर्द गूंथे जा रहे हैं. हालांकि सीमित संसाधन और बंटे हुए दर्शक अब भी चुनौती बने हुए हैं
चट ऑर्डर, पट डिलिवरी का दौर
भारत का खुदरा बाजार तेजी से बदल रहा है क्योंकि क्विक कॉमर्स ने तुरंत डिलिवरी के साथ पारंपरिक खरीदारी में उथल-पुथल मचा दी है. रिलायंस जियो, फ्लिपकार्ट और अमेजन जैसे कॉर्पोरेट दिग्गजों के इस क्षेत्र में उतरने से स्पर्धा तेज हो गई है जिससे अंत में ताकत ग्राहक के हाथ में ही दिख रही
'एटम बम खुद फैसले नहीं ले सकता था, एआइ ले सकता है”
इतिहास के प्रोफेसर और मशहूर पब्लिक इंटेलेक्चुअल युवाल नोआ हरारी एक बार फिर चर्चा में हैं. एआइ के रूप में मानव जाति के सामने आ खड़े हुए भीषण खतरे के प्रति आगाह करती उनकी ताजा किताब नेक्सस ने दुनिया भर के बुद्धिजीवियों का ध्यान खींचा है.
सरकार ने रफ्ता-रफ्ता पकड़ी रफ्तार
मुख्यमंत्री सिद्धरामैया उपचुनाव में कांग्रेस के शानदार प्रदर्शन की बदौलत राजनैतिक चुनौतियों से निबटने लोगों का विश्वास बहाल करने और विकास तथा कल्याण की महत्वाकांक्षी योजनाओं पर दे रहे जोर
हम दो हमारे तीन!
जनसंख्या में गिरावट की आशंकाओं ने परिवार नियोजन पर बहस को सिर के बल खड़ा कर दिया है, क्या परिवार बड़ा बनाने के पैरोकारों के पास इसकी वाजिब वजहें और दलीलें हैं ?
उमरता कट्टरपंथ
बांग्लादेश में हिंदुओं का उत्पीड़न जारी है, दूसरी ओर इस्लामी कट्टरपंथ तेजी से उभार पर है. परा घटनाक्रम भारत के लिए चिंता का सबब
'इससे अच्छा तो झाइदारिन ही थे हम'
गया शहर के माड़रपुर में गांधी चौक के पास एक बैटरी रिक्शे पर बैठी चिंता देवी मिलती हैं. वे बताती हैं कि वे कचहरी जा रही हैं. उनके पास अपनी कोई सवारी नहीं है, सरकार की तरफ से भी कोई वाहन नहीं मिला है.
डीएपी की किल्लत का जिम्मेदार कौन?
3त्तर प्रदेश में आजमगढ़ के किसान वैसे तो कई दिनों से परेशान थे लेकिन 11 दिसंबर को उन्होंने डीएपी यानी डाइअमोनियम फॉस्फेट खाद उपलब्ध कराने की गुहार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंचा दी.