नई वैज्ञानिक, सामाजिक और आर्थिक शक्तियां स्वास्थ्य और स्वास्थ्य प्रणालियों के भविष्य को आकार दे रही हैं. इसके साथ चिकित्सा शिक्षा और शोध में भी बदलाव आएंगे, जिससे कुछ क्षेत्रों का उभार, पतन और नए सिरे से रेखांकन होगा. मैं यहां पर चिकित्सा क्षेत्र को बदलकर रख देने की क्षमता वाले हालिया तकनीकी रुझानों पर ध्यान केंद्रित करते हुए यह अनुमान लगाने की कोशिश रहा हूं कि चिकित्सा शिक्षा और शोध के लिए इसका क्या मायने हो सकते हैं.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) और डिजिटल स्वास्थ्य का नया युगः चिकित्सा पद्धति आज भी तकरीबन वैसी ही है, जैसी बीसवीं सदी के अंत में थी. लेकिन अगले 25 साल में बड़ा बदलाव आने की उम्मीद है. यह बदलाव डिजिटल स्वास्थ्य के रूप में सामने होगा, जिसमें डिजिटल कनेक्टिविटी, पहनने वाली डिवाइस, डिजिटल ट्विन (किसी भौतिक वस्तु की हू-ब-हू वर्चुअल मौजूदगी) और एआइ साथ मिलकर काम करेंगे. पिछले दो साल
अभूतपूर्व प्रगति वाले रहे हैं, जिसमें जेनरेटिव एआइ क्षेत्र में खासी प्रगति हुई है. किसी भी प्रासंगिक सूचना से जुड़े मुश्किल से मुश्किल सवालों के जवाब देना हो या फिर मरीजों से बातचीत करके जानकारी हासिल करना हो, लार्ज लैंग्वेज मॉडल (एलएलएम) ने दिखा दिया है कि एआइ किस हद तक उपयोगी हो सकती है. इमेज क्लासिफिकेशन पहले ही एक ऐसा क्षेत्र बन चुका है, जिसमें एआइ मनुष्यों से बेहतर है और अब तो लार्ज मल्टीमॉडल मॉडल (एलएमएम) भी आ गए हैं जो कई तरह के डेटा को अच्छी तरह प्रबंधित कर सकते हैं. हालांकि, एआइ के गलत परिणामों से बचने और नैतिक कारणों से इंसानों को अभी एआइ प्रोसीजर में एक कड़ी के तौर पर शामिल रखना जरूरी है. लेकिन एआइ का प्रभाव आम धारणा के विपरीत सिर्फ रेडियोलॉजी जैसे इमेजिंग-आधारित क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं रहेगा.
Denne historien er fra August 07, 2024-utgaven av India Today Hindi.
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