चरम पर बुखार
India Today Hindi|August 21, 2024
बारिश आती है, तो वायरस भला कैसे पीछे रह सकते हैं? मई के आखिरी हफ्तों में देश में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की वजह से लोगों को भीषण गर्मी से बहुत जरूरी राहत मिली, मगर उसके साथ ही देशभर में कई तरह के वायरल संक्रमणों का प्रकोप भी फैल गया. नई दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स में संक्रामक रोग के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. जतिन आहूजा बताते हैं, "बारिश और उच्च आर्द्रता (उमस) मच्छरों के प्रजनन के लिए आदर्श परिस्थितियां हैं. और, ये मच्छर दरअसल कई वायरस के वाहक होते हैं. इसके अलावा, उच्च आर्द्रता की वजह से वायरस जानवरों और मवेशियों को आसानी से अपनी चपेट में लेते हैं. खासकर एक जगह जमा हुआ पानी वायरल प्रकोपों के लिए एकदम सही प्रजनन भूमि होता है."
सोनाली आचार्जी
चरम पर बुखार

लिहाजा, गुजरात में चांदीपुरा वायरस (ज्यादातर बच्चों को लगने वाला वायरल इंसेफेलाइटिस का अपेक्षाकृत नया प्रकार) का प्रकोप है, केरल निपाह वायरस से जूझ रहा है, तो स्वाइन फ्लू ने मुंबई और राजस्थान को अपनी चपेट में ले रखा है. वहीं, जून में पश्चिम बंगाल में हाइ अलर्ट जारी किया गया था, क्योंकि वहां इस साल देश का एवियन फ्लू का पहला मानवीय मामला सामने आया, जिसकी पुष्टि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने की थी, पश्चिम बंगाल में स्थिति नियंत्रण में नजर आती है, मगर महाराष्ट्र में जीका और डेंगू का प्रकोप नजर आ रहा है, जैसा कि कर्नाटक में भी हुआ. हालांकि इनमें कोई भी वायरस नया नहीं है और स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक, इनके अचानक प्रकोप की वजह मौसम में आ रहा बदलाव हो सकता है.

केरल के स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, जुलाई में राज्य में बुखार के 2,02,122 मामले, डेंगू के 2,250 मामले और मम्प्स या गलसुआ के 1,850 मामले दर्ज किए गए हैं. जनवरी से जुलाई के दौरान, राज्य में अन्य संक्रामक रोगों के 4,00,000 से अधिक मामले सामने आए हैं. वहीं, विशेषज्ञों का कहना है कि देश में सबसे अच्छी सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा, स्वास्थ्य डेटा रिकॉर्डिंग और रेफरल प्रणाली केरल में है, इसलिए राज्य में इतनी बड़ी संख्या में मामले सामने आ रहे हैं.

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