आंध्र प्रदेश में तिरुमला का श्री वेंकटेश्वर मंदिर हिंदुओं की एक विशाल बहुसंख्या के लिए सबसे पवित्र धर्मस्थल है. यहां भगवान बालाजी की महिमा के बराबर ही प्रसिद्धि मंदिर का प्रसाद 'तिरुपति लड्डू' की भी है. किंवदंती यह है कि इस प्रसाद का सबसे शुरुआती उल्लेख बहुत पहले साल 1715 में किया गया था. चढ़ावे की यह मिठाई इतनी सर्वप्रिय है कि मंदिर में रोज करीब 3,00,000 लड्डू बनते हैं, जिनकी वजह से दुनिया के इस सबसे समृद्ध हिंदू धर्मस्थल के कोष में हर साल 500 करोड़ रुपए का योगदान होता है.
इन लड्डुओं को बनाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली करीब 10 वस्तुओं में चावल, चने का आटा, काजू, इलायची, किशमिश, मिश्री और 'गाय का शुद्ध घी' वगैरह हैं. मगर आखिरी वस्तु 'घी' को लेकर अब जबरदस्त विवाद खड़ा हो गया है. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने 18 सितंबर को आरोप मढ़ दिया कि उनके पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी के समय तिरुपति के लड्डू प्रसादम बनाने के लिए इस्तेमाल किए गए घी में 'पशु चर्बी' के अंश थे.
बस फिर क्या था, मानो आसमान फट पड़ा. राज्य में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के सहयोगी दलों - जन सेना पार्टी (जेएसपी) और भाजपा - सहित दूसरी राजनैतिक पार्टियों ने एक दूसरे के सुर में सुर मिलाकर पिछली युवजन श्रमिक राय कांग्रेस पार्टी (वाइएसआरसीपी) की सरकार पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया. जगन ने पलटवार किया कि आरोप "दुर्भावनापूर्ण" हैं और नायडु की इशारों ही इशारों में यह कहने के लिए कड़ी आलोचना की कि उनका ईसाई धर्म किसी न किसी रूप में मंदिर में हुए कथित गलत काम से जुड़ा था.
सुप्रीम हस्तक्षेप
देखते ही देखते यह विवाद राष्ट्रीय सुर्खियों में छा गया. #तिरुपतिलड्डू सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगा और हिंदुत्व से जुड़े दक्षिणपंथी संगठन एक बार फिर आस्था पर हमले का हौवा खड़ा करने लगे. सबसे अहम यह कि देश भर के मंदिरों में प्रतिक्रियाओं का सिलसिला शुरू हो गया. अयोध्या में बने नए राम मंदिर से लेकर वृंदावन के बांकेबिहारी मंदिर तक, पुरी के जगन्नाथ मंदिर से लेकर नासिक के त्र्यंबकेश्वर मंदिर तक मंदिरों के चढ़ावों को शुद्धता की जांच के लिए प्रयोगशालाओं में भेजा जाने लगा.
Denne historien er fra 16th October, 2024-utgaven av India Today Hindi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent ? Logg på
Denne historien er fra 16th October, 2024-utgaven av India Today Hindi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent? Logg på
शादी का म्यूजिकल
फ़ाज़ा जलाली पृथ्वी थिएटर फेस्टिवल में इस बार भारतीय शादियों पर मजेदार म्यूजिकल कॉमेडी रनअवे ब्राइड्स लेकर हाजिर हुईं
शातिर शटल स्टार
हाल में एक नए फॉर्मेट में इंडोनेशिया में शुरू नई अंतरराष्ट्रीय लीग बैडमिंटन -एक्सएल के पहले संस्करण में शामिल अश्विनी पोनप्पा उसमें खेलने वाली इकलौती भारतीय थीं
पुराने नगीनों का नया नजराना
पुराने दिनों की गुदगुदाने वाली वे सिनेमाई यादें आज के परदे पर कैसी लगेंगी भला ! इसी जिज्ञासा का नतीजा है कि कई पुरानी फिल्में फिर से सिनेमाघरों में रिलीज हो रहीं और दर्शकों को खींचकर ला रहीं
जख्म, जज्बात और आजादी
निखिल आडवाणी के निर्देशन में बनी फ्रीडम ऐट मिडनाइट पर आधारित सीरीज में आजादी की उथल-पुथल से एक मुल्क बनने तक की कहानी
किस गफलत का शिकार हुए बाघ?
15 बाघों की गुमशुदगी के पीछे स्थानीय वन अधिकारियों की ढीली निगरानी व्यवस्था, राजनैतिक दबाव और आंकड़ों की अविश्वसनीयता है
कंप्यूटिंग में नई क्रांति की कवायद
आइआइएससी के शोधकर्ताओं ने मस्तिष्क प्रेरित कंप्यूटिंग की दिशा में लंबी छलांग लगाते हुए एक ऐसा उपकरण तैयार किया है जो न्यूरल सिनेप्सेज की तरह सूचनाओं को प्रोसेस करता है. इसमें रफ्तार, क्षमता और डेटा सुरक्षा की भरपूर संभावना
चीन की चुनौती
जैसे-जैसे भारत और चीन के बीच तनाव कम हो रहा और व्यापार बढ़ रहा है, भारत के सामने सस्ते चीनी आयात को किनारे लगाने तथा घरेलू उद्योग की जरूरतों को प्रोत्साहित करने की कठिन चुनौती
कौन सवारी करेगा मराठा लहर पर
मराठा समुदाय के लोगों में आक्रोश है और मनोज जरांगे - पाटील के असर में मराठवाड़ा 'से आखिरकार यह भी तय हो सकता है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की बाजी किसके हाथ लगेगी
फिर बना सियासत का मर्कज
सुप्रीम कोर्ट ने पलटा 1968 में अजीज बाशा मामले में दिया गया फैसला. भाजपा नेताओं के निशाने पर आया एएमयू, आरक्षण, तालीम पर उठा रहे सवाल
जानलेवा तनाव
भारतीय कंपनियों में गैर - सेहतमंद कार्य - संस्कृति से कर्मचारियों की जान पर बन आई है. इससे वे तरह-तरह की मानसिक और शारीरिक बीमारियों की चपेट में आ रहे और कई मौकों पर तो यह कल्चर उनके लिए मौत का सबब बन रही