उमर अब्दुल्ला यह स्वीकारने वाले पहले इंसान हैं कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव जीतना आसान काम था. जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस (जेकेएनसी) के उपाध्यक्ष उमर ने अपनी पार्टी और इंडिया गठबंधन की घटक कांग्रेस के साथ मिलकर लड़े गए इस चुनाव में बेहद आसानी से बहुमत हासिल करके एक नया इतिहास रच दिया. इसके साथ ही उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की अपने दम पर सरकार बनाने और जम्मूकश्मीर के इतिहास में पहली बार भाजपा के मुख्यमंत्री को कुर्सी पर बैठाने की योजना पर पानी भले फेर दिया हो, लेकिन उमर अच्छी तरह जानते हैं कि 2008 से 2014 के बीच बतौर मुख्यमंत्री उनके पिछले कार्यकाल- जिसमें उन्होंने जेकेएनसी-कांग्रेस गठबंधन सरकार का नेतृत्व किया था- के उलट यह दूसरा कार्यकाल पहाड़-सी चुनौतियों से भरा होगा. वे खुद मानते हैं, "अपनी पहली पारी में मैं सबसे सशक्त राज्य का मुख्यमंत्री था. लेकिन अब जम्मू-कश्मीर देश का सबसे कमजोर केंद्र शासित प्रदेश है. यह जीत भले उत्साहजनक हो लेकिन लोगों ने जिस तरह से बड़ी-बड़ी उम्मीदें लगा रखी हैं, उस बारे में सोचकर थोड़ा डर लगता है."
Denne historien er fra October 23, 2024-utgaven av India Today Hindi.
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