इस वर्ष के शुरू में बांग्लादेशी हिंदुओं के खिलाफ हिंसा की भयावहता को उन्होंने एक गंभीर उदाहरण के तौर पर सामने रखा, जो बताती है कि समुदाय अगर संगठित नहीं होगा तो अत्याचारों को आमंत्रित करेगा. इससे ठीक एक हफ्ते पहले, कुछ इसी नक्शेकदम पर चलकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनावी राज्य महाराष्ट्र में भाजपा की रैली को संबोधित करते हुए कांग्रेस पर तीखा हमला बोला, और विपक्षी दल पर विभाजनकारी राजनीति में लिप्त होने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, "कांग्रेस जानती है कि हिंदू जितने ज्यादा विभाजित होंगे, उसे उतना ही ज्यादा फायदा मिलेगा."
संघ परिवार के दो दिग्गजों का इस तरह एक ही सुर में बोलना ऐसे समय सामने आया, जब उनके बीच मतभेदों की अटकलें जारी थीं. खासकर इस वर्ष के शुरू में ऐसी खबरें आई थीं कि लोकसभा चुनाव के दौरान आरएसएस के स्वयंसेवकों ने व्यापक स्तर पर भाजपा के चुनाव अभियान से दूरी बना ली. बहरहाल, उनका इस तरह सामंजस्यपूर्ण संदेश देना एक साझा रणनीति का संकेत भी देता है. देश एक बार फिर चुनावी रंग में रंगा है, निर्वाचन आयोग ने महाराष्ट्र और झारखंड में चुनाव की तारीखों की घोषणा कर दी है और कुछ उपचुनाव भी होने वाले हैं, इसलिए भाजपा का एक बार फिर इस नैरेटिव पर लौटना एक बड़ा सियासी दांव माना जा सकता है.
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