भारत और कनाडा के कूटनीतिक रिश्ते पिछले साल से ही गिरावट के दौर से गुजर रहे थे, 14 अक्तूबर को उन्हें एक के बाद एक घटनाओं के सिलसिले से एक और झटका लगा. शाम होते-होते दोनों देशों के राजनयिक रवानगी के लिए बोरिया-बिस्तर बांधने लगे. भारतीय विदेश मंत्रालय ने नाराजगी भरे बयान में घोषणा की कि वह ओटावा से अपने उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा और कुछ अन्य राजनयिकों को वापस बुला रहा है, क्योंकि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने की कनाडा की प्रतिबद्धता में उनका 'भरोसा नहीं' था. पश्चिमी रिपोर्टों में कहा गया कि उन्हें निष्कासित किया गया है.
यह बयान कनाडा के 13 अक्तूबर उस उकसाने वाले संदेश के बाद आया जिसमें कहा गया था कि वर्मा और कुछ अन्य राजनयिक एक आपराधिक जांच में 'रुचि के व्यक्ति' (पर्सन ऑफ इंट्रेस्ट) - यानी शामिल - हैं. साफ कहा नहीं गया, पर इशारा जून 2023 में ब्रिटिश कोलंबिया में हुई खालिस्तानी अलगाववादी और कनाडाई नागरिक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की जांच की तरफ था. भारत ने इसे 'बेतुका लांछन' कहकर खारिज कर दिया और कहा कि वर्मा के खिलाफ आरोप 'हास्यास्पद और अवमानना भरा व्यवहार' हैं, और यह भी कि इस मामले के पीछे 'वोट बैंक राजनीति के इर्द-गिर्द केंद्रित...टूडो सरकार का राजनैतिक एजेंडा है.' सख्त रुख अपनाते हुए बयान में कहा गया कि भारत 'भारतीय राजनयिकों के खिलाफ मनगढ़ंत आरोप लगाने' की कनाडा की कोशिश और साथ ही टूडो सरकार के 'भारत के खिलाफ उग्रवाद, हिंसा और अलगाववाद को समर्थन' के जवाब में कदम उठाने का अधिकार सुरक्षित रखता है. आशय यह कि प्रधानमंत्री टूडो कनाडा की सिख आबादी के एक हिस्से की खालिस्तान-समर्थक भावनाओं को प्रश्रय दे रहे हैं.
भारत ने कनाडा के उच्चायुक्त स्टीवर्ट रॉस व्हीलर और पांच अन्य राजनयिकों को निष्कासित करने का एलान किया. पिछली बार इतने बड़े पैमाने पर राजनयिकों को 2019 में निष्कासित किया गया था, जब भारत की तरफ से जम्मू और कश्मीर का विशेष दर्जा रद्द करने के बाद भारत और पाकिस्तान ने एक-दूसरे देशों के राजनयिकों को निकाला था.
संबंधों पर प्रभाव
Denne historien er fra October 30, 2024-utgaven av India Today Hindi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent ? Logg på
Denne historien er fra October 30, 2024-utgaven av India Today Hindi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent? Logg på
मिले सुर मेरा तुम्हारा
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता संगीतकार अमित त्रिवेदी अपने ताजा गैर फिल्मी और विधा विशेष से मुक्त एल्बम आजाद कोलैब के बारे में, जिसमें 22 कलाकार शामिल
इंसानों की सोहबत में आलसी और बीमार
पालतू जानवर अपने इंसानी मालिकों की तरह ही लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों का शिकार हो रहे हैं और उन्हें वही मेडिकल केयर मिल रही है. इसने पालतू जानवरों के लिए सुपर स्पेशलाइज्ड सर्जरी और इलाज के इर्द-गिर्द एक पूरी इंडस्ट्री को जन्म दिया
शहरी छाप स लौटी रंगत
गुजराती सिनेमा दर्शक और प्रशंसा बटोर रहा है क्योंकि इसके कथानक और दृश्य ग्रामीण परिवेश के बजाए अब शहरी जीवन के इर्द-गिर्द गूंथे जा रहे हैं. हालांकि सीमित संसाधन और बंटे हुए दर्शक अब भी चुनौती बने हुए हैं
चट ऑर्डर, पट डिलिवरी का दौर
भारत का खुदरा बाजार तेजी से बदल रहा है क्योंकि क्विक कॉमर्स ने तुरंत डिलिवरी के साथ पारंपरिक खरीदारी में उथल-पुथल मचा दी है. रिलायंस जियो, फ्लिपकार्ट और अमेजन जैसे कॉर्पोरेट दिग्गजों के इस क्षेत्र में उतरने से स्पर्धा तेज हो गई है जिससे अंत में ताकत ग्राहक के हाथ में ही दिख रही
'एटम बम खुद फैसले नहीं ले सकता था, एआइ ले सकता है”
इतिहास के प्रोफेसर और मशहूर पब्लिक इंटेलेक्चुअल युवाल नोआ हरारी एक बार फिर चर्चा में हैं. एआइ के रूप में मानव जाति के सामने आ खड़े हुए भीषण खतरे के प्रति आगाह करती उनकी ताजा किताब नेक्सस ने दुनिया भर के बुद्धिजीवियों का ध्यान खींचा है.
सरकार ने रफ्ता-रफ्ता पकड़ी रफ्तार
मुख्यमंत्री सिद्धरामैया उपचुनाव में कांग्रेस के शानदार प्रदर्शन की बदौलत राजनैतिक चुनौतियों से निबटने लोगों का विश्वास बहाल करने और विकास तथा कल्याण की महत्वाकांक्षी योजनाओं पर दे रहे जोर
हम दो हमारे तीन!
जनसंख्या में गिरावट की आशंकाओं ने परिवार नियोजन पर बहस को सिर के बल खड़ा कर दिया है, क्या परिवार बड़ा बनाने के पैरोकारों के पास इसकी वाजिब वजहें और दलीलें हैं ?
उमरता कट्टरपंथ
बांग्लादेश में हिंदुओं का उत्पीड़न जारी है, दूसरी ओर इस्लामी कट्टरपंथ तेजी से उभार पर है. परा घटनाक्रम भारत के लिए चिंता का सबब
'इससे अच्छा तो झाइदारिन ही थे हम'
गया शहर के माड़रपुर में गांधी चौक के पास एक बैटरी रिक्शे पर बैठी चिंता देवी मिलती हैं. वे बताती हैं कि वे कचहरी जा रही हैं. उनके पास अपनी कोई सवारी नहीं है, सरकार की तरफ से भी कोई वाहन नहीं मिला है.
डीएपी की किल्लत का जिम्मेदार कौन?
3त्तर प्रदेश में आजमगढ़ के किसान वैसे तो कई दिनों से परेशान थे लेकिन 11 दिसंबर को उन्होंने डीएपी यानी डाइअमोनियम फॉस्फेट खाद उपलब्ध कराने की गुहार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंचा दी.