राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को सत्ता संभाले अभी महज 11 महीने हुए हैं लेकिन उन्हें एक और चुनाव की अग्निपरीक्षा का सामना करना पड़ रहा है. प्रदेश की 200 विधानसभा सीटों में से सात - झुंझुनूं, दौसा, देवली-उनियारा, खींवसर, चौरासी, रामगढ़ और सलूंबर - दांव पर हैं, जहां 13 नवंबर को उपचुनाव होंगे. इस साल जून लोकसभा चुनाव के परिणामों , में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की लोकसभा सीटें 24 से घटकर 14 रह गईं और वोट शेयर में करीब 10 फीसद की गिरावट आई थी. इसके बावजूद शर्मा को ज्यादा आलोचना का सामना नहीं करना पड़ा क्योंकि सीएम की कुर्सी संभालने के केवल तीन महीने बाद ही आम चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता लागू हो गई थी और वे उम्मीदवार के चयन या चुनाव की रणनीति तैयार करने में शामिल नहीं थे. लेकिन अब वे पार्टी का एक प्रमुख चेहरा हैं.
हालांकि भाजपा ने उपचुनावों के लिए अपने सात में से छह उम्मीदवारों का जब एलान किया तो उस समय शर्मा दिसंबर में होने वाले राइजिंग राजस्थान ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट में संभावित निवेशकों को आमंत्रित करने के लिए जर्मनी और ब्रिटेन के दौरे पर थे. लेकिन 20 अक्तूबर को लौटने के बाद से वे अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं.
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