फौज जीतेगी या इमरान
Outlook Hindi|June 26, 2023
चरमराती अर्थव्यवस्था के बीच इमरान खान की फौज को चुनौती कहीं मुल्क को फिर तानाशाही की ओर न ले जाए
अनुरंजन झा
फौज जीतेगी या इमरान

पाकिस्तान के हालात हर रोज बदल रहे हैं और इसका असर दुनिया के दूसरे हिस्सों में रह रहे पाकिस्तानियों पर भी दिख रहा है। ब्रिटेन की राजधानी लंदन की सड़कों पर 9 मई को इमरान खान की गिरफ्तारी के खिलाफ नारे लगाए जा रहे थे। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के घर के बाहर सैकड़ों की तादाद में मौजूद पाकिस्तानी मूल के लोगों ने 'गो नवाज गो' के नारों के साथ पाकिस्तानी झंडे लहराए और नवाज के बेटे के दफ्तर की दीवारों पर पेंट पोत दिया। नवाज शरीफ लंदन में निर्वासित जीवन जी रहे हैं लेकिन उनकी पार्टी पाकिस्तान नेशनल मुस्लिम लीग (पीएनएमएल) उस गठजोड़ की अहम हिस्सेदार है, जिसकी फिलवक्त पाकिस्तान में सरकार है। साथ ही उनके भाई शहबाज शरीफ पाकिस्तान में वजीरे आजम हैं। हालांकि इस मिलीजुली सरकार में बिलावल भुट्टो की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) और कुछ दूसरी पार्टियां भी शामिल हैं। हाल में इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद भड़की हिंसा न सिर्फ लगभग पूरे पाकिस्तान में फैल गई, बल्कि ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा समेत दुनिया के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन भी हुए।

दरअसल पिछले साल पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआइ) की अगुआई में वजीरे आजम इमरान खान की सरकार को नेशनल असेंबली में अहमियत रखने वाली सभी विपक्षी पार्टियों ने अविश्वास प्रस्ताव लाकर गिरा दिया था। उसके बाद शहबाज शरीफ की अगुआई में मिलीजुली सरकार बनी। इमरान इस अपमान को पचा नहीं पाए और उन्होंने फौजी हुक्मरानों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। वे लगातार आरोप लगाते आ रहे हैं कि विदेशी साजिश के तहत फौज की मिलीभगत से उनसे गद्दी छीन ली गई। हालांकि वे फौज की मदद से ही चुनाव जीत कर आए थे और तब विपक्ष ने भारी चुनावी धांधली का आरोप लगाया था। लेकिन शायद तब के जनरल कियानी की जगह अपने खास जनरल को फौज प्रमुख बनाने की बात पर फौजी हुक्मरानों के साथ उनकी ठन गई तो रिश्ते छत्तीस हो गए।

इस दौरान पाकिस्तान की माली हालत भी लगातार बिगड़ती गई। इमरान सरकार की उच्च वर्ग समर्थित नीतियों की बनिस्बत मुल्क पर क का बोझ बढ़ता जा रहा था और महंगाई लोगों का जीना हराम कर रही थी, जो अभी भी संभल नहीं पाई है। हालात लगातार मुश्किल होते जा रहे हैं। खैर, फौज के खफा होने के बाद तमाम विपक्षी पार्टियों को इमरान को सत्ता से बदखल करने का मौका मिल गया।

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