जानकार बताते हैं की डॉ. आर. बी. त्रिपाठी साल 1988 में आईएमए के सचिव नियुक्त हुए और लगातार 22 वर्षों तक इस पद पर रहते हुए चिकित्सकों के लिए काफी काम किया। सोशल वर्क थ्रू सोशल रिसोर्सेस के सिद्धांत को मानने वाले डॉ. त्रिपाठी का कहना है की हमारे लिए चिकित्सा के जरिये समाज सेवा एक बेहतर विकल्प है। मैं अपने मरीजों को ही अपना भगवान् मानता हूँ और उनकी सेवा ही मेरा धर्म है।
Denne historien er fra September 18, 2023-utgaven av Outlook Hindi.
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'वाह उस्ताद' बोलिए!
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सिने प्रेमियों का महाकुंभ
विविध संस्कृतियों पर आधारित फिल्मों की शैली और फिल्म निर्माण का सबसे बड़ा उत्सव
विश्व चैंपियन गुकेश
18वें साल में काले-सफेद चौखानों का बादशाह बन जाने वाला युवा
सिनेमा, समाज और राजनीति का बाइस्कोप
भारतीय और विश्व सिनेमा पर विद्यार्थी चटर्जी के किए लेखन का तीन खंडों में छपना गंभीर सिने प्रेमियों के लिए एक संग्रहणीय सौगात
रफी-किशोर का सुरीला दोस्ताना
एक की आवाज में मिठास भरी गहराई थी, तो दूसरे की आवाज में खिलंदड़ापन, पर दोनों की तुलना बेमानी
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तुम मुझे यूं भुला ना पाओगे
रफी जैसा बनने में केवल हुनर काम नहीं आता, मेहनत, समर्पण और शख्सियत भी
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आधी हकीकत, आधा फसाना
राज कपूर की निजी और सार्वजनिक अभिव्यक्ति का एक होना और नेहरूवादी दौर की सिनेमाई छवियां
संभल की चीखती चुप्पियां
संभल में मस्जिद के नीचे मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका के बाद हुई सांप्रदायिकता में एक और कड़ी