अबोहर जिले में गांव तेलूपुरा के दो सगे भाई 15 नवंबर की रात एक साथ नशे की भेंट चढ़ गए। 25 साल के राहुल और 26 साल के सुशील के पिता ओमप्रकाश के मुताबिक उनके दोनों बेटों की मौत नशे की ओवरडोज के कारण हुई। वे पिछले दस साल से नशे के आदी थे और अबोहर सिविल अस्पताल से उनका इलाज चल रहा था। 'उड़ते पंजाब' में मौत के आंकड़े डरावनी हदें लांघने लगे हैं, मगर तकरीबन दो दशक से हर सरकार के लिए ये आंकड़े बस सियासी बिसात बिछाने के प्यादे बनकर रह गए हैं। हर आती सरकार नशामुक्ति के वादे-दर-वादे करती गई, लेकिन न नशा से पिंड छूटा, न मौत के आंकड़ों की रफ्तार घटी।
हालात कितने डरावने हैं, यह राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के ताजा आंकड़े गवाह हैं। रिपोर्ट के मुताबिक देश में ड्रग्स ओवरडोज की वजह से सबसे ज्यादा 144 मौतें पंजाब हुईं। दूसरे नंबर पर राजस्थान में 117 मौतें और उसके बाद मध्य प्रदेश में 74 मौतें दर्ज की गईं। बेहद प्रतिष्ठित पीजीआइ चंडीगढ़ के अध्ययन में पाया गया कि पंजाब में 14.7 फीसदी (31 लाख) आबादी किसी न किसी नशे की चपेट में है। सभी 22 जिलों में किए गए सर्वे में सबसे ज्यादा मानसा जिले की 39 फीसदी आबादी नशे की गिरफ्त में है। 78 फीसदी लोग ड्रग्स डीलरों से नशा खरीदते हैं और 22 फीसदी दवा की दुकानों से। माझा और दोआबा हलके के अमृतसर, तरनतारन, होशियारपुर, जालंधर, गुरदासपुर के अलावा मालवा के फिरोजपुर, बठिंडा, फरीदकोट और लुधियाना में नशे का शिकार हुए लोगों के पोस्टमॉर्टम में केमिकल्स की जांच की गई। नशे की भेंट चढ़े अधिकतर लोगों की सरकारी अस्पतालों में हुई पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में पाया गया कि 90 फीसदी मृतक 18 से 35 वर्ष आयु वर्ग के थे। कुछ मिसालें देखिए।
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