![अपारदर्शी चुनावी बॉन्ड अपारदर्शी चुनावी बॉन्ड](https://cdn.magzter.com/Outlook Hindi/1709706438/articles/EgyVQKQ3e1709721619842/1709721967233.jpg)
वित्त मंत्रालय ने चुनावी बॉन्ड की त्रैमासिक बिक्री की खिड़की खोल दी है। इसे 1 अप्रैल से 10 अप्रैल 2021 के बीच खरीदा जा सकेगा। पिछले ही हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने इस योजना पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद मंत्रालय की यह अधिसूचना आई है। शीर्ष अदालत ने चुनावी बॉन्ड पर सुनवाई के दौरान हालांकि नई चिंता जाहिर की थी कि राजनीतिक दलों को मिले चंदे का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों या हिंसा वगैरह में किए जाने की आशंका है। इस संदर्भ में उसने केंद्र सरकार से पूछा था कि क्या इस चंदे के इस्तेमाल को नियंत्रित करने का कोई उपाय उसके पास है। मुझे उम्मीद थी कि अदालत इसी के साथ एक और अहम सवाल उठाती, एक और आशंका जहां इस चंदे के संदिग्ध इस्तेमाल की गुंजाइश मौजूद है - चुनावों के बाद जनादेश को पलटने के लिए विधायकों की खरीद में इसका प्रयोग।
सुप्रीम कोर्ट में यह सुनवाई एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की याचिका पर हुई, जिसने चुनावी बॉन्ड की ताजा बिक्री पर रोक लगाने की मांग की थी। एसोसिएशन की चुनावी बॉन्ड को चुनौती देने वाली मूल याचिका अदालत के समक्ष अब भी लंबित है।
यह मुद्दा फरवरी 2017 से ही ज्वलंत बना हुआ है, जब तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने बजट भाषण में दो बड़े बयान दिए थे: एक, राजनैतिक फंडिंग में पारदर्शिता के बगैर स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव मुमकिन नहीं हैं; और दूसरा, सत्तर साल से चिंता जताने के बावजूद हम उस पारदर्शिता को हासिल कर पाने में नाकाम रहे हैं। इन भव्य बयानों के बाद कोई भी उम्मीद कर सकता था कि मुद्दे का हल निकलेगा, हालांकि अपने कहे से ठीक उलट घोषणा उन्होंने कर दी।
इस तरह चुनावी बॉन्ड की पैदाइश हुई और पारदर्शिता एक बार फिर से उसका शिकार हुई। उसके बाद से 20,000 रुपये से ज्यादा चुनावी चंदे की हर राशि की सूचना चुनाव आयोग को दी गई है। फर्क इतना आया है कि अब 20 करोड़ हो या 200 करोड़ रुपये, कितनी भी रकम बेनामी दान दी जा सकती है। इसके पीछे वजह यह गिनाई गई कि चंदा देने वाला गोपनीयता की चाहत रखता है।
Denne historien er fra March 18, 2024-utgaven av Outlook Hindi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent ? Logg på
Denne historien er fra March 18, 2024-utgaven av Outlook Hindi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent? Logg på
![दिल्ली से निकलती सियासत दिल्ली से निकलती सियासत](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/266/1994503/-MA_6DNi31739535740400/1739535854348.jpg)
दिल्ली से निकलती सियासत
आम आदमी पार्टी के दिल्ली में चुनावी पराभव से क्या राष्ट्रीय राजनीति निकलेगी, आज सबसे मौजूं सवाल यही होना चाहिए
![अरविंद नहीं, कमल अरविंद नहीं, कमल](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/266/1994503/_T_pnHjaq1739535854031/1739536018749.jpg)
अरविंद नहीं, कमल
मतदान से पहले तक दिल्ली की फिजाओं में गूंजती बदलाव की आहटें सच साबित हुईं, ये आहटें कितनी हकीकत थीं कितना फसाना, दिल्ली चुनाव की कहानी इसी बहस में उलझी है, लेकिन असल सवाल आप और उसके नेताओं के भविष्य का है, जिसे बचाने की कवायद जारी
![निराशा और विनाश के बीच निराशा और विनाश के बीच](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/266/1994503/tDGFYx2jb1739536472076/1739536625666.jpg)
निराशा और विनाश के बीच
इंटरसेप्टेड और सॉन्ग्स ऑफ स्लो बर्निंग अर्थ जैसे वृत्तचित्र यूक्रेन पर रूसी कब्जे के मुद्दे को उजागर करती हैं, फोकस विनाश की कहानियों से आगे निकलकर युद्ध के मानवीय पहलू पर
![गेमिंग का नया युग गेमिंग का नया युग](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/266/1994503/hi1jZakB61739536377660/1739536467982.jpg)
गेमिंग का नया युग
सरकारी समर्थन और बढ़ते करियर विकल्पों के कारण भारत में बढ़ रहा ऑनलाइन गेमिंग का बाजार, ठोस नीति की कमी और टैक्स से जुड़ी चिंताएं अब भी भारी
![आया गया अडा आया गया अडा](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/266/1994503/Jhb5W8myz1739535453409/1739535555515.jpg)
आया गया अडा
पिछली महायुति सरकार ने मिड-डे मील में अंडा जोड़ा, तो इस सरकार ने हटा दिया
![अमन के दावों पर मौतें भारी अमन के दावों पर मौतें भारी](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/266/1994503/GmXgS4D7p1739535559497/1739535739240.jpg)
अमन के दावों पर मौतें भारी
घाटी में पिछले दिनों सिलसिलेवार हुई उत्पीड़न और हत्या की घटनाओं ने उठाए अमन-चैन के केंद्र के दावे पर सवाल
![आध्यात्म और संस्कृति का अनोखा संगम आध्यात्म और संस्कृति का अनोखा संगम](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/266/1994503/e4X5E_XRM1739536199237/1739536375444.jpg)
आध्यात्म और संस्कृति का अनोखा संगम
महाकुंभ में देश और विदेश से पहुंचे करोड़ों लोगों ने गंगा, \"यमुना और पौराणिक सरस्वती के संगम पर डुबकी लगाई
![भविष्य का रास्ता भविष्य का रास्ता](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/266/1994503/v6djOauBB1739536028854/1739536195259.jpg)
भविष्य का रास्ता
असल संदेश भविष्य की उस राजनीति का है जो मोदी की सियासत को चुनौती दे सके, अगर यह विचारधारा की लड़ाई की मुनादी है, तो फिर राहुल गांधी को भी बदलना होगा
![ट्रम्प की जल्दबाजी ट्रम्प की जल्दबाजी](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/266/1994503/5yRnvNpVH1739534817581/1739535038876.jpg)
ट्रम्प की जल्दबाजी
पद संभालते ही आदेशों का शुरू हुआ सिलसिला कहां ले जाएगा अमेरिका को?
![जंजीरों में लौटे आज के गिरमिटिया जंजीरों में लौटे आज के गिरमिटिया](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/266/1994503/xOwgyItvk1739535040091/1739535449146.jpg)
जंजीरों में लौटे आज के गिरमिटिया
अमेरिका में डोनाल्ड ट्रम्प के दोबारा राष्ट्रपति पद की शपथ लेते ही अवैध आप्रवासियों को उनके देश भेजने का जो सिलसिला शुरू हुआ है, उसकी गूंज भारत की घरेलू राजनीति और संसद को हिला रही