ब्रिटिश शासकों, इतिहासकारों, अध्येताओं, लेखकों, लोक गीतकारों ने 10 मई 1857 को मेरठ से शुरू हुए सिपाही विद्रोह को कई नामों से पुकारा है। नामकरण की यह विविधता विद्रोह के प्रति लोगों के अलग-अलग नजरिये को दर्शाती है। विद्रोह को अपमानजनक संबोधन ‘गदर’ से लेकर ‘भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम’ तक बताया गया है, हालांकि अंग्रेजों द्वारा अपमानजनक संबोधन के रूप में प्रयुक्त गदर शब्द आगे चल कर भारतीयों के लिए सम्मानजनक बना। भारतीय क्रांतिकारियों द्वारा अमेरिका में 1913 में गठित संगठन का नाम ‘गदर’ रखा गया। अपने मुखपत्र का नाम भी उन्होंने ‘गदर’ रखा। 1857 के विद्रोह पर करीब 75 साल बाद लिखे गए पहले हिंदी उपन्यास का शीर्षक भी ‘गदर’ है। अमृतलाल नागर ने विद्रोह संबंधी ब्योरे एकत्रित किए, तो उस पुस्तक का नाम ‘गदर के फूल’ रखा।
नामकरण के अलावा विद्रोह के चरित्र को लेकर भी कई धारणाएं मिलती हैं। उसे ‘सामंती’ से लेकर ‘जनवादी’ तक कहा जाता है। विद्रोह में मारे गए लोगों की संख्या के बारे में भी कई दावे हैं। ब्रिटिश रिकॉर्ड में मारे गए अंग्रेजों (बच्चों और महिलाओं समेत) का आंकड़ा 6,000 के करीब है। बाद में अंग्रेजों द्वारा की गई बदले की कार्रवाई में मारे जाने वाले भारतीयों की संख्या 8 लाख से 30 लाख तक बताई जाती है। इसमें विद्रोह से जुड़े अकाल और महामारी में मारे जाने वाले भारतीयों की संख्या को भी शामिल किया जाता है। विद्रोह के इतिहासकारों, विभिन्न घटनाओं और पात्रों पर आधारित संस्मरण तथा कथात्मक विवरण लेखन में सभ्य-असभ्य और क्रूर-क्रांतिकारी का परस्पर विरोधी विमर्श भी मिलता है।
Denne historien er fra June 10, 2024-utgaven av Outlook Hindi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent ? Logg på
Denne historien er fra June 10, 2024-utgaven av Outlook Hindi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent? Logg på
गांधी पर आरोपों के बहाने
गांधी की हत्या के 76 साल बाद भी जिस तरह उन पर गोली दागने का जुनून जारी है, उस वक्त में इस किताब की बहुत जरूरत है। कुछ लोगों के लिए गांधी कितने असहनीय हैं कि वे उनकी तस्वीर पर ही गोली दागते रहते हैं?
जिंदगी संजोने की अकथ कथा
पायल कपाड़िया की फिल्म ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट परदे पर नुमाया एक संवेदनशील कविता
अश्विन की 'कैरम' बॉल
लगन और मेहनत से महान बना खिलाड़ी, जो भारतीय क्रिकेट में अलग मुकाम बनाने में सफल हुआ
जिसने प्रतिभाओं के बैराज खोल दिए
बेनेगल ने अंकुर के साथ समानांतर सिनेमा और शबाना, स्मिता पाटील, नसीरुद्दीन शाह, ओम पुरी, गिरीश कार्नाड, कुलभूषण खरबंदा और अनंतनाग जैसे कलाकारों और गोविंद निहलाणी जैसे फिल्मकारों की आमद हिंदी सिनेमा की परिभाषा और दुनिया ही बदल दी
सुविधा पचीसी
नई सदी के पहले 25 बरस में 25 नई चीजें, जिन्होंने हमारी रोजमर्रा की जिंदगी पूरी तरह से बदल डाली
पहली चौथाई के अंधेरे
सांस्कृतिक रूप से ठहरे रूप से ठहरे हुए भारतीय समाज को ढाई दशक में राजनीति और पूंजी ने कैसे बदल डाला
लोकतंत्र में घटता लोक
कल्याणकारी राज्य के अधिकार केंद्रित राजनीति से होते हुए अब डिलिवरी या लाभार्थी राजनीति तक ढाई दशक का सियासी सफर
नई लीक के सूत्रधार
इतिहास मेरे काम का मूल्यांकन उदारता से करेगा। बतौर प्रधानमंत्री अपनी आखिरी सालाना प्रेस कॉन्फ्रेंस (3 जनवरी, 2014) में मनमोहन सिंह का वह एकदम शांत-सा जवाब बेहद मुखर था।
दो न्यायिक खानदानों की नजीर
खन्ना और चंद्रचूड़ खानदान के विरोधाभासी योगदान से फिसलनों और प्रतिबद्धताओं का अंदाजा
एमएसपी के लिए मौत से जंग
किसान नेता दल्लेवाल का आमरण अनशन जारी लेकिन केंद्र सरकार पर असर नहीं