बड़ी पुरानी कहावत है, 'सारे तीरथ बार-बार, गंगासागर एक बार।' पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना के काकद्वीप उपखंड में है यह महातीर्थ। गंगासागर आस्था और विश्वास का मिलन होता है। कोलकाता से लगभग 100 किलोमीटर दूर गंगासागर या सागर द्वीप, मुख्य भूमि से कटा हुआ भूभाग है। चांदी की तरह चमकती रेत, साफ आसमान, गहरे नीले समुद्र और प्रतिष्ठित कपिल भगवान के आश्रम के साथ यहां अद्वितीय धार्मिक माहौल है। यह वह तट है जहां पवित्र गंगा हजारों किलोमीटर की यात्रा के बाद समुद्र से मिलती है।
गतिशील कविता
Denne historien er fra October 28, 2024-utgaven av Outlook Hindi.
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शहरनामा गंगा सागर
अंतहीन सागर की कालातीत कहानी
परदे का पुराना प्यार
पुरानी फिल्में सिनेमाघरों में दोबारा दस्तक दे रहीं, नई फिल्मों की नाकामी, व्यावसायिक मुनाफा और पुराने के प्रति दीवानगी ट्रेंड को बढ़ा रही
गरीबों के नायक की सुध
तीन बार के राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता मिठुन चक्रवर्ती को दादा साहब फाल्के सम्मान
'जब तक रहूं, नृत्य के साथ रहूं'
करीब छह दशकों से नृत्य कर रहीं शोभना नारायण अभी थकी नहीं हैं। 75 वर्ष की उम्र में भी उनमें उत्साह और जोश-खरोश भरपूर है । बिरजू महाराज की शिष्या शोभना नृत्यांगना ही नहीं, वरिष्ठ नौकरशाह और लेखिका भी हैं। बिहार के एक स्वतंत्रता सेनानी परिवार में जन्मी शोभना को संस्कृति और कला से लगाव तथा राष्ट्रीय जीवन-मूल्य विरासत में मिले हैं। वे ऐसे परिवार से हैं जहां दिनकर, धर्मवीर भारती, रमानाथ अवस्थी जैसे साहित्यकारों की मंडली घर पर जमती थी। मां ललिता नारायण लोकसभा का चुनाव पटना से लड़ी थीं। उनका जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी से निजी परिचय था। शोभना नारायण के 75वें जन्मदिन पर पिछले दिनों उनके शिष्यों ने नृत्यसमारोह का आयोजन किया। इस मौके पर उनसे विमल कुमार ने खास बातचीत की। संपादित अंशः
वापस पंत नायक
चोटिल खिलाड़ी के लिए फिर मैदान पर शानदार प्रदर्शन करना सबसे बड़ी चुनौती होती है, पंत इस करिश्मे में सफल रहे
पन्ना की तमन्ना हीरा मिल जाए
पन्ना में छोटे-छोटे भूखंडों में मिल रहा हीरे का एक टुकड़ा बदल रहा गरीब आदिवासी किसानों की जिंदगी
अबूझमाड़ में मुठभेड़
यह पहला मौका है जब पुलिसिया दावे के मुताबिक एक ऑपरेशन में इतनी बड़ी संख्या में माओवादी मारे गए
कुर्सी कलाबाजी की मिसाल
पंजाब से टूट कर अलग राज्य बनने के वक्त से ही हरियाणा में कुर्सी के लिए आया गया की दलबदलू राजनीति चल रही
चंपाई महत्वाकांक्षा
कुर्सी जाने पर पाला बदलने और अपने लोगों के खिलाफ खड़े होने का आदिवासी प्रसंग
कुर्सी महा ठगिनी हम जानी
आर्थिक उदारीकरण के पिछले तीन दशक के दौरान भारतीय राजनीति का चरित्र कुछ ऐसा बदला है। कि धन, सार्वजनिक आचरण से लेकर नेताओं का चरित्र तक सब कुछ महज कुर्सी के इर्द-गिर्द सिमट गया है और दलों का फर्क मिट गया है