मुंबई पर अंडरवर्ल्ड का साया फिर से दिख रहा है। इस बार नया नाम लॉरेंस बिश्नोई का है। आप इसे कैसे देखते हैं?
लॉरेंस बिश्नोई का नाम कई बड़ी हत्याओं से जुड़ा है। हाल ही में खबर आई है कि वह बाबा सिद्दीकी हत्याकांड में भी शामिल है, हालांकि मैं इस बारे में कुछ नहीं कहना चाहूंगा क्योंकि अभी तक इस पर कोई ठोस सबूत नहीं है। पुलिस काम कर रही है। कई बार किसी हत्या के बाद जान-बूझ कर किसी गिरोह का नाम एजेंडे के तौर पर सामने लाया जाता है, ताकि वह सुर्खियां बटोर सके।
लॉरेंस बिश्नोई खुद को राष्ट्रवादी कहता है। इस पर आपका क्या कहना है?
जी, आजकल ऐसा देखा जा रहा है। आजकल किसी भी अपराध या अपराधी को राष्ट्रवाद से जोड़ने का नया चलन चल पड़ा है। इससे अपराधी लोगों की नजरों में जल्दी चढ़ जाता है। लोगों को समझना चाहिए कि अपराधी सिर्फ अपराधी होता है। वह न तो राष्ट्रवादी होता है और न ही राष्ट्र-विरोधी।
एक समय मुंबई में दाऊद इब्राहिम का खौफ था। अब खौफ का नया नाम लॉरेंस बिश्नोई है। दोनों के तरीके में आप क्या अंतर देखते हैं?
Denne historien er fra November 11, 2024-utgaven av Outlook Hindi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent ? Logg på
Denne historien er fra November 11, 2024-utgaven av Outlook Hindi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent? Logg på
'वाह उस्ताद' बोलिए!
पहला ग्रैमी पुरस्कार उन्हें विश्व प्रसिद्ध संगीतकार मिकी हार्ट के साथ काम करके संगीत अलबम के लिए मिला था। उसके बाद उन्होंने कुल चार ग्रैमी जीते
सिने प्रेमियों का महाकुंभ
विविध संस्कृतियों पर आधारित फिल्मों की शैली और फिल्म निर्माण का सबसे बड़ा उत्सव
विश्व चैंपियन गुकेश
18वें साल में काले-सफेद चौखानों का बादशाह बन जाने वाला युवा
सिनेमा, समाज और राजनीति का बाइस्कोप
भारतीय और विश्व सिनेमा पर विद्यार्थी चटर्जी के किए लेखन का तीन खंडों में छपना गंभीर सिने प्रेमियों के लिए एक संग्रहणीय सौगात
रफी-किशोर का सुरीला दोस्ताना
एक की आवाज में मिठास भरी गहराई थी, तो दूसरे की आवाज में खिलंदड़ापन, पर दोनों की तुलना बेमानी
हरफनमौला गायक, नेकदिल इंसान
मोहम्मद रफी का गायन और जीवन समर्पण, प्यार और अनुशासन की एक अभूतपूर्व कहानी
तुम मुझे यूं भुला ना पाओगे
रफी जैसा बनने में केवल हुनर काम नहीं आता, मेहनत, समर्पण और शख्सियत भी
'इंसानी भावनाओं को पर्दे पर उतारने में बेजोड़ थे राज साहब'
लव स्टोरी (1981), बेताब (1983), अर्जुन (1985), डकैत (1987), अंजाम (1994), और अर्जुन पंडित (1999) जैसी हिट फिल्मों के निर्देशन के लिए चर्चित राहुल रवैल दो बार सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार के लिए नामांकित हो चुके हैं।
आधी हकीकत, आधा फसाना
राज कपूर की निजी और सार्वजनिक अभिव्यक्ति का एक होना और नेहरूवादी दौर की सिनेमाई छवियां
संभल की चीखती चुप्पियां
संभल में मस्जिद के नीचे मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका के बाद हुई सांप्रदायिकता में एक और कड़ी