अच्छा लगता है सिंगल रहना
Sarita|December First 2024
शादी को ले कर लड़कियों में पुराने रूढ़िगत विचार नहीं रहे. जौब, सैल्फ रिस्पैक्ट, बराबरी ये वे पैमाने हैं जिन्होंने उन्हें देर से शादी करने या नहीं करने के औप्शन दे डाले हैं.
पद्मा अग्रवाल
अच्छा लगता है सिंगल रहना

"मम्मा, आज मेरा खाना मत बनाना. आरवी के यहां पार्टी है."

"क्या उस की इंगेजमैंट है ?"

“उफ मम्मा, वह यूएस जा रही है."

"32 साल की हो गई है, शादी कब करेगी?"

"शादी जरूरी है क्या? वह कंपनी में मैनेजर की पोस्ट पर काम कर रही है. 20 लाख रुपए सालाना का पैकेज है. वहां जा कर उस का पैकेज और पोस्ट दोनों ही बढ़ जाएंगे. शादी कर के बस पति की इच्छा के अनुसार रहना, चाय बनाना, खाना बनाना, उन की पसंद के कपड़े पहनना आदिआदि. मैं भी इन सारे झंझटों में नहीं पड़ना चाहती. अकेले रहो, अपनी आजादी से जो मन चाहे वह करो."

रेवती नाराजगी के स्वर में बोली, "रिया, तुम बहुत बोलने लगी हो तुम भी इस साल 31 की हो गई हो. पसंद का कोई लड़का हो तो मुझे मिलवा दो. मुझे ठीक लगेगा तो मैं तुम्हारी शादी उस से करा दूंगी."

"शादी और मैं, माई फुट," रिया बाहर निकलते हुए बोली, “मैं आप से कहना भूल गई थी कि मैं ने जौब चेंज कर के गूगल कंपनी जौइन कर ली है. मेरी सैटरडे को मुंबई की फ्लाइट है. मंडे जोइनिंग है.

"तुम ने पहले तो मुझे कुछ बताया नहीं?"

"अब बता रही हूं न."

रेवती मन में सोचने लगी कि यह नई पीढ़ी शादी से क्यों दूर भाग रही है. शायद यह हम लोगों की तरह पैसे के लिए पति पर निर्भर नहीं रहना चाहती. वह आत्मनिर्भर है, अपने कैरियर के प्रति प्रतिबद्ध है. अपनी जिंदगी अपनी तरह से जीना चाहती है.

ठीक भी है, कम से कम इन्हें हम लोगों की तरह पैसे के लिए पति के सामने अपना हाथ तो नहीं फैलाना पड़ेगा और न ही सुनना पड़ेगा कि दिनभर करती ही क्या हो.

फिर भी शादी, परिवार और बच्चे तो समय से ही हो जाने चाहिए. लेकिन हम लोग इन के साथ जबरदस्ती भी तो नहीं कर सकते.

आजकल समाज में एक महत्त्वपूर्ण सामाजिक परिवर्तन देखने को मिल रहा है. युवा युवतियों में शादी न करने की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है. यह प्रवृत्ति कई सांस्कृतिक, आर्थिक और व्यक्तिगत कारणों से बढ़ रही है.

आर्थिक स्वतंत्रता

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