Poging GOUD - Vrij
हींगवाला
Naye Pallav
|Naye Pallav 18
लगभग गभग 35 साल का एक खान आंगन में आकर रुका। उसकी आवाज सुनाई दी, "अम्मा... हींग लोगी ?" भीतर से नौ-दस वर्ष के एक बालक ने निकलकर उत्तर दिया, "अभी कुछ नहीं लेना है, जाओ !" पर खान भला क्यों जाने लगा ? जरा आराम से बैठ गया और अपने साफे के छोर से हवा करता बोला, "अम्मा, हींग ले लो, अम्मा ! हम अपने देश जाता है, बहुत दिनों में लौटेगा।”

सावित्री रसोईघर से हाथ धोकर बाहर आई और बोली, "हींग तो बहुत-सी ले रखी है खान! अभी पंद्रह दिन हुए नहीं, तुमसे ही तो ली थी।"
वह उसी स्वर में फिर बोला, "हेरा हींग है मां, हमको तुम्हारे हाथ की बोहनी लगती है। एक ही तोला ले लो, पर लो जरूर ।" इतना कहकर एक डिब्बा सावित्री के सामने सरकाते हुए कहा, "तुम और कुछ मत देखो मां, यह हींग एक नंबर है।"
सावित्री बोली, "पर हींग लेकर करूंगी क्या? ढेर-सी तो रखी है।"
खान ने कहा, "ले लो अम्मा ! घर में पड़ी रहेगी। हम अपने देश कू जाता है। खुदा जाने, कब लौटेगा ?” और खान बिना उत्तर की प्रतीक्षा किए हींग तोलने लगा। इसपर सावित्री के बच्चे नाराज हुए। सभी बोल उठे, "मत लेना मां, जबरदस्ती तोले जा रहा है।" सावित्री ने बच्चों को उत्तर न देकर, हींग की पुड़िया ले ली। पूछा, "कितने पैसे हुए खान?” “पैंतीस पैसे अम्मा !” खान ने उत्तर दिया। सावित्री ने सात पैसे तोले के भाव से पांच तोले का दाम, पैंतीस पैसे लाकर खान को दे दिए। खान सलाम करके चला गया। पर बच्चों को मां की यह बात अच्छी न लगी।
बड़े लड़के ने कहा, "मां, तुमने खान को वैसे ही पैंतीस पैसे दे दिए। हींग की जरूरत नहीं थी।" छोटा मां से चिढ़कर बोला, "दो मां, पैंतीस पैसे हमको भी दो। हम बिना लिए न रहेंगे।" लड़की जिसकी उम्र आठ साल की थी, बड़े गंभीर स्वर में बोली, "तुम मां से पैसा न मांगो। वह तुम्हें न देंगी। उनका बेटा वही खान है।" सावित्री को बच्चों की बातों पर हंसी आ रही थी। उसने हंसी दबाकर बनावटी क्रोध से कहा, "चलो–चलो, बड़ी बातें बनाने लग गए हो, खाना तैयार है।"
छोटा बोला, "पहले पैसे दो। तुमने खान को दिए हैं।"
Dit verhaal komt uit de Naye Pallav 18-editie van Naye Pallav.
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