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इस बार महंगाई की मार से सिर्फ गरीब ही नहीं, मध्यम और उच्च वर्ग भी प्रभावित है
देश की जनता महंगाई से बहुत परेशान हो गयी
मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ के राजकीय गमछे का किया लोकार्पण
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज शाम यहां अपने निवास कार्यालय में छत्तीसगढ़ के राजकीय गमछे का लोकार्पण किया। छत्तीसगढ़ राज्य हाथकरघा संघ द्वारा राज्य की पारंपरिक सांस्कृतिक धरोहर को प्रदर्शित करने वाले ये गमछे टसर सिल्क एवं कॉटन बुनकरों तथा गोदना हस्त शिल्पियों द्वारा तैयार कराए गए हैं।
लखीमपुर खीरी प्रकरण में राजनीतिक दलों की खास सक्रियता के मायने
लखीमपुर खीरी प्रकरण में मृतकों का अंतिम संस्कार भले ही हो गया हो, पर इस प्रकरण को लेकर राजनीति जारी है। चिंगारी अभी दहक रही है। किसान नेताओं ने मृतकों की अरदास 12 अक्तूबर को उसी जगह करने की घोषणा ही है, जहां आंदोलनकारी किसानों की मौत हुई है।
भारत को शक्तिशाली बनाने का शिक्षा अभियान
सन् 1952 में विद्या भारती योजना का पहला सरस्वती शिशु मंदिर, गोरखपुर में प्रारम्भ हुआ। आज तो विद्या भारती के लगभग 25 हजार शिक्षा केन्द्र चल रहे हैं, जिनमें व्यक्ति निर्माण से लेकर राष्ट्र निर्माण की शिक्षा दी जा रही है।
बाथरूम में ही सबसे ज्यादा क्यों आते हैं हार्ट अटैक?
वर्तमान में हृदय रोग और मधुमेह बहुत ही सामान्य और खतरनाक रोग हैं, इनका मिजाज कब घट या बढ़ जाय कोई नहीं जानता. इन रोगों में सावधानी बहुत जरुरी हैं. आजकल की भागमभाग जिंदगी और असंतुलित खान पान, दिन चर्या बहुत अधिक जिम्मेदार हैं होने के बाद बचाव जरुरी हैं . ज्यादा हार्ट अटैक या कार्डियक अरेस्ट सुबह के समय बाथरूम में आते हैं।
खतरनाक जैव चिकित्सा कचरे से खतरे में जीवन
सारी दुनिया जानती है कि अस्पतालों और इससे जुड़े स्वास्थ्य संबंधी संस्थानों जैसे नर्सिंग होम, क्लिनिक, पशु चिकित्सालयों, ब्लक बैंक,शिक्षा संस्थानों, फोरेंसिक लैब तथा अनुसंधान लेब से निकलने वाला जैव चिकित्सा कचरा यानी बायोमेडिकल वेस्ट मानव जीवन के लिए कितना जानलेवा है मगर इसके बावजूद इस खतरनाक अपशिष्ट के सही निस्तारण के प्रति सरकार और इसको पैदा करने वाले संस्थान बेहद लापरवाह है। वर्ष 1989 से बने बायोमेडिकल वेस्ट मैनेटमेंट रूल्स को चार बार अलग-अलग तरीसे से लागू किया गया मगर आज तक इसका सही ढंग से पालन नहीं किया गया और न अभी किया जा रहा है। बल्कि यूं कहें कि इस नियम को लेकर कोई भी गंभीर ही नहीं है।
विदेशी निवेश के अनुकूल है भारत
एक अक्तूबर को संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में आयोजित दुबई एक्सपो में 191 देशों की मौजूदगी में भारतीय पवेलियन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व समुदाय को भारत में निवेश करने का न्योता दिया. उन्होंने कहा कि भारत निवेश के लिए अनुकूल अवसरों का देश है. कहा, भारत आर्थिक सुधारों, नवाचार व तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था वाला देश है.
खुद से युद्ध की प्रेरणा देने वाले अहिंसक गांधी
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्मदिन 2 अक्टूबर अब अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है।
क्या हिन्दू धर्म अथवा सनातन धर्म पर कभी कोई खतरा आ सकता है?
हिन्दूधर्म में ऐसा क्या है जिसके कारण वह सनातन है, वह न तो खतरे में पड़ सकता है और न ही नष्ट हो सकता है। सनातन का अर्थ है जो सदैव से है और सदैव रहेगा। जिसका न प्रारंभ है और न ही अंत है और जो सदैव नवीन बना रहता है। जब फारस की ओर से लोग भारत आए तो सिंधु नदी के इस पार रहने वालों को उन्होंने हिंदू कहना शुरू कर दिया और उनके धर्म को हिंदू धर्म कहने लगे। इसलिए भौगोलिक आधार पर नामकरण 'हिंदू धर्म' हो गया। इसके पहले, इस धर्म की विशेषताओं के कारण इसका नाम सनातन धर्म था, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि यह धर्म सदैव से है और सदैव रहेगा।
भारतीय अर्थव्यवस्था में आया उछाल
दुनिया में कोरोनावायरस के प्रकोप ने अधिकांश देशों की अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया था जिनमें भारत भी शामिल था। कोरोना की पहली लहर के प्रकोप से छुटकारा मिलने के पूर्व ही भारत में दूसरी लहर दस्तक दे चुकी थी और दुर्भाग्य से दूसरी लहर की विभीषिका पहली लहर से कहीं अधिक भयावह थी ।
ऑनलाइन शिक्षा के नुकसान की कैसे हो भरपाई?
हाल ही में स्कूल ऑफ बिजनेस में सैंटर फॉर इनोवेशन एटरप्रेन्योरशिप की मदद से एक सर्वे ऑनलाइन शिक्षा की स्थिति का आकलन करने के लिये किया गया था। इस सर्वे में समभागी बने लोगों में से 93 फीसदी लोगों ने यही माना है कि ऑनलाइन शिक्षा से बच्चों के सीखने और प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता पर बुरा प्रभाव पड़ा है। इससे बच्चों पर नकारात्मक मनोवैज्ञानिक प्रभाव भी पड़ा, जिससे उनकी सुप्त शक्तियों का जागरण एवं जागृत शक्तियों का संरक्षण एवं संवर्धन अवरूद्ध हुआ है। बच्चों के समग्र विकास की संभावनाओं का प्रकटीकरण रूका है।
जन-जन में लोकतंत्र के प्रति आस्था पैदा हो
लोकतंत्र एक ऐसी प्रणाली है, जिसमें किसी भी देश के नागरिक अपने मताधिकार का प्रयोग करके एक प्रतिनिधि को चुनते हैं। लोकतंत्र का मतलब होता है, न कोई राजा और न कोई गुलाम, इसमें सब एक समान हैं।
महंगाई से परेशान हो चुकी है जनता, मोदी सरकार की बढ़ सकती हैं मुश्किलें
आज देश के अधिकांश घरों में रसोई गैस के माध्यम से ही खाना पकाया जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोगों ने पारंपरिक चूल्हों पर लकड़ी से खाना पकाना छोड़ दिया है। इस कारण घरेलू गैस सिलेंडरों की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी से आम आदमी का नाराज होना स्वाभाविक ही है।
भारत-रूस संबंधों की बढ़ती संभावनाएं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम के अपने संबोधन में भारत और रूस के प्रगाढ़ संबंधों को रेखांकित किया है और उसे आगे ले जाने की संभावनाओं पर विचार व्यक्त किया है.
अग्नि दुर्घटनाओं के पति गंभीर नहीं है सरकार
देश में आग से होने वाली जानलेवा दुर्घअनाओं का आंकड़ा छोटा नहीं है मगर इसके प्रति गंभीर नहीं होना उससे भी बड़ा जोखिम है। हाल ही में मई 2021 में नगर निगम भोपाल द्वारा जारी सार्वजनिक सूचना के मद्देनजर लगाई गई आरटीआई से जो खुलासा हुआ है वह काफी चौंकाने वाला है। ये साबित करता है कि नेशनल बिल्डिंग कोड 2016 के मुताबिक फायर एनओसी लेने में संस्थान कितने लापरवाह हैं और इउससे ज्यादा लापरवाही जिम्मेदार विभागों की है जो समय रहते लापरवाह संस्थानों की जांच करने में कोताही बरत रहे हैं।
हाउसिंग सोसायटियों को ग्राउंड वॉटर निकालने के लिए लेना होगी एनओसी
केंद्रीय भूमिगत जल बोर्ड के निर्देश
पारदर्शी प्रशासन का संकल्प आधा-अधूरा क्यों?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देश की सत्ता संभाले आठवां साल चल रहा हैं।
विश्वगुरु भारत में गुरुओं की दुर्दशा?
भारत रत्न पूर्व राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम से जब यह सवाल किया गया कि आप स्वयं को किस उपाधि के साथ संबोधित कराना पसंद करेंगे ?
त्वचा के लिए रामबाण है पपीता
पपीता न सिर्फ हमारी सेहत के लिए फायदेमंद है, बल्कि इससे हमारी त्वचा को भी कई तरह से लाभ हो सकते हैं।
आम आदमी और कोरोना की तीसरी लहर की संभावना
जी हां महोदय भारत की विशाल जनसंख्या में निचले तबके के व्यक्ति मजदूर ,रोज कमाने खाने वाला, लोगों के घर में काम करने वाली महिलाएं कोविड-19 की दूसरी लहर मैं लॉकडाउन से आर्थिक रूप से बेहद विपन्न हो गए हैं।
देश को एकता के सूत्र में बांधना चाहते हैं भागवत
संघ प्रमुख के बयान पर इसलिए हो-हल्ला कुछ ज्यादा मच रहा है क्योंकि अगले वर्ष उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब सहित पांच राज्यों में विधान सभा चुनाव होना है, जहां वोटों का ध्रुवीकरण काफी मायने रखता है।
कोरोना काल में अदालत
कोविड-19 के दौरान देश की अदालतों में प्रत्यक्ष रूप से मुकदमों की सुनवाई लगभग बंद है। अदालतें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आवश्यक मुकदमों की सुनवाई कर रही हैं।
सबसे ज्यादा अनाज पैदा करने के बावजूद सर्वाधिक कुपोषित भी भारत में ही हैं
कुपोषण और भुखमरी से जुड़ी वैश्विक रिपोर्ट न केवल चौंकाने बल्कि सरकारों की नाकामी को उजागर करने वाली ही होती हैं। विश्वभर की शासन-व्यवस्थाओं का नाकामी एवं शैतानों की शरणस्थली बनना एक शर्मनाक विवशता है।
मानवाधिकारों को लेकर सीजेआई का नजरिया
आजादी के 74 साल बाद भी देश की पुलिस नहीं बदली। उसका व्यवहार आज भी अंग्रेजों की पुलिस जैसा है। एक बार थाने पहुंच जाइए, सच्चाई सामने आ जाएगी।
भारतीय बैडमिंटन का जगमगाता सितारा हैं पुसरला वेंकट सिंधु
भारतीय बैडमिंटन की प्रिंसेस मानी जाने वाली पीवी सिंधु (पुसरला वेंकट सिंधु) ने टोक्यो ओलम्पिक में लगातार दूसरी बार पदक जीतकर इतिहास रच दिया। हालांकि 26 वर्षीया सिंधु को इस बार कांस्य पदक से ही संतोष करना पड़ा जबकि 2016 के रियो ओलम्पिक में उन्होंने रजत पदक जीता था।
अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए उद्योगों को रोजगार के अवसर तेजी से बढ़ाने होंगे
वर्ष 1947 में भारत की आजादी के तुरंत बाद भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र का योगदान लगभग 55 प्रतिशत पाया गया था, जो आज घटकर 16-18 प्रतिशत के बीच रह गया है, हालांकि देश में लगभग 60 प्रतिशत के आसपास आबादी आज भी गांवों में ही निवास करती है। वर्ष 1947 के बाद से आज सेवा क्षेत्र का योगदान 60 प्रतिशत से अधिक हो गया है।
इंटरनेट गेमों की खुमारी में गुम होता बचपन
आज इंटरनेट का दायरा इतना असीमित है कि अगर उसमें सारी सकारात्मक उपयोग की सामग्री उपलब्ध हैं तो बेहद नुकसानदेह, आपराधिक और सोचने-समझने की प्रक्रिया को बाधित करने वाली गतिविधियां भी बहुतायत में मौजूद हैं।
अफगानिस्तान में खरबों डॉलर झोंक कर भी क्यों हार गया अमेरिका ?
पिछले 20 वर्षों में तालिबान को बाहर करने के लिए अमेरिका ने अफगानिस्तान में खरबों डॉलर झौंक दिए हैं, यह एक ऐसा प्रयास था जो स्पष्ट रूप से असफल रहा। लेकिन देश की सामरिक भौगोलिक स्थिति और क्षेत्र की राजनीति (तालिबान के समर्थन सहित) पर एक नज़र हमें बताती है कि यह परिणाम होना ही था।
स्वतंत्रता के वास्तविक लक्ष्यों का प्रश्न
एक पक्ष अगर अपने मूल भारत के लक्ष्य से संघर्ष कर रहा था तो दूसरे का लक्ष्य अंग्रेजों को भगाकर स्वतंत्रता प्राप्त करना था। इन सबका बलिदान एक ही श्रेणी का था, लेकिन दृष्टि और लक्ष्य अलग-अलग थे। अगर स्वतंत्रता के 75वें वर्ष का मूल्यांकन इस आधार पर करें कि 15 अगस्त 1947 को अंग्रेज जिस दुरावस्था वाले भारत को छोड़ कर गए थे, उसकी तुलना में आज हम कहां खड़े हैं तो ज्यादातर मानक हमारे अंदर गर्व का अनुभव कराएंगे। आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक, वैज्ञानिक, यातायात, संचार, रक्षा, सुरक्षा, प्रशासन, हर क्षेत्र में हम आज उन पायदानों पर खड़े हैं, जिसकी कल्पना आजादी के समय विश्व तो छोडएि, स्वयं भारतीयों को नहीं थी। 193 करोड़ रुपये से पहला बजट पेश करने वाला भारत 27 लाख करोड़ के बजट वाला देश बना है तो कल्पना की जा सकती है कि कितनी बड़ी छलांग हमने लगाई है। 1962 में चीन के हाथों अपमानजनक पराजय झेलने वाले देश ने पिछले वर्ष गलवान घाटी में चीनी सैनिकों को जिस ढंग से मुंहतोड़ जवाब दिया, उससे बड़ा उदाहरण एक महत्वपूर्ण रक्षा शक्ति बन जाने का दूसरा नहीं हो सकता। पहले इंदिरा गांधी और फिर अटल बिहारी वाजपेयी ने नाभिकीय परीक्षण करके पूरी दुनिया को चौंका दिया तो नरेंद्र मोदी ने उपग्रहों को नष्ट करने की शक्ति का परीक्षण करके। स्वतंत्रता के समय अंग्रेजों सहित पश्चिमी विद्वानों ने भविष्यवाणी कर दी थी कि भारत में कभी संसदीय लोकतंत्र सफल नहीं हो सकता।
राम जन्मभूमि निर्माण के लिए जमीन खरीदी विवाद! घोटाला नहीं! वैधानिक पहलू!
उक्त विषय के "वैधानिक"पहलू पर चर्चा करें, उसके पूर्व चल रही कुछ आरोपप्रत्यारोपों की भी बात कर ली जाए। 12080 वर्गमीटर (1.2080 हेक्टेयर 100 बिस्वा) कीमत 2 करोड़ रूपए की जमीन कई गुना अधिक कीमत रुपए 18.50 करोड़ में खरीदने का सौदा किया जाकर भ्रष्टाचार व "मनी लॉन्ड्रिंग" का आरोप लगाया गया। ये आरोप नितांत बचकाने पूर्ण तथ्यों के विपरीत, आधारहीन व राजनीति से प्रेरित से दिखते है। कारण, इस सौदे के पैसे के लेन-देन में सरकार या सरकारी अधिकारी अधिकारियों की सीधे कोई भूमिका नहीं है। इसलिए दो निजी व्यक्ति यों या संस्थान के बीच हुए सौदे पर "भ्रष्टाचार का कानून लागू नहीं होता है। जहाँ तक मनी लॉन्ड्रिंग का सवाल है, यह अवैध रूप से प्राप्त धनराशी को छुपाने का एक तरीका है। इसके प्रत्युत्तर में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का यह स्पष्ट कथन है कि पूरा भुगतान ऑनलाइन बैंक के द्वारा हुआ है। इसलिए "गड़बड़झाला" का कोई प्रश्न ही उत्पन्न नहीं होता है। यहां तक तो बात बिलकुल ठीक है।