काफी साल पहले दादाजी ने इसी शहर में अपने रहने के लिए एक घर बनाया था. बढ़ते परिवार की जरूरत के लिए वह अब छोटा पड़ने लगा था. अमय चाहता था कि उस का भी उस के दोस्तों जैसा एक अलग सुसज्जित कमरा हो, जिस में उस की जरूरत की सारी चीजें हों. यह घर भी अच्छा था, लेकिन पुराने स्टाइल का था. अब हर कोई आधुनिक गैजेट्स से सुसज्जित एक नया घर चाहता था. अमय के जिद करने पर दादाजी नया घर बनाने के लिए तैयार हो गए थे. जल्दी ही उन का घर बन कर तैयार होने वाला था.
अमय कभीकभी दादाजी के साथ बन रहे नए घर को देखने चला जाता. उसे नए घर में शिफ्ट होने का बड़ी बेसब्री से इंतजार था. आज स्कूल से आ कर खाना खाते हुए उस ने पूछा, “दादाजी, हम नए घर में कब शिफ्ट होंगे? जितना जल्दी हो सके, मैं वहां जाना चाहता हूं."
“हम बहुत जल्दी चले जाएंगे, अमय अभी वहां थोड़ा काम बाकी है."
"तब हम इस घर का क्या करेंगे, दादाजी?”
“इसे मैं किसी को नहीं दूंगा और जब भी मौका मिलेगा तब यहां आताजाता रहूंगा. यह घर भले ही पुराना हो गया है, पर इस के साथ मेरी काफी सारी यादें जुड़ी हैं. बेटा, यह बात तुम नहीं समझ सकोगे.”
“दादाजी, जब हम नए घर में रहेंगे तो वहां की भी खूब सारी यादें आप के साथ जुड़ जाएंगी,” अमय बोला तो दादाजी उस का मुंह देखने लगे.
उस की बात अपनी जगह एकदम सही थी, लेकिन यह तो दादाजी ही जानते थे कि इस घर ने मुसीबत के समय जो संघर्ष देखा था उसे किसी भी तरह भुलाया नहीं जा सकता था. तभी अमय की नजर दादाजी के कमरे में रखे बड़े से बक्से पर पड़ी. अमय को वह पुराना टिन का गंदा सा बक्सा बिलकुल अच्छा नहीं लगता था. उस ने कई बार दादाजी से उसे पेंट करवाने के लिए कहा, लेकिन वे तैयार नहीं हुए.
This story is from the February First 2024 edition of Champak - Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the February First 2024 edition of Champak - Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
अद्भुत दीवाली
जब छोटा मैडी बंदर स्कूल से घर आया तो वह हताश था. उसकी मां लता समझ नहीं पा रही थी कि उसे क्या हो गया है? सुबह जब वह खुशीखुशी स्कूल के लिए निकला था तो बोला, “मम्मी, शाम को हम खरीदारी करने के लिए शहर चलेंगे.\"
डिक्शनरी
बहुत से विद्वानों ने अलगअलग समय पर विभिन्न भाषाओं में डिक्शनरी बनाने का प्रयत्न किया, जिस से सभी को शब्दों के अर्थ खोजने में सुविधा हो. 1604 में रौबर्ट कौड्रे ने कड़ी मेहनत कर के अंग्रेजी भाषा के 3 हजार शब्दों का उन के अर्थ सहित संग्रह किया.
सिल्वर लेक की यादगार दीवाली
\"पटाखों के बिना दीवाली नहीं होती है,” ऋषभ ने नाराज हो कर कहा.
बच्चों के प्रिय चाचा नेहरू
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कहा था, \"मेरे पास वयस्कों के लिए भले ही समय न हो, लेकिन बच्चों के लिए पर्याप्त समय है.\"
दीवाली पोस्टर प्रतियोगिता
\"अरे जंपी, मैं ने सुना है कि हरितवन के राजा दीवाली पर बच्चों के लिए रंगोली प्रतियोगिता का आयोजन कर रहे हैं,\" चीकू खरगोश ने जंपी बंदर से कहा.
डागाजी की पटाखा दुकान
\"तुम हर दुकान पर जा कर पटाखों की कीमत क्यों पूछ रहे हो, विदित? तुम्हारे पापा ने तुम्हारे लिए पहले ही हजार रुपए के पटाखे खरीद लिए हैं, चलो, मुझे अभी दीये और मिठाई भी खरीदनी है,\" विदित की मां ने झल्लाते हुए कहा.
मोबाइल वाला चूहा
रिकी चूहा अपने बिल से बाहर निकला और किसी काम के लिए चल पड़ा. कैटी बिल्ली ने उसे देखा और पकड़ने के लिए दौड़ी, लेकिन रिकी उस से ज्यादा स्मार्ट निकला.
हैलोवीन कौस्ट्यूम पार्टी
नंदू हैलोवीन पार्टी के लिए सोहम के घर पहुंचने वाला पहला व्यक्ति था.
सीधा सादा सौदा
मणि ने जब उसने हौल में प्रवेश किया तो था 'को अपने दोस्तों के साथ बहस करते हुए सुना.
आइए, रोबोटिक्स मार्बल्स से मिलिए
वेआम किशोरों की तरह देख सकते हैं, लेकिन 10 बच्चों की यह टीम हाईस्कूल के छात्रों के लिए दुनिया की सब से रोबोटिक्स चुनौती है. 13 से 17 वर्ष की उम्र के प्रत्येक सदस्य ने 26 से 29 सितंबर को एथेंस ग्रीस में संपन्न हुए फर्स्ट ग्लोबल चैलेंज (एफजीसी) में टीम इंडिया का प्रतिनिधित्व किया.