कुछ महीने तो दोनों ने इधरउधर घूमते हुए और पेड़ों के नीचे सो कर बिताए, लेकिन जैसेजैसे सर्दी करीब आई, उन्हें घर की आवश्यकता महसूस हुई.
चीकू और जंपी ने एक छोटी सी पहाड़ी पर अपना घर बनाने का फैसला किया, जहां बाढ़ का पानी नहीं पहुंच सकता था. उन की नजरें उसी पहाड़ी पर टिकी थीं, जहां दूसरे जंगलवासियों के घर थे. उन्होंने वहां एक खाली प्लौट पर अपना नया घर बनाना शुरू कर दिया.
कुछ दिनों बाद जब वे काम कर रहे थे, तो ब्लैकी भालू उनके पास आया और बोला, "अरे, चीकू और जंपी, तुम यहां अपना घर क्यों बना रहे हो? क्या तुम्हें मालूम नहीं है कि इस पहाड़ी पर भूत रहता है?"
चीकू ने कहा, "ब्लैकी, हम भूतों पर विश्वास नहीं करते, लेकिन अगर यहां कोई भूत रहता है, तो हम तुम्हें भरोसा दिलाते हैं कि उसे परेशान नहीं करेंगे."
ब्लैक उन के जवाब से हैरान रह गया. उस ने उन्हें चेतावनी दी, “ऐसा लगता है कि तुम भूतों के बारे में नहीं जानते हो, तुम्हें नहीं मालूम कि वे कितने खतरनाक होते हैं."
"जब तुम वास्तव में किसी भूत का सामना करोगे, तब तुम्हें अहसास होगा."
चीकू ब्लैकी की चेतावनी पर मुसकराया और उस ने पूछा, "ब्लैकी, यह तो बताओ कि पहाड़ी भूत अब तक कितने जंगलवासियों को खा चुका है?"
ब्लैकी ने सवाल टालते हुए कहा, "हम पहाड़ी भूत को पीपल के पेड़ के नीचे बनी खोखली कोठरी में रोजाना स्वादिष्ठ भोजन देते हैं. इसलिए वह हमें नुकसान नहीं पहुंचाता."
चीकू ने हंसते हुए कहा, “तुम्हारा भूत बड़ा अजीब है, ब्लैकी. वह बहुत ज्यादा स्वादिष्ठ और नमकीन चीजों का मजा लेता है."
ब्लैकी यह कहते हुए चला गया, "तो फिर तुम जो चाहो करो, लेकिन अगर तुम हमारे साथ रहना चाहते हो, तो तुम्हें अपनी बारी आने पर भूत को खाना खिलाना होगा."
जंपी ने सहमति जताई, “वाकई, चीकू, यह तथाकथित भूत सब को धोखा दे रहा है." उन्होंने पहाड़ी भूत को बेनकाब करने और उसे सबक सिखाने की योजना बनाई.
कुछ दिनों बाद भूत को खाना पहुंचाने की बारी उन की पड़ोसी सैली गिलहरी की थी. सैली ने कई व्यंजन बनाए, लेकिन वह उन्हें अकेले नहीं ले जा सकती थी, इसलिए उस ने चीकू और जंपी से मदद करने के लिए कहा.
Bu hikaye Champak - Hindi dergisinin December First 2024 sayısından alınmıştır.
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रिटर्न गिफ्ट
\"डिंगो, बहुत दिन से हम ने कोई अच्छी पार्टी नहीं की है. कुछ करो दोस्त,\" गोल्डी लकड़बग्घा बोला.
चांद पर जाना
होशियारपुर के जंगल में डब्बू नाम का एक शरारती भालू रहता था. वह कभीकभी शहर आता था, जहां वह चाय की दुकान पर टीवी पर समाचार या रेस्तरां में देशदुनिया के बारे में बातचीत सुनता था. इस तरह वह अधिक जान कर और होशियार हो गया. वह स्वादिष्ठ भोजन का स्वाद भी लेता था, क्योंकि बच्चे उसे देख कर खुश होते थे और अपनी थाली से उसे खाना देते थे. डब्बू उन के बीच बैठता और उन के मासूम, क 'चतुर विचारों को अपना लेता.
चाय और छिपकली
पार्थ के पापा को चाय बहुत पसंद थी और वे दिन भर कई कप चाय पीने का मजा लेते थे. पार्थ की मां चाय नहीं पीती थीं. जब भी उस के पापा चाय पीते थे, उन के चेहरे पर अलग खुशी दिखाई देती थी.
शेरा ने बुरी आदत छोड़ी
दिसंबर का महीना था और चंदनवन में ठंड का मौसम था. प्रधानमंत्री शेरा ने देखा कि उन की आलीशान मखमली रजाई गीले तहखाने में रखे जाने के कारण उस पर फफूंद जम गई है. उन्होंने अपने सहायक बेनी भालू को बुलाया और कहा, \"इस रजाई को धूप में डाल दो. उस के बाद, तुम में उसके इसे अपने पास रख सकते हो. मैं ने जंबू जिराफ को अपने लिए एक नई रजाई डिजाइन करने के लिए बुलाया है. उस की रजाइयों की बहुत डिमांड है.\"
मानस और बिल्ली का बच्चा
अर्धवार्षिक परीक्षाएं समाप्त होने के बाद मानस को घर पर बोरियत होने लगी. उस ने जिद की कि उसे अपने साथ रहने के लिए कोई पालतू जानवर चाहिए, जो उस का साथ दे.
पहाड़ी पर भूत
चंपकवन में उस साल बहुत बारिश हुई थी. चीकू खरगोश और जंपी बंदर का घर भी बाढ़ के कारण बह गया था.
जो ढूंढ़े वही पाए
अपनी ठंडी, फूस वाली झोंपड़ी से राजी बाहर आई. उस के छोटे, नन्हे पैरों को खुरदरी, धूप से तपती जमीन झुलसा रही थी. उस ने सूरज की ओर देखा, वह अभी आसमान में बहुत ऊपर नहीं था. उस की स्थिति को देखते हुए राजी अनुमान लगाया कि लगभग 10 बज रहे होंगे.
एक कुत्ता जिस का नाम डौट था
डौट की तरह दिखने वाले कुत्ते चैन्नई की सड़कों पर बहुत अधिक पाए जाते हैं. दीया कभी नहीं समझ पाई कि आखिर क्यों उस जैसे एक खास कुत्ते ने जो किसी भी अन्य सफेद और भूरे कुत्ते की तरह हीथा, उस के दिल के तारों को छू लिया था.
स्कूल का संविधान
10 वर्षीय मयंक ने खाने के लिए अपना टिफिन खोला ही था कि उस के खाने की खुशबू पूरी क्लास में फैल गई.
तरुण की कहानी
\"कहानियां ताजी हवा के झोंके की तरह होनी चाहिए, ताकि वे हमारी आत्मा को शक्ति दें,” तरुण की दादी ने उस से कहा.