रिश्तेदारों के बीच की चुगली या एक-दूसरे के बारे में गॉसिप करना बेहद आम बात है, जिसका सामना हम सभी को कभी ना कभी करना पड़ता है। यों भी अपने परिवार, दोस्तों व कलीग्स के बारे में हम सब थोड़ी-बहुत गॉसिप तो करते ही हैं। यह आम इंसानी स्वभाव है कि हमें दूसरों की जिंदगी में क्या चल रहा है, इस बारे में बहुत रुचि रहती है। सोशल साइकोलॉजिकल एंड पर्सनेलिटी साइंस जर्नल में छपी एक रिपोर्ट को सच मानें, तो एक आम इंसान दिनभर में कम से कम 52 बार तक गॉसिप करता है। यह अध्ययन 467 लोगों पर कई दिनों तक किया गया। इसमें यह भी पाया गया कि इन लोगों की ज्यादातर बातचीत या गॉसिप सिर्फ सामान्य बातचीत तक ही सीमित थी । वे पूरे परिवार के बारे में जानने को उत्सुक तो थे, पर यह गॉसिप नेगेटिव या पॉजिटिव नहीं थी। इस बारे में अमेरिका के नॉक्स कॉलेज के साइकोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. फ्रैंक एंड्रयू का कहना है, "हम इंसानों में यह बेहद स्वाभाविक सी बात है कि जो लोग हमारे लिए महत्व रखते हैं या फिर हमारे जीवन से जुड़े होते हैं, उनके जीवन में क्या चल रहा है, यह जानने की जिज्ञासा हमारे मन में बनी रहती है। अमूमन गॉसिप करने को बुरा माना जाता है, पर ऐसा नहीं है। आप किसी की उपलब्धि के बारे में बात करते हुए उसकी तारीफ कर रहे हैं, तो वह भी गॉसिप का ही एक हिस्सा है। अपने दोस्तों व रिश्तेदारों के साथ किसी तरह की जानकारी शेअर करना, आपसी संबंधों को मजबूत बनाती है। गॉसिपिंग को एक सोशल स्किल माना जाता है। यह पारिवारिक रिश्ते मजबूत करने का एक बेहतरीन माध्यम है।"
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