सीवान बिहार का एक मझोले आकार का कस्बेनुमा शहर है. यह जिला देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की जन्मभूमि है. हाल तक इस शहर की पहचान यहां के दबंग राजनेता मोहम्मद शहाबुद्दीन और यहां से खाड़ी देशों में जाकर काम करने वाले कुशल मजदूरों की वजह से रही है. मगर पिछले दिनों से इस शहर का नाम बार-बार केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी रोजाना के वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एक्यूआइ की सूची में सबसे ऊपर के शहरों में नजर आ रहा है.
330, 366, 401, 000 (अनुपलब्ध), 402, 38 5, 400, 401, 384, 432. ये पिछले दस दिनों (18-27 नवबंर, 2022) के सीवान शहर के वायु गुणवत्ता सूचकांक के आंकड़े हैं. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मानकों को देखा जाए तो इनमें से पांच दिन सीवान शहर की आबोहवा सीवियर यानी काफी गंभीर रही है और चार दिन बहुत खराब, एक दिन का आंकड़ा उपलब्ध नहीं है. ये आंकड़े तकरीबन वैसे ही हैं, जिनके आधार पर देश की राजधानी दिल्ली में स्कूल बंद कर दिए जाते हैं, ट्रकों की आवाजाही रोक दी जाती है, सभी निर्माण कार्य बंद कर दिए जाते हैं और जरूरत पड़ने पर ऑड-इवन स्कीम लागू कर दी जाती है. मगर सीवान शहर में स्थानीय प्रशासन ने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया है.
ये हालात सिर्फ सीवान शहर के नहीं हैं. बिहार में आठ शहर ऐसे हैं, जिनकी आबोहवा पिछले दस दिनों में गंभीर स्थिति में पहुंच गई है. बेतिया और मोतिहारी शहर का एक्यूआइ चार दफा 400 के पार चला गया है. पूर्णिया शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक तीन और बेगूसराय- दरभंगा का दो और कटिहार-बक्सर का एक-एक दिन 400 की खतरनाक सीमा को लांघ चुका है. इतना ही नहीं, इन दस दिनों में कम से कम छह दफा ऐसा हुआ है जब देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में दस के दस बिहार के ही शहर रहे हैं. बाकी बचे चार दिनों में भी स्थिति बहुत बेहतर नहीं है. इनमें भी दस में से नौ शहर बिहार के नजर आते हैं. इन दस दिनों में एक भी दिन ऐसा नहीं गुजरा जब सबसे प्रदूषित शीर्ष सात शहरों में बिहार के अलावा किसी और राज्य के शहर का नाम हो.
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