छत्तीसगढ़ में चुनावी माहौल बन गया है. ऐसे में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल दोस्त बनाने और लोगों का दिल जीतने निकल पड़े हैं. इसलिए कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने जब पार्टी में उनके ही प्रतिद्वंद्वी स्वास्थ्य मंत्री टी.एस. सिंहदेव को उप-मुख्यमंत्री बनाया, तो उन्होंने बाकायदा इस पहल का स्वागत किया.
कांग्रेस आलाकमान ने 28 जून को नई दिल्ली में एक बैठक बुलाई, जिसमें बघेल, सिंहदेव और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मोहन मरकाम समेत छत्तीसगढ़ के 16 शीर्ष नेताओं को आमंत्रित किया. मकसद था नवंबर में होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव की रणनीति बनाना और बैठक में शामिल होने वाले नेताओं के बीच टलते आ रहे मुद्दों को सुलझाना. बघेल, सिंहदेव और मरकाम की तिकड़ी के बीच छिड़ी जंग ऐसा ही एक मुद्दा था. सिंहदेव ने अपनी शिकायतें सामने रखीं. सबसे बड़ी तो यही थी कि जिस उत्तर छत्तीसगढ़ में उन्होंने 2018 में जीत के लिए तब राज्य पार्टी के प्रमुख बघेल के साथ मिलकर काम किया था, वहीं उन्हें कमजोर किया जा रहा है. सिंहदेव ने शिकायत पहले भी की थी पर पार्टी ने ध्यान नहीं दिया. इस बार कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने न केवल उनकी बात सुनी बल्कि इनाम भी दिया. पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सिंहदेव को पदोन्नत करके उप-मुख्यमंत्री बनाने का ऐलान किया, जो स्वाभाविक तौर पर उनके और बघेल के बीच मतभेद सुलझाने की कोशिश थी. इरादा यही था कि अंतर्कलह का फायदा भाजपा न उठा पाए. अलबत्ता मरकाम के मामले में फैसले का अभी इंतजार है, जिन्होंने पार्टी संगठन में फेरबदल करके कइयों को नाराज कर दिया है.
बघेल ने 2018 में राज्य कांग्रेस प्रमुख के तौर पर छत्तीसगढ़ में 90 में से 68 सीटें दिलाकर पार्टी की सबसे शानदार जीत की अगुआई की थी. चार महीने के भीतर उन्हें अपने काम पर जनमत संग्रह का सामना करना है. भाजपा दावा कर रही है कि भ्रष्टाचार चरम पर है, निवेशक छत्तीसगढ़ से किनारा कर रहे हैं और राज्य 2018 से भी पीछे चला गया है. वहीं बघेल की जीत की रणनीति के केंद्र में कृषि क्षेत्र है, जिसमें थोड़े-से नरम हिंदुत्व, गौ सियासत और जाति तथा समुदायों को साधने की चतुर पैंतरेबाजी का तड़का लगा है. क्या उनकी कोशिश रंग लाएगी?
This story is from the July 19, 2023 edition of India Today Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the July 19, 2023 edition of India Today Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
मिले सुर मेरा तुम्हारा
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता संगीतकार अमित त्रिवेदी अपने ताजा गैर फिल्मी और विधा विशेष से मुक्त एल्बम आजाद कोलैब के बारे में, जिसमें 22 कलाकार शामिल
इंसानों की सोहबत में आलसी और बीमार
पालतू जानवर अपने इंसानी मालिकों की तरह ही लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों का शिकार हो रहे हैं और उन्हें वही मेडिकल केयर मिल रही है. इसने पालतू जानवरों के लिए सुपर स्पेशलाइज्ड सर्जरी और इलाज के इर्द-गिर्द एक पूरी इंडस्ट्री को जन्म दिया
शहरी छाप स लौटी रंगत
गुजराती सिनेमा दर्शक और प्रशंसा बटोर रहा है क्योंकि इसके कथानक और दृश्य ग्रामीण परिवेश के बजाए अब शहरी जीवन के इर्द-गिर्द गूंथे जा रहे हैं. हालांकि सीमित संसाधन और बंटे हुए दर्शक अब भी चुनौती बने हुए हैं
चट ऑर्डर, पट डिलिवरी का दौर
भारत का खुदरा बाजार तेजी से बदल रहा है क्योंकि क्विक कॉमर्स ने तुरंत डिलिवरी के साथ पारंपरिक खरीदारी में उथल-पुथल मचा दी है. रिलायंस जियो, फ्लिपकार्ट और अमेजन जैसे कॉर्पोरेट दिग्गजों के इस क्षेत्र में उतरने से स्पर्धा तेज हो गई है जिससे अंत में ताकत ग्राहक के हाथ में ही दिख रही
'एटम बम खुद फैसले नहीं ले सकता था, एआइ ले सकता है”
इतिहास के प्रोफेसर और मशहूर पब्लिक इंटेलेक्चुअल युवाल नोआ हरारी एक बार फिर चर्चा में हैं. एआइ के रूप में मानव जाति के सामने आ खड़े हुए भीषण खतरे के प्रति आगाह करती उनकी ताजा किताब नेक्सस ने दुनिया भर के बुद्धिजीवियों का ध्यान खींचा है.
सरकार ने रफ्ता-रफ्ता पकड़ी रफ्तार
मुख्यमंत्री सिद्धरामैया उपचुनाव में कांग्रेस के शानदार प्रदर्शन की बदौलत राजनैतिक चुनौतियों से निबटने लोगों का विश्वास बहाल करने और विकास तथा कल्याण की महत्वाकांक्षी योजनाओं पर दे रहे जोर
हम दो हमारे तीन!
जनसंख्या में गिरावट की आशंकाओं ने परिवार नियोजन पर बहस को सिर के बल खड़ा कर दिया है, क्या परिवार बड़ा बनाने के पैरोकारों के पास इसकी वाजिब वजहें और दलीलें हैं ?
उमरता कट्टरपंथ
बांग्लादेश में हिंदुओं का उत्पीड़न जारी है, दूसरी ओर इस्लामी कट्टरपंथ तेजी से उभार पर है. परा घटनाक्रम भारत के लिए चिंता का सबब
'इससे अच्छा तो झाइदारिन ही थे हम'
गया शहर के माड़रपुर में गांधी चौक के पास एक बैटरी रिक्शे पर बैठी चिंता देवी मिलती हैं. वे बताती हैं कि वे कचहरी जा रही हैं. उनके पास अपनी कोई सवारी नहीं है, सरकार की तरफ से भी कोई वाहन नहीं मिला है.
डीएपी की किल्लत का जिम्मेदार कौन?
3त्तर प्रदेश में आजमगढ़ के किसान वैसे तो कई दिनों से परेशान थे लेकिन 11 दिसंबर को उन्होंने डीएपी यानी डाइअमोनियम फॉस्फेट खाद उपलब्ध कराने की गुहार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंचा दी.