राम मोरी भावनगर के छोटे-से गांव से दशक भर पहले अहमदाबाद आए. उनकी आंखों में एक ही सपना था- गुजराती सीरियल लिखना. तब उन्हें जरा अंदाज नहीं था कि न केवल उनका कैलेंडर अगले तीन साल के लिए प्रोजेक्ट से खचाखच भरा होगा बल्कि उनकी एक फिल्म राष्ट्रीय वाहवाही भी बटोरेगी. मोरी कच्छ एक्सप्रेस के संवाद लिखे थे और अक्तूबर 2024 में इसने बेस्ट एक्ट्रेस और कॉस्ट्यूम डिजाइन सहित तीन राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीते. कच्छ में शूट हुई इस फिल्म में एक ऐसी महिला की कहानी है जो पति से धोखा खाने के बाद पारंपरिक कला रूप लिप्पन में अपनी आवाज खोजती है. यह उन कई उदाहरणों में से एक है जो बताते हैं कि गुजराती फिल्म इंडस्ट्री पुनरुद्धार के दौर में है. तभी तो 2023 से छह फिल्में बॉक्स ऑफिस पर हिट हुई हैं (देखें: कमाऊ फिल्में). 2024 की बेहद कामयाब हिंदी फिल्म शैतान उन्हीं में से एक- सुपर नेचुरल हॉरर फिल्म वश (2023 ) - की रीमेक थी. दूसरी फिल्मों ने भी आलोचकों की वाहवाही लूटी. मसलन, फिल्मों के मोहपाश में फंसकर बड़े होते बच्चे की कहानी बयान करती ड्रामा फिल्म छेलो शो, जिसने दो राष्ट्रीय पुरस्कार जीते और 2023 में बेस्ट इंटरनेशनल फीचर फिल्म की श्रेणी में ऑस्कर की शॉर्टलिस्ट में जगह बनाई. गेमचेंजर फिल्म केवी रीते जैश (मैं कैसे जाऊंगा) 2012 में आई. दिव्यांग ठाकुर और वेरोनिका गौतम अभिनीत इस ड्रामा फिल्म ने अमेरिका जाकर कामयाबी का पीछा करने की अनिवार्य गुजराती चाह को छुआ. तब तक गुजराती फिल्में मुख्यतः ग्रामीण दर्शकों को ध्यान में रखकर बनाई जाती थीं, बावजूद इसके कि राज्य में तेजी से शहरीकरण हो रहा था. मोरी कहते हैं, "केवी रीते जैश ने गुजराती रचनाकारों को शहरी दर्शकों को आकर्षित करने की संभावना के बारे में सचेत किया, जिन्हें तब तक बॉलीवुड का वफादार माना जाता था." इसके साथ ही 'शहरी गुजराती फिल्म उद्योग' का जन्म हुआ.
बदलता सीन
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मिले सुर मेरा तुम्हारा
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता संगीतकार अमित त्रिवेदी अपने ताजा गैर फिल्मी और विधा विशेष से मुक्त एल्बम आजाद कोलैब के बारे में, जिसमें 22 कलाकार शामिल
इंसानों की सोहबत में आलसी और बीमार
पालतू जानवर अपने इंसानी मालिकों की तरह ही लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों का शिकार हो रहे हैं और उन्हें वही मेडिकल केयर मिल रही है. इसने पालतू जानवरों के लिए सुपर स्पेशलाइज्ड सर्जरी और इलाज के इर्द-गिर्द एक पूरी इंडस्ट्री को जन्म दिया
शहरी छाप स लौटी रंगत
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चट ऑर्डर, पट डिलिवरी का दौर
भारत का खुदरा बाजार तेजी से बदल रहा है क्योंकि क्विक कॉमर्स ने तुरंत डिलिवरी के साथ पारंपरिक खरीदारी में उथल-पुथल मचा दी है. रिलायंस जियो, फ्लिपकार्ट और अमेजन जैसे कॉर्पोरेट दिग्गजों के इस क्षेत्र में उतरने से स्पर्धा तेज हो गई है जिससे अंत में ताकत ग्राहक के हाथ में ही दिख रही
'एटम बम खुद फैसले नहीं ले सकता था, एआइ ले सकता है”
इतिहास के प्रोफेसर और मशहूर पब्लिक इंटेलेक्चुअल युवाल नोआ हरारी एक बार फिर चर्चा में हैं. एआइ के रूप में मानव जाति के सामने आ खड़े हुए भीषण खतरे के प्रति आगाह करती उनकी ताजा किताब नेक्सस ने दुनिया भर के बुद्धिजीवियों का ध्यान खींचा है.
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मुख्यमंत्री सिद्धरामैया उपचुनाव में कांग्रेस के शानदार प्रदर्शन की बदौलत राजनैतिक चुनौतियों से निबटने लोगों का विश्वास बहाल करने और विकास तथा कल्याण की महत्वाकांक्षी योजनाओं पर दे रहे जोर
हम दो हमारे तीन!
जनसंख्या में गिरावट की आशंकाओं ने परिवार नियोजन पर बहस को सिर के बल खड़ा कर दिया है, क्या परिवार बड़ा बनाने के पैरोकारों के पास इसकी वाजिब वजहें और दलीलें हैं ?
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बांग्लादेश में हिंदुओं का उत्पीड़न जारी है, दूसरी ओर इस्लामी कट्टरपंथ तेजी से उभार पर है. परा घटनाक्रम भारत के लिए चिंता का सबब
'इससे अच्छा तो झाइदारिन ही थे हम'
गया शहर के माड़रपुर में गांधी चौक के पास एक बैटरी रिक्शे पर बैठी चिंता देवी मिलती हैं. वे बताती हैं कि वे कचहरी जा रही हैं. उनके पास अपनी कोई सवारी नहीं है, सरकार की तरफ से भी कोई वाहन नहीं मिला है.
डीएपी की किल्लत का जिम्मेदार कौन?
3त्तर प्रदेश में आजमगढ़ के किसान वैसे तो कई दिनों से परेशान थे लेकिन 11 दिसंबर को उन्होंने डीएपी यानी डाइअमोनियम फॉस्फेट खाद उपलब्ध कराने की गुहार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंचा दी.