शहरी छाप स लौटी रंगत
India Today Hindi|December 25, 2025
गुजराती सिनेमा दर्शक और प्रशंसा बटोर रहा है क्योंकि इसके कथानक और दृश्य ग्रामीण परिवेश के बजाए अब शहरी जीवन के इर्द-गिर्द गूंथे जा रहे हैं. हालांकि सीमित संसाधन और बंटे हुए दर्शक अब भी चुनौती बने हुए हैं
जुमाना शाह
शहरी छाप स लौटी रंगत

राम मोरी भावनगर के छोटे-से गांव से दशक भर पहले अहमदाबाद आए. उनकी आंखों में एक ही सपना था- गुजराती सीरियल लिखना. तब उन्हें जरा अंदाज नहीं था कि न केवल उनका कैलेंडर अगले तीन साल के लिए प्रोजेक्ट से खचाखच भरा होगा बल्कि उनकी एक फिल्म राष्ट्रीय वाहवाही भी बटोरेगी. मोरी कच्छ एक्सप्रेस के संवाद लिखे थे और अक्तूबर 2024 में इसने बेस्ट एक्ट्रेस और कॉस्ट्यूम डिजाइन सहित तीन राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीते. कच्छ में शूट हुई इस फिल्म में एक ऐसी महिला की कहानी है जो पति से धोखा खाने के बाद पारंपरिक कला रूप लिप्पन में अपनी आवाज खोजती है. यह उन कई उदाहरणों में से एक है जो बताते हैं कि गुजराती फिल्म इंडस्ट्री पुनरुद्धार के दौर में है. तभी तो 2023 से छह फिल्में बॉक्स ऑफिस पर हिट हुई हैं (देखें: कमाऊ फिल्में). 2024 की बेहद कामयाब हिंदी फिल्म शैतान उन्हीं में से एक- सुपर नेचुरल हॉरर फिल्म वश (2023 ) - की रीमेक थी. दूसरी फिल्मों ने भी आलोचकों की वाहवाही लूटी. मसलन, फिल्मों के मोहपाश में फंसकर बड़े होते बच्चे की कहानी बयान करती ड्रामा फिल्म छेलो शो, जिसने दो राष्ट्रीय पुरस्कार जीते और 2023 में बेस्ट इंटरनेशनल फीचर फिल्म की श्रेणी में ऑस्कर की शॉर्टलिस्ट में जगह बनाई. गेमचेंजर फिल्म केवी रीते जैश (मैं कैसे जाऊंगा) 2012 में आई. दिव्यांग ठाकुर और वेरोनिका गौतम अभिनीत इस ड्रामा फिल्म ने अमेरिका जाकर कामयाबी का पीछा करने की अनिवार्य गुजराती चाह को छुआ. तब तक गुजराती फिल्में मुख्यतः ग्रामीण दर्शकों को ध्यान में रखकर बनाई जाती थीं, बावजूद इसके कि राज्य में तेजी से शहरीकरण हो रहा था. मोरी कहते हैं, "केवी रीते जैश ने गुजराती रचनाकारों को शहरी दर्शकों को आकर्षित करने की संभावना के बारे में सचेत किया, जिन्हें तब तक बॉलीवुड का वफादार माना जाता था." इसके साथ ही 'शहरी गुजराती फिल्म उद्योग' का जन्म हुआ.

बदलता सीन

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