जिनकी सुबह और शाम एक कप कॉफी से होती है, जिनके लिए स्टारबक्स में अमेरिकानो, कैपुचीनो या लाटे, ब्लू टोकाई और देश में कॉफी के शौकीनों की ताजा पसंद थर्ड वेव है, उनके लिए कॉफी का स्वाद पिछले साल भी वैसा ही रहा. लेकिन देश के कॉफी बागान मालिकों के लिए ये स्वाद कसैला हो गया क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों में गिरावट के साथ अनिश्चित मौसम और कम घरेलू पैदावार से लागत निकालना ही मुश्किल हो गया. ऐसे ही हालात से जूझने वालों में एक सतीश ए. टी. हैं, जो कर्नाटक के पश्चिमी घाट में स्थित सकलेशपुर के एक कॉफी बागान मालिक हैं. यहां से देश के कॉफी की 70 फीसद पैदावार निकलती है. लाखों रुपए का बैंक कर्ज न चुका पाने के चक्कर में सतीश को गिरवी रखी अपनी जमीन गंवानी पड़ी. लेकिन अब आइए 2024 में. सतीश के सामने एकदम नए हालात हैं. कॉफी की कीमतों में रिकॉर्ड उछाल से उत्साहित होकर उन्होंने 17 लाख रुपए के एकमुश्त भुगतान से एक नई कार भी खरीद ली है. अपनी जमीन के बारे में वे कहते हैं," अगर यह परिस्थिति पिछले साल होती तो मैं अपनी जमीन बचा सकता था."
कॉफी उद्योग के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, वियतनाम में सूखे के चलते रोबस्टा (कॉफी के पौधे की एक किस्म) की आपूर्ति में आई कमी के कारण कॉफी की मौजूदा कीमतों में बढ़ोतरी हुई है. ब्राजील के साथ वियतनाम दुनिया भर में कॉफी उपज का 70 फीसद आपूर्ति करता है. हालांकि कॉफी की कीमतें हमेशा घटती-बढ़ती रहती हैं. इन देशों में मौसम की अनिश्चितताओं के आधार पर हर कुछ वर्षों में उछाल और गिरावट आती है. लेकिन उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि पहली रोबस्टा की पैदावार इसकी बड़ी वजह बनी है.
This story is from the July 10, 2024 edition of India Today Hindi.
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