मोहिब्बुल्लाह नदवी, 48 वर्ष | समाजवादी पार्टी रामपुर, उत्तर प्रदेश
एक हद तक कहें तो आप उनको ऐसा मुस्लिम कार्ड बता सकते हैं जिसने मुस्लिम कार्ड खेलने वालों को ही खेल से बाहर कर दिया. दिल्ली के इमाम, नदवी 'बाहरी' थे जिनको सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने स्थानीय दिग्गज आजम खान की इच्छा के विपरीत मैदान में उतारा. नदवी अपनी जड़ों-वे रामपुर के एक गांव में जन्मे हैं- का फायदा उठाने में कामयाब रहे और अपनी मौलवी की छवि के बल पर जीत हासिल कर ली. मुस्लिम सांसद अक्सर नमाज के लिए संसद के नजदीक उस मस्जिद में जाते रहे हैं, जहां वे 2005 से इमाम थे. अब नदवी भी वहां नमाज के लिए जाएंगे.
सतपाल ब्रह्मचारी, 60 वर्ष | कांग्रेस | सोनीपत, हरियाणा
जब उन्हें टिकट मिला तो लोग चौंक गए और जब वे जीते तो और ज्यादा चौंक उठे. पिछली दो बार भाजपा ने समूचे गैर-जाट व्यूहरचना के बल पर सोनीपत में जाटों की घेराबंदी में कामयाबी पा ली थी, यहां तक कि 2019 में पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर हुड्डा भी हार गए. ब्राह्मण महंत देश की सबसे पुरानी पार्टी के लिए दैवीय चमत्कार बनकर आए. उनके हरिद्वार में दो, जींद में दो और पुश्तैनी गांव गांगोली में एक आश्रम है. हुड्डा का आकलन था कि उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में दोबार की नाकाम कोशिशों के बाद घर लौटे ब्रह्मचारी स्थानीय भक्तों की पर्याप्त भीड़ खींचेंगे. इसमें जाटों की एकजुटता जोड़ दीजिए. जाहिर है, मंत्र काम कर गया.
मियां अल्ताफ अहमद लाखी, 66 वर्ष नेशनल कॉन्फ्रेंस अनंतनाग-राजौरी, जम्मू-कश्मीर
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मिले सुर मेरा तुम्हारा
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