सी. एन. मंजूनाथ, 66 वर्ष | भाजपा | बंगलौर ग्रामीण, कर्नाटक
जब डॉ. मंजूनाथ ने राजनीति की राह चुनी तो उनका चुनावी सफर सफल होना तय ही था. जाने-माने हृदय रोग विशेषज्ञ और पद्मश्री से सम्मानित मंजूनाथ ने दो बार के सांसद डी.के. सुरेश को हराया, जो कर्नाटक के ताकतवर उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार के भाई हैं. बैलून मिट्रल वाल्वुलोप्लास्टी में अपनी खास 'मंजूनाथ तकनीक' के लिए ख्यात इस मृदुभाषी डॉक्टर ने बतौर निदेशक अपने 18 वर्ष के कार्यकाल के दौरान श्री जयदेव इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोवैस्कुलर साइंसेज ऐंड रिसर्च का कायापलट करके उसे एशिया के प्रमुख हृदय रोग संस्थानों में से एक बना दिया. पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा के दामाद मंजूनाथ ने इसकी बेहतरीन मिसाल भी पेश की कि कैसे एक सरकारी हृदय रोग संस्थान भी कम खर्च पर विश्वस्तरीय चिकित्सा सेवाएं प्रदान कर सकता है. इससे कर्नाटक में स्वास्थ्य सेवा की पहुंच में बदलाव आया है.
संबित पात्रा, 50 वर्ष | भाजपा | पुरी, ओडिशा
पेशे से सर्जन संबित पात्रा कुछ समय के लिए दिल्ली के हिंदू राव अस्पताल में चिकित्सा अधिकारी रहे थे. हालांकि, भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता के तौर पर उनकी भूमिका ने उन्हें टीवी पर जानापहचाना चेहरा बना दिया, जो अक्सर अपनी हाजिर जवाबी और आक्रामक टिप्पणी की वजह से सुर्खियों में रहते हैं. 2012 में दिल्ली नगर निगम चुनाव में भाजपा पार्षद के उम्मीदवार के तौर पर पहला चुनाव हारने से लेकर दूसरे प्रयास में ओडिशा के प्रतिष्ठित पुरी निर्वाचन क्षेत्र में जीत हासिल करने तक, पात्रा का सियासी सफर काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है.
राज भूषण चौधरी, 47 वर्ष | भाजपा | मुजफ्फरपुर, बिहार
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