लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन ने जिस तरह से उत्तर प्रदेश के सियासी मैदान में आरक्षण और संविधान का मुद्दा उठाया था, उसकी काट खोजने में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को नाकों चने चबाने पड़ गए थे. चुनाव में विपक्ष का मुद्दा जमकर हावी रहा और जब नतीजे आए तो यूपी में भाजपा पिछली बार से करीब आधी 33 सीटों पर सिमट गई. चुनाव नतीजों के बीच योगी आदित्यनाथ सरकार को विपक्ष के साथ अपनी सहयोगी अपना दल (एस) की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल और अपने ही उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से आरक्षण के मुद्दे पर सवालों की बौछार का सामना करना पड़ा. चुनाव बाद बदली परिस्थितियों ने लखनऊ के इकोगार्डन में सहायक शिक्षक भर्ती में आरक्षण की गड़बड़ी का आरोप लगाकर करीब डेढ़ वर्ष से धरना दे रहे अभ्यर्थियों के लिए समाधान की उम्मीद जगाई थी.
इसी बीच 29 जुलाई को लखनऊ में भाजपा के प्रदेश ओबीसी मोर्चा की कार्यकारिणी बैठक में मुख्यमंत्री ने दावा किया कि आरक्षण नीति में निर्धारित सीमा से ज्यादा ओबीसी छात्रों की भर्ती की गई. उन्होंने कहा, "69,000 शिक्षकों की भर्ती पर सवाल उठ रहे हैं. ये लोग समाजवादी पार्टी के वही मोहरे हैं, जिन्होंने 86 में से 56 पदों पर एक ही परिवार और एक खास जाति के लोगों को भर दिया था. अगर 69,000 शिक्षकों की भर्ती में आरक्षण के हिसाब से 27 प्रतिशत ओबीसी की भर्ती होती, तो 18,200 की भर्ती होती...लेकिन 31,500 युवाओं की भर्ती की गई. उन्हें इस बात की चिंता है." इसके करीब 15 दिन बाद आए इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के निर्णय ने आरक्षण के मुद्दे पर योगी सरकार के रुख पर सवाल खड़े कर दिए. न्यायमूर्ति ए. आर. मसूदी और न्यायमूर्ति बी. आर. सिंह की खंडपीठ ने 13 अगस्त को फैसला और आदेश पारित किया. इसमें 13 मार्च, 2023 के एकल न्यायाधीश पीठ के फैसले को चुनौती देने वाले उम्मीदवारों की ओर से मामले में दायर 91 विशेष अपीलों का निबटारा किया गया.
This story is from the September 11, 2024 edition of India Today Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the September 11, 2024 edition of India Today Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
मिले सुर मेरा तुम्हारा
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता संगीतकार अमित त्रिवेदी अपने ताजा गैर फिल्मी और विधा विशेष से मुक्त एल्बम आजाद कोलैब के बारे में, जिसमें 22 कलाकार शामिल
इंसानों की सोहबत में आलसी और बीमार
पालतू जानवर अपने इंसानी मालिकों की तरह ही लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों का शिकार हो रहे हैं और उन्हें वही मेडिकल केयर मिल रही है. इसने पालतू जानवरों के लिए सुपर स्पेशलाइज्ड सर्जरी और इलाज के इर्द-गिर्द एक पूरी इंडस्ट्री को जन्म दिया
शहरी छाप स लौटी रंगत
गुजराती सिनेमा दर्शक और प्रशंसा बटोर रहा है क्योंकि इसके कथानक और दृश्य ग्रामीण परिवेश के बजाए अब शहरी जीवन के इर्द-गिर्द गूंथे जा रहे हैं. हालांकि सीमित संसाधन और बंटे हुए दर्शक अब भी चुनौती बने हुए हैं
चट ऑर्डर, पट डिलिवरी का दौर
भारत का खुदरा बाजार तेजी से बदल रहा है क्योंकि क्विक कॉमर्स ने तुरंत डिलिवरी के साथ पारंपरिक खरीदारी में उथल-पुथल मचा दी है. रिलायंस जियो, फ्लिपकार्ट और अमेजन जैसे कॉर्पोरेट दिग्गजों के इस क्षेत्र में उतरने से स्पर्धा तेज हो गई है जिससे अंत में ताकत ग्राहक के हाथ में ही दिख रही
'एटम बम खुद फैसले नहीं ले सकता था, एआइ ले सकता है”
इतिहास के प्रोफेसर और मशहूर पब्लिक इंटेलेक्चुअल युवाल नोआ हरारी एक बार फिर चर्चा में हैं. एआइ के रूप में मानव जाति के सामने आ खड़े हुए भीषण खतरे के प्रति आगाह करती उनकी ताजा किताब नेक्सस ने दुनिया भर के बुद्धिजीवियों का ध्यान खींचा है.
सरकार ने रफ्ता-रफ्ता पकड़ी रफ्तार
मुख्यमंत्री सिद्धरामैया उपचुनाव में कांग्रेस के शानदार प्रदर्शन की बदौलत राजनैतिक चुनौतियों से निबटने लोगों का विश्वास बहाल करने और विकास तथा कल्याण की महत्वाकांक्षी योजनाओं पर दे रहे जोर
हम दो हमारे तीन!
जनसंख्या में गिरावट की आशंकाओं ने परिवार नियोजन पर बहस को सिर के बल खड़ा कर दिया है, क्या परिवार बड़ा बनाने के पैरोकारों के पास इसकी वाजिब वजहें और दलीलें हैं ?
उमरता कट्टरपंथ
बांग्लादेश में हिंदुओं का उत्पीड़न जारी है, दूसरी ओर इस्लामी कट्टरपंथ तेजी से उभार पर है. परा घटनाक्रम भारत के लिए चिंता का सबब
'इससे अच्छा तो झाइदारिन ही थे हम'
गया शहर के माड़रपुर में गांधी चौक के पास एक बैटरी रिक्शे पर बैठी चिंता देवी मिलती हैं. वे बताती हैं कि वे कचहरी जा रही हैं. उनके पास अपनी कोई सवारी नहीं है, सरकार की तरफ से भी कोई वाहन नहीं मिला है.
डीएपी की किल्लत का जिम्मेदार कौन?
3त्तर प्रदेश में आजमगढ़ के किसान वैसे तो कई दिनों से परेशान थे लेकिन 11 दिसंबर को उन्होंने डीएपी यानी डाइअमोनियम फॉस्फेट खाद उपलब्ध कराने की गुहार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंचा दी.