कहां ठहर गया महादलित प्रयोग
India Today Hindi|September 18, 2024
एससी आरक्षण में उप-वर्गीकरण सुप्रीम कोर्ट के सुझाव से पहले बिहार सरकार ने 2007 में महादलित वर्ग बना दिया था. 22 में से 18 वंचित दलित जातियों के विकास के लिए अलग योजनाएं शुरू की गईं. मगर यह प्रयोग अब तक बेनतीजा
पुष्यमित्र
कहां ठहर गया महादलित प्रयोग

र साल की तरह इस साल भी 15 अगस्त को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पटना के लखनी बिगहा महादलित टोले में झंडा फहराने के कार्यक्रम में पहुंचे थे. वे 2011 से ही हर स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर पटना जिले के किसी महादलित टोले में जाते हैं. लखनी बिगहा में झंडोत्तोलन के बाद उनके हाथों 164 महादलितों को आवास योजना से लेकर आयुष्मान भारत कार्ड जैसी सरकारी योजना के लाभ का प्रमाणपत्र दिया गया. मगर इनमें सबसे वंचित मानी जाने वाली मुसहर-भुइयां जाति का एक भी व्यक्ति नहीं था. लगभग सभी लाभार्थी उस रविदास जाति के थे, जिन्हें विकसित मानकर शुरुआती दिनों में महादलित समूह से बाहर रखा गया था.

इस बात को लेकर लखनी बिगहा के 27 घरों वाले मांझी टोले में उबाल था. बीस- बाइस साल का जामुन मांझी बोल पड़ा, "मांझी-मुसहर को कौन पूछता है? आए थे तो यहां आकर भी देखते, कैसे रहते हैं हमलोग? घर इतना टूट-फाट गया है कि रोज छत से पत्थल गिरता है. डर से घर में सोने का हिम्मत नहीं होता. लेकिन मांझी टोला में एक ठो इंदरा-वास (इंदिरा आवास) नहीं बंटा." बुजुर्ग उमिया देवी कहने लगीं, “देख लीजिए, 30 साल पहले घर मिला था. छत गिर रहा है, कैसे यहां सोएं?" दूसरी औरतें भी अपना-अपना घर दिखाने लगीं. सभी घरों का एक जैसा हाल था.

लखनी बिगहा के विकास मित्र लालजी कुमार, जिन्हें सरकार ने इस पंचायत में महादलितों के विकास के लिए तैनात किया है, कहते हैं, "यह सच है कि इस बार किसी मांझी परिवार को योजना का लाभ नहीं मिला, जबकि सबसे अधिक दिक्कत इन्हीं लोगों को है. लालूजी के समय जो इंदिरा आवास इन्हें मिला था, वह रहने लायक नहीं रहा. इनको किसी और योजना का लाभ नहीं मिल पाता, क्योंकि इनके जरूरी कागज तक नहीं बने हैं. कई लोगों का तो आधार भी नहीं बना है."

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