महज 19 साल का यह युवा इतनी दूर आया तो था जिंदगी बनाने, नसीब हुई मौत. भर्ती के लिए निर्धारित 10 किलोमीटर की दौड़ एक घंटे में पूरा करने के बाद सुमित बेहोश हो गए. आनन-फानन में उन्हें गिरिडीह सदर अस्पताल पहुंचाया गया. फिर वहां से धनबाद रेफर किया गया लेकिन रास्ते में ही उनकी मौत हो गई. सुमित के पिता गोरेलाल यादव खेती और दिहाड़ी मजदूरी कर अपने तीन बेटों को पढ़ा रहे थे और उन्हें अपने इस बेटे से बड़ी उम्मीदें थीं.
झारखंड में बीते 22 अगस्त से झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) की ओर से उत्पाद विभाग के सिपाही पद पर बहाली के लिए कई जगह दौड़ आयोजित हो रही हैं. तय मानक के मुताबिक लड़कों को एक घंटे में 10 किमी, तो लड़कियों को 40 मिनट में 5 किमी दौड़ना है.
हालांकि सात जिलों में आयोजित कुल तीन चरणों-दौड़, लिखित परीक्षा और फिर मेडिकल-के पहले चरण को ही पार करने में अब तक 12 युवाओं की जान जा चुकी है. इनमें भी सबसे ज्यादा पलामू में पांच, हजारीबाग और गिरिडीह में दो-दो, रांची, जमशेदपुर और साहिबगंज में एक-एक युवा की मौत हो गई. हालांकि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी 17 युवाओं की मौत का दावा कर रहे हैं.
मृतकों में झारखंड के अलग-अलग जिलों के अलावा बिहार के युवक भी शामिल हैं. सरकारी विज्ञप्ति के मुताबिक, 583 पदों पर भर्ती के लिए कुल 5,13,8 32 आवेदन आए हैं. यानी एक सीट के लिए 850 युवा प्रतिस्पर्धा में हैं. झारखंड में इस पद पर 44 साल बाद रिक्तियां आई हैं.
पलामू जिले के 31 वर्षीय अरुण कुमार मृतकों में शामिल हैं. वे अपने चार भाईबहनों में सबसे छोटे थे. उनके पिता गिरिजा राम बताते हैं, "हम किसानी से गुजारा करते हैं. ऐसे पदों पर बहाली के लिए बड़े घर के बच्चे नहीं जाते. हम जैसे गरीब के बच्चे ही जाते हैं. मेरा बेटा पांच साल से रांची में रहकर झारखंड पब्लिक सर्विस कमिशन (जेपीएससी) की तैयारी कर रहा था. दौड़ पूरी करने के बाद वह बेहोश हो गया. तत्काल कोई इलाज न मिला क्योंकि वहां कोई मेडिकल टीम न थी. बाद में सदर अस्पताल में, फिर वहां से एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया. वहीं उसकी मौत हो गई."
कैसे हुई इतनी मौतें?
هذه القصة مأخوذة من طبعة 25th September, 2024 من India Today Hindi.
ابدأ النسخة التجريبية المجانية من Magzter GOLD لمدة 7 أيام للوصول إلى آلاف القصص المتميزة المنسقة وأكثر من 9,000 مجلة وصحيفة.
بالفعل مشترك ? تسجيل الدخول
هذه القصة مأخوذة من طبعة 25th September, 2024 من India Today Hindi.
ابدأ النسخة التجريبية المجانية من Magzter GOLD لمدة 7 أيام للوصول إلى آلاف القصص المتميزة المنسقة وأكثر من 9,000 مجلة وصحيفة.
بالفعل مشترك? تسجيل الدخول
परदेस में परचम
भारतीय अकादमिकों और अन्य पेशेवरों का पश्चिम की ओर सतत पलायन अब अपने आठवें दशक में है. पहले की वे पीढ़ियां अमेरिकी सपना साकार होने भर से ही संतुष्ट हो ती थीं या समृद्ध यूरोप में थोड़े पांव जमाने का दावा करती थीं.
भारत का विशाल कला मंच
सांफ्ट पावर से लेकर हार्ड कैश, हाई डिजाइन से लेकर हाई फाइनेंस आदि के संदर्भ में बात करें तो दुनिया के अन्य हिस्सों की तरह भारत की शीर्ष स्तर की कला हस्तियां भी भौतिक सफलता और अपनी कल्पनाओं को परवान चढ़ाने के बीच एक द्वंद्व को जीती रहती हैं.
सपनों के सौदागर
हम ऐसी दुनिया में रहते हैं जहां मनोरंजन से हौवा खड़ा हो है और उसी से राहत भी मिलती है.
पासा पलटने वाले महारथी
दरअसल, जिंदगी की तरह खेल में भी उतारचढ़ाव का दौर चलता रहता है.
गुरु और गाइड
अल्फाज, बुद्धिचातुर्य और हास्यबोध उनके धंधे के औजार हैं और सोशल मीडिया उनका विश्वव्यापी मंच.
निडर नवाचारी
खासी उथल-पुथल मचा देने वाली गतिविधियों से भरपूर भारतीय उद्यमिता के क्षेत्र में कुछ नया करने वालों की नई पौध कारोबार, टेक्नोलॉजी और सामाजिक असर पैदा करने के नियम नए सिरे से लिख रही है.
अलहदा और असाधारण शख्सियतें
किसी सर्जन के चीरा लगाने वाली ब्लेड की सटीकता उसके पेशेवर कौशल की पहचान होती है.
अपने-अपने आसमान के ध्रुवतारे
महानता के दो रूप हैं. एक वे जो अपने पेशे के दिग्गजों के मुकाबले कहीं ज्यादा चमक और ताकत हासिल कर लेते हैं.
बोर्डरूम के बादशाह
ढर्रा-तोड़ो या फिर अपना ढर्रा तोड़े जाने के लिए तैयार रहो. यह आज के कारोबार में चौतरफा स्वीकृत सिद्धांत है. प्रतिस्पर्धा से प्रेरित होकर भारत के सबसे ताकतवर कारोबारी अगुआ अपने साम्राज्यों को मजबूत कर रहे हैं. इसके लिए वे नए मोर्चे तलाश रहे हैं, गति और पैमाने के लिए आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस सरीखे उथल-पुथल मचा देने वाले टूल्स का प्रयोग कर रहे हैं और प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए नवाचार बढ़ा रहे हैं.
देश के फौलादी कवच
लबे वक्त से माना जाता रहा है कि प्रतिष्ठित शख्सियतें बड़े बदलाव की बातें करते हुए सियासी मैदान में लंबे-लंबे डग भरती हैं, वहीं किसी का काम अगर टिकता है तो वह अफसरशाही है.