उनमें कई ऐसी जगहों पर होते हैं जो बिलाशक दूसरों की जिंदगियों पर असर डालती हैंराजनेता स्वाभाविक ही सबसे ज्यादा दिमाग में आते हैं. मगर उनमें ज्यादातर अपनी जमात में ही तुलना के योग्य होते हैं. महानता के पलड़े पर वे समानधर्मा कामों और गतिविधियों से जुड़े लोगों के कुल का निर्माण करते हैं. दूसरे वे जो पेशे से ऊपर उठ जाते हैं, जिनकी अहमियत उनके रोजमर्रा के दायरे के पार निकल जाती है. इस तरह वे ठोस और प्रतीकात्मक तरीकों से समाज का रंग-ढंग बदल देते हैं. अगले पन्नों पर हम ठीक ऐसी ही उत्कृष्ट विभूतियों का चयन प्रस्तुत कर रहे हैं. दस विभूतियां, जो अपनी चुनी हुई जिंदगी के क्रियाकलापों में ही अलग हैं, लेकिन जब वे महानता की बुलंदी पर पहुंचे, तो एक सार्वभौमिकता हासिल कर ली.
अब भी कोई भ्रम हो, तो नामों से मिट जाएगा. मसलन, आप पाएंगे कि अमिताभ बच्चन की शख्सियत का बखान करने के लिए 'अभिनेता' शब्द बिल्कुल नाकाफी है. वे ऐसी सांस्कृतिक परिघटना हैं जो युग को परिभाषित करने वाले तटबंधों के आर-पार फैली है. यह समझना मुश्किल नहीं कि यह 'सार्वभौम' असर कलाकारों या खिलाड़ियों के लिए किस तरह काम करता है. यह समझने के लिए कि ऐसा क्यों होता है, मसलन, सचिन तेंडुलकर अपने बनाए रनों के कुल योग से कहीं बड़े हैं. हमारी फेहरिस्त में कॉर्पोरेट जगत के दिग्गज भी हैं, लेकिन वही जो अपनी कंपनी के मूल्य निर्धारण से कहीं ज्यादा बड़ी चीजों के वास्तुकार रहे हैं. वे किसी गैर-ओहदेदार रसूखदारों के दंतहीन क्लब में नहीं हैं, बल्कि बेहद बढ़-चढ़कर सक्रिय हैं और उनकी उत्पादक क्षमता जरा भी चूकी नहीं है - यहां तक कि 90 वर्षीय ऑटो निर्माता आर. सी. भार्गव की भी नहीं. महानता किसी न किसी स्तर पर अक्षय ऊर्जा भी है.
1 अमिताभ बच्चन, 82 वर्ष अभिनेता, बॉलीवुड के लीजेंड
सदाबहार सुपरस्टार
This story is from the November 13, 2024 edition of India Today Hindi.
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