पुरानी शैक्षणिक व्यवस्था भाषाओं की बाधा में बंधी नजर आती है, ऐसे में एक ग्लोबल एजुकेशन सिस्टम भी विकसित होना जरूरी है। अलग- अलग राज्य अपने स्तर पर इस विषय में प्रयासरत हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ में शिक्षा व्यवस्था को लेकर एक क्रांतिकारी बदलाव का दौर चल रहा है। यहां अब सरकारी स्कूल और कॉलेज विश्व स्तरीय सुविधाओं से सुसज्जित नजर आने लगे हैं। शिक्षा व्यवस्था में सकारात्मक बदलाव का परिणाम छात्रों के व्यक्तित्व और सीखने समझने की क्षमता में भी परिलक्षित हो रहा है। अब यहां छात्रों चेहरे पर एक अलग आत्मविश्वास नजर आता है।
प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए नहीं देना पड़ता कोई शुल्क
छत्तीसगढ़ में प्रतियोगिता परीक्षा में बैठने वाले परीक्षार्थियों को अब परीक्षा फीस नहीं देनी पड़ती। राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अभ्यर्थियों को बड़ी राहत देते हुए विशेष कनिष्ठ कर्मचारी चयन बोर्ड द्वारा आयोजित परीक्षा में ली जाने वाली फीस माफ कर दी है। यानी कनिष्ठ कर्मचारी चयन बोर्ड द्वारा किसी भी भर्ती परीक्षा में स्थानीय अभ्यर्थियों से कोई फीस नहीं ली जाती। सीएम भूपेश बघेल के इस ऐलान के बाद से परीक्षार्थी काफी खुश हैं।
एजुकेशन वर्ल्ड ऑटोनॉमस कॉलेज रैंकिंग में टॉप 100 में 6 कॉलेज
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गांधी पर आरोपों के बहाने
गांधी की हत्या के 76 साल बाद भी जिस तरह उन पर गोली दागने का जुनून जारी है, उस वक्त में इस किताब की बहुत जरूरत है। कुछ लोगों के लिए गांधी कितने असहनीय हैं कि वे उनकी तस्वीर पर ही गोली दागते रहते हैं?
जिंदगी संजोने की अकथ कथा
पायल कपाड़िया की फिल्म ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट परदे पर नुमाया एक संवेदनशील कविता
अश्विन की 'कैरम' बॉल
लगन और मेहनत से महान बना खिलाड़ी, जो भारतीय क्रिकेट में अलग मुकाम बनाने में सफल हुआ
जिसने प्रतिभाओं के बैराज खोल दिए
बेनेगल ने अंकुर के साथ समानांतर सिनेमा और शबाना, स्मिता पाटील, नसीरुद्दीन शाह, ओम पुरी, गिरीश कार्नाड, कुलभूषण खरबंदा और अनंतनाग जैसे कलाकारों और गोविंद निहलाणी जैसे फिल्मकारों की आमद हिंदी सिनेमा की परिभाषा और दुनिया ही बदल दी
सुविधा पचीसी
नई सदी के पहले 25 बरस में 25 नई चीजें, जिन्होंने हमारी रोजमर्रा की जिंदगी पूरी तरह से बदल डाली
पहली चौथाई के अंधेरे
सांस्कृतिक रूप से ठहरे रूप से ठहरे हुए भारतीय समाज को ढाई दशक में राजनीति और पूंजी ने कैसे बदल डाला
लोकतंत्र में घटता लोक
कल्याणकारी राज्य के अधिकार केंद्रित राजनीति से होते हुए अब डिलिवरी या लाभार्थी राजनीति तक ढाई दशक का सियासी सफर
नई लीक के सूत्रधार
इतिहास मेरे काम का मूल्यांकन उदारता से करेगा। बतौर प्रधानमंत्री अपनी आखिरी सालाना प्रेस कॉन्फ्रेंस (3 जनवरी, 2014) में मनमोहन सिंह का वह एकदम शांत-सा जवाब बेहद मुखर था।
दो न्यायिक खानदानों की नजीर
खन्ना और चंद्रचूड़ खानदान के विरोधाभासी योगदान से फिसलनों और प्रतिबद्धताओं का अंदाजा
एमएसपी के लिए मौत से जंग
किसान नेता दल्लेवाल का आमरण अनशन जारी लेकिन केंद्र सरकार पर असर नहीं