फ्लेम्स और ए सूटेबल बॉय जैसे कामयाब वेब शो के माध्यम से तान्या की 'गर्ल नेक्स्ट डोर' वाली छवि स्थापित हुई है। लेकिन तान्या किसी छवि में नहीं कैद होना चाहतीं और इसी उद्देश्य से उन्होंने नेटफ्लिक्स पर जारी सीरीज टूथ परी में काम किया। उनसे अभिनय और जीवन के बारे में आउटलुक के मनीष पांडेय ने बातचीत की। मुख्य अंश:
फ्लेम्स और ए सूटेबल बॉय का किरदार आपकी रियल लाइफ से बहुत मिलता है। लेकिन टूथ परी में आपने बिल्कुल अलग भूमिका निभाई है। इस भूमिका को निभाना कितना कठिन था और क्या इस किरदार को निभाकर आप अपनी 'गर्ल नेक्स्ट डोर' छवि से बाहर आना चाहती थीं?
मैं 'गर्ल नेक्स्ट डोर' वाली छवि से खुश तो हूं मगर मैं अलग-अलग रंग के किरदार निभाना चाहती हूं। मैं अभिनय की विविधता को महसूस करना चाहती हूं और दर्शकों के सामने पेश करना चाहती हूं। तभी एक कलाकार के रूप में मेरी तरक्की हो सकती है। जब तक मैं कंफर्ट जोन में काम करती रहूंगी, तब तक कुछ सार्थक, कुछ महत्वपूर्ण करना संभव नहीं होगा। बाकी हर किरदार चुनौतीपूर्ण होता है। टूथ परी का किरदार इसलिए अधिक चुनौतीपूर्ण था क्योंकि वह मेरे जीवन के अनुभवों से परे था । वैंपायर का किरदार निभाते हुए, मैं इस बात से अनभिज्ञ थी कि वैंपायर किस तरह से रिएक्ट करती हैं। इसलिए यह किरदार निर्देशक की कल्पना और मेरे प्रयोग से ही तैयार हुआ है। मैं शुक्रगुजार हूं पूरी टीम का, जिनकी बदौलत मैं इस किरदार को निभा सकी। मुझे पूरी उम्मीद है कि दर्शकों को मेरी मेहनत पसंद आएगी।
टूथ परी का किरदार निभाने के दौरान किसी तरह की शंका या असुरक्षा थी कि लोगों ने इस किरदार या छवि को अस्वीकार कर दिया तो क्या होगा ?
इंसान जब भी नया प्रयास करता है तो डर लगता है। टूथ परी का विषय सामान्य नहीं है। इस तरह के विषय पर हिंदी भाषा में कम ही कंटेंट है। इसलिए यह डर हमेशा था कि दर्शक इस प्रयास को किस तरह लेंगे। लेकिन मैं एक ही जैसे किरदार निभाती रहूं तो मेरी अभिनय यात्रा सिमट जाएगी। तभी मैंने रिस्क लेना स्वीकार किया है।
This story is from the August 07, 2023 edition of Outlook Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the August 07, 2023 edition of Outlook Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
गांधी पर आरोपों के बहाने
गांधी की हत्या के 76 साल बाद भी जिस तरह उन पर गोली दागने का जुनून जारी है, उस वक्त में इस किताब की बहुत जरूरत है। कुछ लोगों के लिए गांधी कितने असहनीय हैं कि वे उनकी तस्वीर पर ही गोली दागते रहते हैं?
जिंदगी संजोने की अकथ कथा
पायल कपाड़िया की फिल्म ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट परदे पर नुमाया एक संवेदनशील कविता
अश्विन की 'कैरम' बॉल
लगन और मेहनत से महान बना खिलाड़ी, जो भारतीय क्रिकेट में अलग मुकाम बनाने में सफल हुआ
जिसने प्रतिभाओं के बैराज खोल दिए
बेनेगल ने अंकुर के साथ समानांतर सिनेमा और शबाना, स्मिता पाटील, नसीरुद्दीन शाह, ओम पुरी, गिरीश कार्नाड, कुलभूषण खरबंदा और अनंतनाग जैसे कलाकारों और गोविंद निहलाणी जैसे फिल्मकारों की आमद हिंदी सिनेमा की परिभाषा और दुनिया ही बदल दी
सुविधा पचीसी
नई सदी के पहले 25 बरस में 25 नई चीजें, जिन्होंने हमारी रोजमर्रा की जिंदगी पूरी तरह से बदल डाली
पहली चौथाई के अंधेरे
सांस्कृतिक रूप से ठहरे रूप से ठहरे हुए भारतीय समाज को ढाई दशक में राजनीति और पूंजी ने कैसे बदल डाला
लोकतंत्र में घटता लोक
कल्याणकारी राज्य के अधिकार केंद्रित राजनीति से होते हुए अब डिलिवरी या लाभार्थी राजनीति तक ढाई दशक का सियासी सफर
नई लीक के सूत्रधार
इतिहास मेरे काम का मूल्यांकन उदारता से करेगा। बतौर प्रधानमंत्री अपनी आखिरी सालाना प्रेस कॉन्फ्रेंस (3 जनवरी, 2014) में मनमोहन सिंह का वह एकदम शांत-सा जवाब बेहद मुखर था।
दो न्यायिक खानदानों की नजीर
खन्ना और चंद्रचूड़ खानदान के विरोधाभासी योगदान से फिसलनों और प्रतिबद्धताओं का अंदाजा
एमएसपी के लिए मौत से जंग
किसान नेता दल्लेवाल का आमरण अनशन जारी लेकिन केंद्र सरकार पर असर नहीं