जनता को लुभाता रेवड़ी कल्चर
Sarita|October First 2022
सारी बहस मुफ्त की रेवड़ी बनाम जन कल्याण सुविधा से जुड़ी है पर सच यह है कि इन सुविधाओं को पाने के लिए जनता को हमेशा गरीब ही बने रहना होगा. हर पार्टी के नेता मुफ्त योजनाओं की घोषणा करते हैं पर यह कितना सही है?
शैलेंद्र सिंह
जनता को लुभाता रेवड़ी कल्चर

आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में मुफ्त बिजलीपानी के बल पर चुनाव जीता. इस के बाद पंजाब चुनाव में जीत मिली. अब गुजरात विधानसभा के चुनाव में आप (आम आदमी पार्टी) अपने मुफ्त बिजलीपानी फामूर्ले पर जनता में पैठ बना रही है. गुजरात में सरकार चला रही भाजपा के लिए यह परेशानी की बात है. इस की काट के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'रेवड़ी कल्चर' का नारा उछाला.

भाजपा की आईटी ट्रोल सेना इस को ले कर झपट पड़ी कि जिस से अरविंद केजरीवाल को घेरा जा सके. केजरीवाल ने भी मोरचा संभाल लिया है. रेवड़ी कल्चर देश की जनता को पसंद है. इस के बल पर कई बार सत्ता बदली है. गुजरात चुनाव में रेवड़ी कल्चर मुद्दा बन गया है. इस का जवाब भाजपा नहीं दे पा रही. पहली बार चौकीदार का सामना थानेदार से पड़ गया है. रेवड़ी कल्चर को 'दो मिनट मैगी' न समझें, देश की राजनीति में इस का प्रभाव हमेशा चुनाव की दशा बदलता रहता है.

16 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में कहा कि मुफ्त का रेवड़ी कल्चर देश के लिए बहुत घातक है. यह देश के विकास पर नकारात्मक प्रभाव डालने वाला है. इस से सभी को दूर रहने की आवश्यकता है. प्रधानमंत्री का इशारा चुनाव के समय राजनीतिक दलों की ओर से मतदाताओं को लुभाने के तरहतरह के तरीकों की ओर था.

रेवड़ी कल्चर को ले कर देश की सर्वोच्च न्यायालय के के चीफ जस्टिस एन वी रमन्ना, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली की बैंच ने कहा था कि नीति आयोग, वित्त आयोग, सत्ताधारी दल और विपक्षी पार्टियों, रिजर्व बैंक औफ इंडिया और अन्य संस्थाओं को भी इस मामले में सुझाव देने चाहिए कि आखिर इस रेवड़ी कल्चर को कैसे रोका जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुफ्त का रेवड़ी कल्चर देश के लिए बहुत घातक है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड- 19 के दौरान 80 करोड़ गरीब लोगों को मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराने का दावा किया. इस को उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों तक बढ़ाया गया ताकि वोट का लाभ मिल सके.

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