उपहार प्रेम को प्रकट करने का एक जरिया है. ऐसा जरिया जो याद के रूप में हमारे साथ रहता है. जिस तरह से किसी अखबार के अलगअलग कोनों को ग्लू की मदद से चिपकाने के बाद वह एक लिफाफे की शक्ल ले लेता है, गिफ्ट भी ठीक वैसे ही काम करता है. यह परिवार के अलगअलग लोगों को आपस में जोड़ता है. तीजत्योहार व बर्थडे जैसे उत्सवों पर एकदूसरे को गिफ्ट देने से अपनत्व बना रहता है.
बच्चे हों या बूढ़े गिफ्ट्स सभी को भाते हैं. बच्चे भी अपने उन्हीं मामा को ज्यादा प्यार करते हैं जो उन के लिए गिफ्ट्स ले कर आते हैं. ऐसे ही कुछ बच्चे अपनी उन्हीं बूआ की ज्यादा बातें मानते हैं जो उन्हें उपहार में पैसे देती हैं या उन के लिए कुछ ले कर आती हैं. इस से यह पता चलता है कि गिफ्ट्स आपस में लोगों को जोड़ने के साथसाथ प्रेम बढ़ाने का भी काम करते हैं.
अगर आप भी चाहते हैं कि आप अपने दोस्तोंरिश्तेदारों के फेवरिट बनें तो यही वह समय है जब आप अपने आप को उन का चहेता बना सकते हैं.
फैस्टिव सीजन आ गया है. अब यही वह समय है जब आप अपने भाईबहनों, चाचाताया, फूफाजीजा, नानानानी को गिफ्ट देंगे. वहीं रिश्ते में छोटे लोग इन्हीं लोगों से गिफ्ट प्राप्त करेंगे. लेकिन गिफ्ट देते समय कई बातों का ध्यान रखना चाहिए जैसे उन की उम्र, उन की जरूरत, उन की पसंदनापसंद आदि. इसी तरह अपना बजट भी देखना बहुत जरूरी है.
लेकिन समस्या यह भी है कि किस को क्या गिफ्ट दिया जाए. हमारी राय है कि गिफ्ट ऐसा हो जो उन के काम आए. इसी प्रौब्लम को तो सौल्व करना है. शगुन में रुपएपैसे देना अब बोरिंग हो गया है. इसलिए बदलते समय के साथ हमें अपने गिफ्ट के चयन को भी बदलना होगा.
हम आप को नए दौर के गिफ्ट से रूबरू करा रहे हैं जिन्हें दे कर आप कूल डैड कूल भाभी या कूल सासुमां कहलाएंगी :
एफडी का दें गिफ्ट
लिफाफे में दिए जाने वाले शगुन की जगह उन्हीं पैसों की एफडी करा दी जाए. एफडी करना एक बेहतर विकल्प इसलिए है क्योंकि इसे एक निश्चित समयसीमा के लिए कराया जाता है. साथ ही, इस में ब्याज भी अच्छा मिलता है.
अगर आप का बच्चा या पोतापोती बहुत छोटे हैं और आप उन्हें साइकिल से अलग कुछ गिफ्ट देना चाहते हैं तो आप उन के लिए एफडी करा सकते हैं.
This story is from the November First 2023 edition of Sarita.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the November First 2023 edition of Sarita.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
अच्छा लगता है सिंगल रहना
शादी को ले कर लड़कियों में पुराने रूढ़िगत विचार नहीं रहे. जौब, सैल्फ रिस्पैक्ट, बराबरी ये वे पैमाने हैं जिन्होंने उन्हें देर से शादी करने या नहीं करने के औप्शन दे डाले हैं.
मां के पल्लू से निकलें
पत्नी चाहती है कि उस का पति स्वतंत्र व आत्मनिर्भर हो. ममाज बौयज पति के साथ पत्नी खुद को रिश्ते में अकेला और उपेक्षित महसूस करती है.
पोटैशियम और मैग्नीशियम शरीर के लिए कितने जरूरी
जिन लोगों को आहार से मैग्नीशियम और पोटैशियम जैसे अति आवश्यक तत्त्व पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाते और शरीर में इन की कमी हो जाती है, उन में कई प्रकार की गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा हो सकता है.
क्या शादी छिपाई जा सकती है
शादी का छिपाना अब पहले जैसा आसान नहीं रहा क्योंकि अब इस पर कानूनी एतराज जताए जाने लगे हैं. हालांकि कई बार पहली या दूसरी शादी की बात छिपाना मजबूरी भी हो जाती है. इस की एक अहम वजह तलाक के मुकदमों में होने वाली देरी भी है जिस के चलते पतिपत्नी जवान से अधेड़ और अधेड़ से बूढ़े तक हो जाते हैं लेकिन उन्हें तलाक की डिक्री नहीं मिलती.
साइकोएक्टिव ड्रग्स जैसा धार्मिक अंधविश्वास
एक परिवार सायनाइड खा लेता है, एक महिला अपने लड्डू गोपाल को स्कूल भेजती है, कुछ बच्चे काल्पनिक देवताओं को अपना दोस्त मानते हैं. इन घटनाओं के पीछे छिपा है धार्मिक अंधविश्वास का वह असर जो मानव की सोच व व्यवहार को बुरी तरह प्रभावित करता है.
23 नवंबर के चुनावी नतीजे भाजपा को जीत पर आधी
जून से नवंबर सिर्फ 5 माह में महाराष्ट्र व झारखंड की विधानसभाओं और दूसरे उपचुनावों में चुनावी समीकरण कैसे बदल गया, लोकसभा चुनावों में मुंह लटकाने वाली पार्टी के चेहरे पर मुसकान आ गई लेकिन कुछ काटे चुभे भी.
1947 के बाद कानूनों से बदलाव की हवा
क्या कानून हमेशा समाज सुधार का रास्ता दिखाते हैं या कभीकभी सत्ता के इरादों का मुखौटा बन जाते हैं? 2014 से 2024 के बीच बने कानूनों की तह में झांकें तो भारतीय लोकतंत्र की तसवीर कुछ अलग ही नजर आती है.
अदालती पेंचों में फंसी युवतियां
आज भी कानून द्वारा थोपी जा रही पौराणिक पाबंदियों और नियमकानूनों के चलते युवतियों का जीवन दूभर है. मुश्किल तब ज्यादा खड़ी हो जाती है जब कानून बना वाले और लागू कराने वाले असल नेता व जज उन्हें राहत देने की जगह धर्म का पाठ पढ़ाते दिखाई देते हैं.
"पुरुष सत्तात्मक सोच बदलने पर ही बड़ा बदलाव आएगा” बिनायफर कोहली
'एफआईआर', 'भाभीजी घर पर हैं', 'हप्पू की उलटन पलटन' जैसे टौप कौमेडी फैमिली शोज की निर्माता बिनायफर कोहली अपने शोज के माध्यम से महिला सशक्तीकरण का संदेश देने में यकीन रखती हैं. वह अपने शोज की महिला किरदारों को गृहणी की जगह वर्किंग और तेजतर्रार दिखाती हैं, ताकि आज की जनरेशन कनैक्ट हो सके.
पतिपत्नी के रिश्ते में बदसूरत मोड़ क्यों
पतिपत्नी के रिश्ते के माने अब सिर्फ इतने भर नहीं रह गए हैं कि पति कमाए और पत्नी घर चलाए. अब दोनों को ही कमाना और घर चलाना पड़ रहा है जो सलीके से हंसते खेलते चलता भी है. लेकिन दिक्कत तब खड़ी होती है जब कोई एक अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ते अनुपयोगी हो कर भार बनने लगता है और अगर वह पति हो तो उस का प्रताड़ित किया जाना शुरू हो जाता है.