कैरेक्टर की डिमांड और ऐक्टिंग को जीवंत रूप देने के लिए सालों से हौलीवुड और बौलीवुड के कलाकर अपने वजन, चालढाल और रूप आदि में तेजी से परिवर्तन करते रहे हैं. चरित्र की मांग के हिसाब से अपने वजन में तेजी से बदलाव लाना उन के लिए जनून होता है. उन्हें देख कर आम दर्शक भी इसे करने की कोशिश करते हैं. हालांकि इस में कोई संदेह नहीं कि वजन को बढ़ाना और घटाना एक नियमित दायरे में होने से किसी प्रकार का कोई फर्क शरीर पर नहीं पड़ता लेकिन बिना प्रौपर गाइडेंस के कुछ भी करना शरीर के लिए सही नहीं होता.
आज भी ऐसा देखा जाता है कि जब फसल की कटाई होती है तो किसान और उस के परिवार तंदुरुस्त हो जाते हैं और यह उन के शरीर के लिए नुकसानदायक नहीं होता. यानी सही समय पर सही भोजन और काम हर किसी के लिए फायदेमंद होता है.
वजन बढ़ाना था जरूरी
पिछले दिनों रिलीज हुई फिल्म 'अमर सिंह चमकीला' में परिणीति चोपड़ा ने चमकीला की पत्नी अमरजोत कौर की भूमिका निभाई. उन की इस अदाकारी को सराहा भी जा रहा है. उन्होंने इस फिल्म के लिए 15 किलो वजन बढ़ाया है. उन्होंने एक जगह कहा है कि इस फिल्म के लिए उन्हें केवल वजन बढ़ाना ही नहीं था, बल्कि निर्देशक इम्तियाज अली ने उन से कहा कि चेहरे पर कोई मेकअप भी नहीं होगा.
वे कहती हैं, "मुझे चमकीला में सब से खराब दिखना था पर मैं ने उस भूमिका को स्वीकार किया. कुछ लोगों ने ऐसा करने से मना भी किया था, लेकिन मैं अभिनेत्री विद्या बालन से इंस्पायर हूं, उन्होंने 'द डर्टी पिक्चर' के लिए वजन बढ़ाया था और फिल्म हिट भी हुई थी."
अच्छे ट्रेनर की जरूरत
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अच्छा लगता है सिंगल रहना
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मां के पल्लू से निकलें
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पोटैशियम और मैग्नीशियम शरीर के लिए कितने जरूरी
जिन लोगों को आहार से मैग्नीशियम और पोटैशियम जैसे अति आवश्यक तत्त्व पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाते और शरीर में इन की कमी हो जाती है, उन में कई प्रकार की गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा हो सकता है.
क्या शादी छिपाई जा सकती है
शादी का छिपाना अब पहले जैसा आसान नहीं रहा क्योंकि अब इस पर कानूनी एतराज जताए जाने लगे हैं. हालांकि कई बार पहली या दूसरी शादी की बात छिपाना मजबूरी भी हो जाती है. इस की एक अहम वजह तलाक के मुकदमों में होने वाली देरी भी है जिस के चलते पतिपत्नी जवान से अधेड़ और अधेड़ से बूढ़े तक हो जाते हैं लेकिन उन्हें तलाक की डिक्री नहीं मिलती.
साइकोएक्टिव ड्रग्स जैसा धार्मिक अंधविश्वास
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23 नवंबर के चुनावी नतीजे भाजपा को जीत पर आधी
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आज भी कानून द्वारा थोपी जा रही पौराणिक पाबंदियों और नियमकानूनों के चलते युवतियों का जीवन दूभर है. मुश्किल तब ज्यादा खड़ी हो जाती है जब कानून बना वाले और लागू कराने वाले असल नेता व जज उन्हें राहत देने की जगह धर्म का पाठ पढ़ाते दिखाई देते हैं.
"पुरुष सत्तात्मक सोच बदलने पर ही बड़ा बदलाव आएगा” बिनायफर कोहली
'एफआईआर', 'भाभीजी घर पर हैं', 'हप्पू की उलटन पलटन' जैसे टौप कौमेडी फैमिली शोज की निर्माता बिनायफर कोहली अपने शोज के माध्यम से महिला सशक्तीकरण का संदेश देने में यकीन रखती हैं. वह अपने शोज की महिला किरदारों को गृहणी की जगह वर्किंग और तेजतर्रार दिखाती हैं, ताकि आज की जनरेशन कनैक्ट हो सके.
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