ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी का हैलिकॉप्टर क्रैश में निधन हो गया. वे 63 साल के थे. अजरबैजान से सटी सीमा पर एक डैम का उद्घाटन करने के बाद लौटते समय उन का हैलिकॉप्टर 19 मई की शाम करीब 7 बजे खराब मौसम के चलते लापता हो गया था. हैलिकॉप्टर में इब्राहिम रईसी, विदेश मंत्री होसैन अमीर अब्दुल्लाहियान समेत पायलट और को-पायलट के साथ क्रू चीफ, हैड ऑफ सिक्योरिटी और बौडीगार्ड भी सवार थे. हैलिकॉप्टर में मौजूद सभी 9 लोग मारे गए.
राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की मौत पर जहां कुछ देशों ने अफसोस जाहिर किया तो कई बहुत खुश हैं. इजराइल के कई यहूदी धर्मगुरुओं ने ईसी की मौत पर सार्वजनिक रूप से टिप्पणी की है. उन में से एक यहूदी धर्मगुरु मीर अबूतबुल ने राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी को 'तेहरान का जल्लाद' कहते हुए अपनी फेसबुक पोस्ट में आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया. अबूतबुल लिखते हैं, 'वह यहूदियों को सूली पर लटकाना चाहता था, इसलिए ईश्वर ने एक हैलिकॉप्टर क्रैश में उस के और इजराइल से नफरत करने वाले उस के सभी साथियों को सजा दी.' अबूतबुल ने लिखा कि रईसी को ईश्वर का दंड मिला है.
राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की हैलिकॉप्टर हादसे में मौत पर सब से ज्यादा जश्न ईरान कुर्दिस्तान इलाके में मनाया जा रहा है. वहां साकेज शहर में लोग आतिशबाजी कर के रईसी की मौत का जश्न मना रहे हैं. साकेज ईरान में हिजाब के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों का चेहरा बनी महसा अमीनी का गृहनगर है. महसा अमीनी वह 22 साल की कुर्द लड़की जिस में जीवन जीने की चाह थी, मगर वह खुद को किसी के आदेश पर सिर से पांव तक लबादे में ढक कर नहीं रखना चाहती थी.
आजादखयाल की महसा अमीनी ईरान की रूढ़िवादी सोच का शिकार हुई और मार डाली गई. महसा ने ईरान में हिजाब के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में हिस्सा लिया था, जिस के चलते वह ईरान की मोरल पुलिस के निशाने पर आ गई थी. बिना हिजाब के बाहर निकलने पर रईसी की मोरल पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया और बेरहमी से उस की पिटाई की. इतनी बेरहमी से की कि अमीनी ने अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया. सिर्फ 22 साल की महसा अमीनी के लिए ईरान ही नहीं, बल्कि दुनिया के दूसरे हिस्सों में भी लोगों ने अपनी आवाज उठाई. महसा अमीनी के शहर में ईरान के राष्ट्रपति रईसी के खिलाफ लोगों में काफी गुस्सा है, जो अब रईसी की मौत के बाद सामने आ रहा है.
This story is from the June First 2024 edition of Sarita.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the June First 2024 edition of Sarita.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
अच्छा लगता है सिंगल रहना
शादी को ले कर लड़कियों में पुराने रूढ़िगत विचार नहीं रहे. जौब, सैल्फ रिस्पैक्ट, बराबरी ये वे पैमाने हैं जिन्होंने उन्हें देर से शादी करने या नहीं करने के औप्शन दे डाले हैं.
मां के पल्लू से निकलें
पत्नी चाहती है कि उस का पति स्वतंत्र व आत्मनिर्भर हो. ममाज बौयज पति के साथ पत्नी खुद को रिश्ते में अकेला और उपेक्षित महसूस करती है.
पोटैशियम और मैग्नीशियम शरीर के लिए कितने जरूरी
जिन लोगों को आहार से मैग्नीशियम और पोटैशियम जैसे अति आवश्यक तत्त्व पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाते और शरीर में इन की कमी हो जाती है, उन में कई प्रकार की गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा हो सकता है.
क्या शादी छिपाई जा सकती है
शादी का छिपाना अब पहले जैसा आसान नहीं रहा क्योंकि अब इस पर कानूनी एतराज जताए जाने लगे हैं. हालांकि कई बार पहली या दूसरी शादी की बात छिपाना मजबूरी भी हो जाती है. इस की एक अहम वजह तलाक के मुकदमों में होने वाली देरी भी है जिस के चलते पतिपत्नी जवान से अधेड़ और अधेड़ से बूढ़े तक हो जाते हैं लेकिन उन्हें तलाक की डिक्री नहीं मिलती.
साइकोएक्टिव ड्रग्स जैसा धार्मिक अंधविश्वास
एक परिवार सायनाइड खा लेता है, एक महिला अपने लड्डू गोपाल को स्कूल भेजती है, कुछ बच्चे काल्पनिक देवताओं को अपना दोस्त मानते हैं. इन घटनाओं के पीछे छिपा है धार्मिक अंधविश्वास का वह असर जो मानव की सोच व व्यवहार को बुरी तरह प्रभावित करता है.
23 नवंबर के चुनावी नतीजे भाजपा को जीत पर आधी
जून से नवंबर सिर्फ 5 माह में महाराष्ट्र व झारखंड की विधानसभाओं और दूसरे उपचुनावों में चुनावी समीकरण कैसे बदल गया, लोकसभा चुनावों में मुंह लटकाने वाली पार्टी के चेहरे पर मुसकान आ गई लेकिन कुछ काटे चुभे भी.
1947 के बाद कानूनों से बदलाव की हवा
क्या कानून हमेशा समाज सुधार का रास्ता दिखाते हैं या कभीकभी सत्ता के इरादों का मुखौटा बन जाते हैं? 2014 से 2024 के बीच बने कानूनों की तह में झांकें तो भारतीय लोकतंत्र की तसवीर कुछ अलग ही नजर आती है.
अदालती पेंचों में फंसी युवतियां
आज भी कानून द्वारा थोपी जा रही पौराणिक पाबंदियों और नियमकानूनों के चलते युवतियों का जीवन दूभर है. मुश्किल तब ज्यादा खड़ी हो जाती है जब कानून बना वाले और लागू कराने वाले असल नेता व जज उन्हें राहत देने की जगह धर्म का पाठ पढ़ाते दिखाई देते हैं.
"पुरुष सत्तात्मक सोच बदलने पर ही बड़ा बदलाव आएगा” बिनायफर कोहली
'एफआईआर', 'भाभीजी घर पर हैं', 'हप्पू की उलटन पलटन' जैसे टौप कौमेडी फैमिली शोज की निर्माता बिनायफर कोहली अपने शोज के माध्यम से महिला सशक्तीकरण का संदेश देने में यकीन रखती हैं. वह अपने शोज की महिला किरदारों को गृहणी की जगह वर्किंग और तेजतर्रार दिखाती हैं, ताकि आज की जनरेशन कनैक्ट हो सके.
पतिपत्नी के रिश्ते में बदसूरत मोड़ क्यों
पतिपत्नी के रिश्ते के माने अब सिर्फ इतने भर नहीं रह गए हैं कि पति कमाए और पत्नी घर चलाए. अब दोनों को ही कमाना और घर चलाना पड़ रहा है जो सलीके से हंसते खेलते चलता भी है. लेकिन दिक्कत तब खड़ी होती है जब कोई एक अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ते अनुपयोगी हो कर भार बनने लगता है और अगर वह पति हो तो उस का प्रताड़ित किया जाना शुरू हो जाता है.