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पीएफआई प्रतिबंधित
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आतंकी संगठन पीएफआई और इससे जुड़े संगठनों को गैरकानूनी घोषित करते हुए 5 साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया है। केंद्रीय एजेंसियों की दो दौर की छापेमारी के बाद सरकार ने यह कदम उठाया
वाकणकर ने की अद्वितीय विरासत भीम बैठका की खोज
भीम बैठका है भारत का सबसे बड़ा प्रागैतिहासिक कला संग्रह
कन्वर्जन, उत्पीड़न से जूझती रहीं बच्चियां
तमिलनाडु में छात्रावासों के नाम पर गरीब बच्चियों का कन्वर्जन, उन्हें दी जा रहीं यातनाएं। राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के हालिया निरीक्षण में चेन्नई स्थित एक विद्यालय के लड़कियों के छात्रावास में उत्पीड़न उजागर। आयोग ने राज्य सरकार को कार्रवाई को कहा, परंतु स्टालिन सरकार खामोश
दास मानसिकता का परित्याग
स्वतंत्रता के अमृत वर्ष में भारत दासता के चिह्नों से स्वतंत्र होकर भारतीय प्रतीकों को अपनाने की दिशा में बढ़ रहा है। ये मात्र प्रतीक नहीं हैं अपितु एक मानसिकता के भी द्योतक हैं। नए प्रतीक बताते हैं कि भारत दासता की मानसिकता से मुक्ति की राह पर है
'लंपी' का कहर, दूध पर असर
देश के 16 राज्यों में लंपी चर्म रोग का संक्रमण फैल गया है। इसके कारण हजारों गोवंश असमय काल का ग्रास बन चुके हैं। राजस्थान की स्थिति सबसे भयावह है। यहां सबसे अधिक गोवंश की मौत हुई है। इसी संकट की वजह से राजस्थान, हरियाणा और पंजाब में दूध उत्पादन में 20-30 प्रतिशत, जबकि गुजरात में 0.25 प्रतिशत की कमी आई है
सतत कृषि परियोजना से आई समृद्धि
किसानों को आत्महत्या से बचाने के लिए यवतमाल में दीनदयाल सेवा प्रतिष्ठान ने पहल की दुर्दशा के शिकार किसानों की काउंसलिंग से शुरू कर खेती को समृद्ध बनाने के लिए स्थानीय उपाय, कृषि सहयोगी उद्यमों को बढ़ावा और टिकाऊ खेती परियोजना पर अमल किया। आज यहां किसानों में समृद्धि दिखने लगी है
हिंदुत्व और अंत्योदय-बदलाव के वाहक
हिंदुत्व में जिस तरह मानव में एकात्मता और समानता की बात कही गई है, उसमें बेमानी भेदों के लिए कोई जगह नहीं है। पंक्ति का आखिरी व्यक्ति पंक्ति में सबसे आगे खड़े व्यक्ति के समान महत्व रखता है
रात को जब भी आंख खुलती है...
दीनदयाल जी के मामाजी बीमार थे और वे भुवाली (उत्तराखंड) के एक अस्पताल में भर्ती थे। दीनदयाल जी उनकी देखरेख के लिए उनके साथ थे। वहीं से उन्होंने अपने ममेरे भाई श्री बनवारीलाल शुक्ल को 10 मार्च, 1944 को एक पत्र लिखा था। जिससे समाज के प्रति उत्तरदायित्व का उनका बोध प्रदर्शित होता है।
भारत की चिति का दिव्य दर्शन
भारतीय संस्कृति एकात्मवादी है। सृष्टि की विभिन्न सत्ताओं तथा जीवन के विभिन्न अंगों के दृश्य-भेद स्वीकार करते हुए वह उनके अंतर में एकता की खोज कर उनमें समन्वय की स्थापना करती है। उसका दृष्टिकोण सांप्रदायिक अथवा वर्गवादी न होकर सर्वात्मक एवं सर्वोत्कर्षवादी है। एकात्मकता उसकी धुरी है। ऐसा विशद् चिंतन दिया था दीनदयाल जी ने।
देश तोडने वाले कांग्रेसी क्या जानें जोड़ना किसे कहते हैं !
जो राजनीतिक नेता यही नहीं जानता कि किसी संगठन या राजनीतिक दल की विचारधारा और कार्य क्या हैं, उसे राजनीति में रहने का अधिकार क्यों होना चाहिए! 'युवराज' को अपने नाना के कामों तक की भी जानकारी नहीं
आस्था में अड़ंगा
अनीश्वरवादी चीन ने तिब्बत में बौद्ध धर्म को समाप्त करने के प्रयास और तेज किए हैं और जबरन दलाई लामा के चयन की प्राचीन शास्त्र-सम्मत परंपरा पर कम्युनिस्ट चालें चल रहा। अनास्थावादी का आस्था के विषयों में दखल अनैतिक
सुरक्षित रहे भाषा की शब्द-संपदा
क्लिष्टता के नाम पर हिंदी की शब्द-संपदा को कमजोर करने वाले अंग्रेजी के कठिन शब्दों को सहजता से स्वीकार कर लेते हैं। लेकिन हिंदी को लेकर अशुद्धता के दुराग्रह पर जोर देते हैं जो बहुत खतरनाक चलन है
तैरता 'किला' आईएनएस विक्रांत
स्वदेश निर्मित युद्धपोत आईएनएस विक्रांत एक तैरता हुआ किला है। यह अत्याधुनिक तकनीक, युद्धक विमान, एंटी सबमरीन, मिसाइल और तोपों से लैस है, जो दुश्मन के किसी भी हमले से निबटने में सक्षम है। यह हिंद प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करेगा
दीदी और दाग
एक तरफ सीबीआई पश्चिम बंगाल में भ्रष्टाचार के कई मामलों की जांच कर रही है तो दूसरी तरफ ईडी भी मी लान्ड्रिग से जुड़े मामलों के राज खोलने में जुटा है। दिलचस्प बात यह कि इन सभी मामलों में तृणमूल कांग्रेस के नेताओं-मंत्रियों और राज्य के प्रशासनिक अफसरों की संलिप्तता खुलकर सामने आ रही
अब धान पर चीनी वायरस का हमला
पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में इस बार धान पर चीनी वायरस का हमला हुआ है। इसके कारण धान की फसल बौनी हो गई है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि इस रोग का कोई इलाज नहीं है
भारत पर भरोसा
वैश्विक आर्थिक पटल पर भारत निरंतर नई उपलब्धियां हासिल करता जा रहा है। ब्रिटेन को पछाड़कर पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने से लेकर दुनियाभर के निवेशकों का पसंदीदा निवेश स्थल बनने तक के सफर के बाद अब दुनिया की उम्मीदें भारत पर टिकीं
सॉल्वेशन आर्मी कन्वर्जन की बहुराष्ट्रीय कंपनी
सॉल्वेशन आर्मी दर असल दुनिया भर में लोगों को ईसाइयत में कन्वर्ट करने वाला ईसाइयों का एक एनजीओ है। यह अमेरिका की इस प्रकार की सौ शीर्ष संस्थाओं में तीसरे स्थान पर है। भारत में लगभग 140 वर्ष पूर्व इसका प्रवेश हुआ था और हिंदुओं को कन्वर्ट हेतु लिए इसने भारत को छह हिस्सों में बांट रखा है
कन्वर्जन को सरकार की शह
आंध्र प्रदेश में ईसाई कन्वर्जन को सरकार की शह मिल रही है। चाहे क्रॉस लगाकर पहाड़ियों पर कब्जा करने का मामला हो, या हिंदू धर्मस्थलों के नवीनीकरण में बाधा डालना या मिशनरियों द्वारा जनजातीय लोगों को डरा-धमका कर ईसाई बनाने का मामला, सरकार या तो खामोश रहती है या मामले में लीपापोती कर देती है
कानून की दुहाई कारनामा ईसाई
लातेहार के महुआडांड़ में ईसाई मिशनरियों से जुड़े लोगों ने संविधान की आड़ में पत्थरगड़ी करके बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक लगाने का प्रयास किया, लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध से उनकी मंशा पूरी नहीं हुई
पंजाब में कन्वर्जन - सलीब और सवाल
पंजाब में ईसाई मिशनरियों के झांसे और जबरन कन्वर्जन के विरुद्ध जनआक्रोश बढ़ रहा है। आएदिन प्रार्थना और चंगाई सभाओं की आड़ में सांस्कृतिक धोखाधड़ी और कन्वर्जन को लेकर टकराव हो रहा है। राज्य में निरोधक कानून बनाने की मांग जोर पकड़ रही है, लेकिन क्या आआपा सरकार पंजाब की अस्मिता को बचाएगी
कांग्रेस पर असंतोष की छाया
कांग्रेस में असंतोष बढ़ रहा है। नेता एक-एक कर पार्टी छोड़ रहे हैं। लेकिन न तो पार्टी बोलने को राजी है, न इसके ‘कर्णधार'। हाशिये पर धकेले गए नेताओं को राहुल गांधी और उनकी चाटुकार मंडली से शिकायत है, जबकि कुछ नेता चाहते ही नहीं कि पार्टी कभी 'परिवार' की छत्रछाया से बाहर निकले
सामान्य बच्चों से आगे बढ़े दिव्यांग बच्चे
बीकानेर के मूक-बधिर विद्यालय की अध्यापिका सुनीता गुलाटी ने मूक-बधिर बच्चों को नवाचार के जरिए इस तरह गढ़ा कि ये बच्चे राष्ट्रीय स्पर्धाओं में सामान्य बच्चों को पछाड़ने की स्थिति में पहुंच गए। उन्होंने ऑनलाइन वीडियो, अतिरिक्त शिक्षण मॉड्यूल, ऑडियो पुस्तक का निर्माण कर बच्चों में रुचि जगा और उनकी योग्यता को समाज के सामने रखा
हिंदू संस्कृति के प्रबल पक्षधर
भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली के राधाकृष्णन भारतीय दर्शन, हिंदू धर्म, हिंदुत्व और विश्व बंधुत्व के प्रबल पक्षघर थे। उन्होंने ईसाइयों के देश इंग्लैंड में जाकर पादरियों की सभा में भारतीय दर्शन की श्रेष्ठता को सिद्ध कर भारत का मान बढ़ाया
चहुंमुखी विकास, बहुमुखी मेधा
शिक्षा संपूर्ण व्यक्तित्व के पुष्पन, पल्लवन एवं परिमार्जन का आधार है। मानव को सभ्य, सुसंस्कृत और योग्य बनाने के लिए यह अपरिहार्य है कि उसे समग्र शिक्षा प्रारंभ से ही दी जाए। समग्र शिक्षा से आशय है युवाओं में शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक, बौद्धिक, नैतिक, आत्मिक आदि सभी मानवीय क्षमताओं का विकास हो
शोध से ही निकलेगा समाधान
भारत जैसे विशाल देश में विभिन्न क्षेत्रों में जितने अधिक शोध होंगे, उतना ही अच्छा होगा। बीमारी, जल संचयन, तकनीक, उद्योग आदि में नए-नए प्रयोगों की बहुत आवश्यकता है। इनसे ही समस्याओं का समाधान निकलेगा
नई रुचियां, नए रोजगार
शिक्षा के क्षेत्र में नए-नए प्रयोग हो रहे हैं। दो विषयों को समायोजित कर पाठ्यक्रम तैयार किए गए हैं, जो सफल होने के साथ रोजगार के नए अवसर भी सृजित कर रहे हैं। नई शिक्षा नीति-2020 इस दिशा में बेहद सार्थक भूमिका निभाने वाली है। इसमें औपचारिक और अनौपचारिक, दोनों ही तरह के पाठ्यक्रम रखे गए हैं
जैसा कार्य वैसा कौशल
भारत में नियोक्ताओं को आवश्यकता अनुरूप मानव संसाधन प्राप्त करने में कठिनाई हो रही है वहीं रोजगार के इच्छुक लोगों के पास रोजगार नहीं है। इसका कारण अभ्यर्थियों में नियोक्ताओं की जरूरत के अनुसार कौशल का न होना है। इस कमी को पूरा करने के लिए युवाओं को विभिन्न प्रकार के कौशलों से युक्त करना अनिवार्य
रुचि बनाएगी राह
12वीं के बाद विषय, कौशल का चयन महत्वपूर्ण होता है। शिखर तक जाने के लिए आवश्यक है कि विद्यार्थी अपनी अभिरुचि का ध्यान रखे। इस ज्ञान, कौशल को प्राप्त करने के लिए संसाधन भी छात्रवृत्तियों एवं शिक्षा ऋण के जरिए जुटाया जा सकता है
कौशलयुक्त हो समग्र शिक्षा
प्राचीन काल में गुरुकुलों में 16 विषय और 64 कौशल आधारित पाठ्यक्रम पढ़ाए जाते थे। इसलिए प्रत्येक ग्रामीण समुदाय किसी न किसी प्रकार के कौशल से संपन्न था। आज सामान्य शिक्षा सफल ज्ञान आधारित करियर के लिए उत्कृष्ट आधार होते हुए भी स्नातकों को कौशल से लैस करने में विफल है। लेकिन नई शिक्षा नीति में विषय- वस्तु सिखाने के बजाय सीखने की कला एवं बुनियादी कौशलों को प्राथमिकता दी गई है
'स्व' शिक्षा की ओर बढ़ते कदम
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 अंग्रेजों द्वारा 1835 में लागू शिक्षा नीति को खत्म कर शिक्षा क्षेत्र को पूरी तरह भारत केंद्रित करने के उद्देश्य से बनी है। इस नीति में ऐसे बीज छुपे हुए हैं कि जिन बीजों के अंकुरित, पुष्पित-पल्लवित होने से भारत का ही नहीं, अपितु सारे विश्व का मार्गदर्शन करने वाली एक अत्यंत शास्त्रीय वैज्ञानिक शिक्षा व्यवस्था का निर्माण होगा। आवश्यकता है इस नीति के प्रभावी क्रियान्वयन की