सोलह संस्कारों की वैज्ञानिकता और माहात्म्य
Jyotish Sagar|May 2023
सनातन हिन्दू धर्म एक शाश्वत और प्राचीन धर्म है। यह एक वैज्ञानिक और विज्ञान आधारित धर्म होने के कारण निरन्तर विकास कर रहा है।
रेखा कल्पदेव
सोलह संस्कारों की वैज्ञानिकता और माहात्म्य

यह माना जाता है कि इसकी स्थापना ऋषि-मुनियों ने की है। इसका मूल पूर्णत: वैज्ञानिक होने के कारण सदियाँ बीत जाने के बाद भी इसका महत्त्व कम नहीं हुआ है। आधुनिक काल में जो कमियाँ आज हम देखते हैं, उसका कारण हिन्द धर्म न होकर लोगों में संवेदनशीलता की कमी और नैतिक पतन है। त्याग भावना की कमी और स्वार्थ भावना की अधिकता के चलते आज कुछ कमियाँ हम अपने आसपास देख सकते हैं। 

प्रारम्भिक काल में हिन्दू समाज गुरुकुल शिक्षा प्रणाली के अनुसार में शिक्षा दी जाती थी, जो वैज्ञानिक होने के कारण विकासोन्मुख थी। सोलह संस्कारों को हिन्दू धर्म की जड़ कहें, तो गलत नहीं होगा। इन्हीं सोलह संस्कारों में इस धर्म की संस्कृति और परम्पराएँ निहित हैं। सनातन धर्म के ये सोलह संस्कार इस प्रकार हैं:

1. गर्भाधान संस्कार,

2. पुंसवन संस्कार,

3. सीमन्तोन्नयन संस्कार,

4. जातकर्म संस्कार,

5. नामकरण संस्कार,

6. निष्क्रमण संस्कार,

7. अन्नप्राशन संस्कार,

8. चूड़ाकर्म संस्कार,

9. विद्यारम्भ संस्कार,

10. कर्णवेध संस्कार,

11. यज्ञोपवीत संस्कार,

12. वेदारम्भ संस्कार,

13. केशान्त संस्कार,

14. समावर्तन संस्कार,

15. विवाह संस्कार एवं

16. अंत्येष्टि संस्कार।

1. गर्भाधान संस्कार: गर्भाधान संस्कार के माध्यम से हिन्दू धर्म यह सन्देश देता है कि स्त्री-पुरुष सम्बन्ध पशुवत् न होकर केवल वंशवृद्धि हेतु होना चाहिए। मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ होने, मन प्रसन्न होने पर गर्भधारण करने से सन्तति स्वस्थ और बुद्धिमान् होती है। चिकित्सीय विज्ञान भी आज इसकी पुष्टि करता है।

2. पुंसवन संस्कार: गर्भ धारण के तीन माह बाद गर्भ में जीव के संरक्षण और विकास हेतु यह आवश्यक है कि स्त्री अपने खान-पान और जीवनशैली को नियमानुसार करें। यह संस्कार यही स्पष्ट करता है। इस संस्कार का उद्देश्य स्वस्थ और उत्तम सन्तति की प्राप्ति है। यह तभी सम्भव है जब गर्भधारण विशेष तिथि और ग्रहों के आधार पर किया जाए।

This story is from the May 2023 edition of Jyotish Sagar.

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बारहवाँ भाव : मोक्ष अथवा भोग
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किसी भी जन्मपत्रिका के चतुर्थ, अष्टम और द्वादश भाव को 'मोक्ष त्रिकोण भाव' कहा जाता है, जिसमें से बारहवाँ भाव 'सर्वोच्च मोक्ष भाव' कहलाता है। लग्न से कोई आत्मा शरीर धारण करके पृथ्वी पर अपना नया जीवन प्रारम्भ करती है तथा बारहवें भाव से वही आत्मा शरीर का त्याग करके इस जीवन के समाप्ति की सूचना देती है अर्थात् इस भाव से ही आत्मा शरीर के बन्धन से मुक्त हो जाती है और अनन्त की ओर अग्रसर हो जाती है।

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रात के सप्तमोक्षदायी पुरियों में से एक अयोध्या को ब्रह्मा के पुत्र मनु ने बसाया था। वसिष्ठ ऋषि अयोध्या में सरयू नदी को लेकर आए थे। अयोध्या में काफी संख्या में घाट और मन्दिर बने हुए हैं। कार्तिक मास में अयोध्या में स्नान करना मोक्षदायी माना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन यहाँ भक्त आकर सरयू नदी में डुबकी लगाते हैं।

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यह सर्वविदित है कि महाभारत के युद्ध में ही श्रीमद्भगवद्गीता का उपदेश भगवान् श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दिया था। यह उपदेश मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी (11 दिसम्बर) को प्रदत्त किया गया था। महाभारत के युद्ध से पूर्व पाण्डव और कौरवों की ओर से भगवान् श्रीकृष्ण से सहायतार्थ अर्जुन और दुर्योधन दोनों ही गए थे, क्योंकि श्रीकृष्ण शक्तिशाली राज्य के स्वामी भी थे और स्वयं भी सामर्थ्यशाली थे।

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नवांश से सम्बन्धित 'वर्गोत्तम' अवधारणा से तो आप भली भाँति परिचित ही हैं। इसी प्रकार की एक अवधारणा 'पुष्कर नवांश' है।

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सत्साहित्य के पुरोधा हनुमान प्रसाद पोद्दार
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प्रसिद्ध धार्मिक सचित्र पत्रिका ‘कल्याण’ एवं ‘गीताप्रेस, गोरखपुर के सत्साहित्य से शायद ही कोई हिन्दू अपरिचित होगा। इस सत्साहित्य के प्रचारप्रसार के मुख्य कर्ता-धर्ता थे श्री हनुमान प्रसाद जी पोद्दार, जिन्हें 'भाई जी' के नाम से भी सम्बोधित किया जाता रहा है।

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जो मनुष्य मेरे द्वारा स्थापित किए हुए इन रामेश्वर जी के दर्शन करेंगे, वे शरीर छोड़कर मेरे लोक को जाएँगे और जो गंगाजल लाकर इन पर चढ़ाएगा, वह मनुष्य तायुज्य मुक्ति पाएगा अर्थात् मेरे साथ एक हो जाएगा।

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प्राचीन काल से ही भारतीय शिक्षा कर्म का क्षेत्र बहुत विस्तृत रहा है। भारतीय शिक्षा में कला की शिक्षा का अपना ही महत्त्व शुक्राचार्य के अनुसार ही कलाओं के भिन्न-भिन्न नाम ही नहीं, अपितु केवल लक्षण ही कहे जा सकते हैं, क्योंकि क्रिया के पार्थक्य से ही कलाओं में भेद होता है। जैसे नृत्य कला को हाव-भाव आदि के साथ ‘गति नृत्य' भी कहा जाता है। नृत्य कला में करण, अंगहार, विभाव, भाव एवं रसों की अभिव्यक्ति की जाती है।

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