भारतीय संविधान के भाग ४ के अनुच्छेद ३६ से ५१ में राज्य के नीति निर्देशक सिद्धान्तों (Directive Principles of the State Policy) का उल्लेख किया गया है। नीति निर्देशक सिद्धान्तों में उन उद्देश्यों एवं लक्ष्यों का उल्लेख है जिनका पालन करना राज्य का कर्तव्य है। संविधान की में लोक प्रस्तावना कल्याणकारी राज्य एवं समाजवादी समाज की स्थापना के आदर्श की परिकल्पना की गई है। यह आदर्श तभी प्राप्त किया जा सकता है जब सरकार नीति निर्देशक सिद्धान्तों को लागू करने का प्रयत्न करें। नीति निदेशक सिद्धान्तों में वे आदर्श निहित है, जिन्हें प्रत्येक सरकार को अपनी नीतियों के निर्धारण और कानून बनाने में सदैव ध्यान रखना चाहिए।
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प्रेमकृष्ण खन्ना
स्थानिक विभूतियों की कथा - २५
स्वस्थ विश्व का आधार बना 'मिलेट्स'
मिलेट्स यानी मोटा अनाज। यह हमारे स्वास्थ्य, खेतों की मिट्टी, पर्यावरण और आर्थिक समृद्धि में कितना योगदान कर सकता है, इसे इटली के रोम में खाद्य एवं कृषि संगठन के मुख्यालय में मोटे अनाजों के अन्तरराष्ट्रीय वर्ष (आईवाईओएम) के शुभारम्भ समारोह के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी के इस सन्देश से समझा जा सकता है :
जब प्राणों पर बन आयी
एक नदी के किनारे एक पेड़ था। उस पेड़ पर बन्दर रहा करते थे।
देव और असुर
बहुत पहले की बात है। तब देवता और असुर इस पृथ्वी पर आते-जाते थे।
हर्षित हो गयी वानर सेना
श्री हनुमत कथा-२१
पण्डित चन्द्र शेखर आजाद
क्रान्तिकारियों को एकजुट कर अंग्रेजी शासन की जड़ें हिलानेवाले अद्भुत योद्धा
भारत राष्ट्र के जीवन में नया अध्याय
भारत के त्रिभुजाकार नए संसद भवन का उद्घाटन समारोह हर किसी को अभिभूत करनेवाला था।
समान नागरिक संहिता समय की मांग
विगत दिनों से समान नागरिक संहिता का विषय निरन्तर चर्चा में चल रहा है। यदि इस विषय पर अब भी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो इसके गम्भीर परिणाम आनेवाली सन्तति और देश को भुगतना पड़ सकता है।
शिक्षा और स्वामी विवेकानन्द
\"यदि गरीब लड़का शिक्षा के मन्दिर न आ सके तो शिक्षा को ही उसके पास जाना चाहिए।\"
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
२३ जुलाई, जयन्ती पर विशेष