Panchjanya - November 06, 2022
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Bu konuda
साबरमती संवाद
बात जन की, गण की, मन की
गुजरात के कर्णावती में जीवंत मुद्दों पर दो दिवसीय विमर्श कई माामलों में ऐतिहासिक। साबरमती के तट पर न्यायपालिका, शिक्षा, राम जन्मभूमि मन्दिर, सहकारिता, रक्षा आंतरिक सुरक्षा समेत कई ज्वलंत विषयों पर बेबाक संवाद से फूटी विमर्श की अजस्र धाराएं
न्यायाधीश चुनने में बीतता है न्यायाधीशों का आधा समय
केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रीजीजू ने पाञ्चजन्य के साबरमती संवाद में न्यायपालिका के लिए सकारात्मक सुझाव के साथ बदलाव के बिंदुओं को बड़ी बारीकी से रेखांकित किया। उन्होंने न्यायिक एक्टिविज्म, आंतरिक स्वनियम तंत्र की आवश्यकता, कोलेजियम सिस्टम, अंकल जज सिंड्रोम, न्यायपालिका की आलोचना, औपनिवेशिक बोझ, भाषा के दबाव जैसे बिंदुओं पर खुलकर बात की। प्रस्तुत है केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रीजीजू से पाञ्चजन्य के संपादक हितेश शंकर की बातचीत
3 mins
दासता का बोझ और नहीं
भारत की उन्नत शिक्षा व्यवस्था को अंग्रेजों ने षड्यंत्रपूर्वक नष्ट किया। अंग्रेजों की शिक्षा प्रणाली ने मानसिक दास बनाए जिन्हें हम स्वतंत्रता के 75 वर्ष बाद तक ढोते रहे। परंतु अब नई शिक्षा नीति ने इन दोषों को दूर करने के सूत्र दे दिए हैं। भारतीय शिक्षण मंडल के राष्ट्रीय महामंत्री मुकुल कानितकर से पाञ्चजन्य के संपादक हितेश शंकर की बातचीत पर आधारित रिपोर्ट
4 mins
राष्ट्र मंदिर है श्रीगम मंदिर
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र के महासचिव श्री चंपत राय ने श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन को बड़े निकट से देखा है। फिलहाल वे मंदिर निर्माण के कार्य को देख रहे हैं। पाञ्चजन्य के 'साबरमती संवाद' में उन्होंने स्पष्ट कहा कि प्रभु श्रीराम देशभर के लोगों के हृदय में बसते हैं। इसलिए यह मंदिर राष्ट्र मंदिर है। श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन का विहंगम अवलोकन करते हुए उन्होंने आंदोलन के दौरान उन तमाम दबी-छिपी कहानियों से पर्दा उठाया, जिनकी इस आंदोलन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका थी। चंपत राय से पाञ्चजन्य के संपादक हितेश शंकर की बातचीत के अंश:-
3 mins
धर्म के बिना राजनीति कूड़ा
कर्णावती में पाञ्चजन्य द्वारा आयोजित साबरमती संवाद में पूज्य श्री रमेश भाई ओझा जी ने कहा कि शासन व्यवस्था में, राजनीति में, यदि धर्म न रहा तो राजनीति सिवा कूड़ा-करकट के कुछ नहीं रह जाएगी और जिस दिन धर्म में राजनीति घुसी, धर्म नहीं बच पाएगा। उन्होंने राष्ट्र के चिंतन, राष्ट्र की अगली पीढ़ी को दी जा रही शिक्षा को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया। सत्र का संचालन पाञ्चजन्य के संपादक हितेश शंकर ने किया
7 mins
समसामयिक और धर्मकार्य है सहकार
कर्णावती में पाञ्चजन्य के साबरमती संवाद में अमूल के प्रबंध निदेशक आर. एस. सोढ़ी ने सहकारिता के विभिन्न पहलुओं को सामने रखा और बताया कि कैसे देश के विकास में सहकार की महत्वपूर्ण भूमिका है। ईमानदारी, सत्यनिष्ठा के संस्कार को सहकार का मूल बताते हुए नई पीढ़ी को सहकारिता से जोड़ने की रूपरेखा पेश की
4 mins
यह 1962 वाला भारत नहीं
पिछले 70-75 वर्षों में शायद ही किसी सरकार ने रक्षा को केंद्र में रखकर आत्मनिर्भर भारत पर विचार किया हो। लेकिन नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश न केवल रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो रहा है, बल्कि रक्षा साजो-सामान का निर्यात भी करने लगा है
5 mins
माहौल बिगाड़ रही 'चौकड़ी'
देश में हाल के दिनों में जितनी भी बड़ी घटनाएं हुई हैं, उनके पीछे एक संगठन नहीं, बल्कि पूरी चौकड़ी का हाथ था। इसमें कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन, ईसाई मिशनरीज, नक्सली और एक समूह शामिल है-
2 mins
डर के साये में बंगाल की महिलाएं
बंगाल में अराजकता चरम पर है। राज्य की महिलाएं हमेशा खौफ और घुटन में रहती हैं। वहां लोगों को मार कर पेड़ पर टांग दिया जाता है। महिलाओं से रोजाना बलात्कार होते हैं, परे ये खबरें मीडिया में नहीं आतीं। भाजपा नेता रूपा गांगुली से क्षिप्रा माथुर ने बातचीत की
2 mins
ड्रग माफिया में है गुजरात पुलिस का खौफ
गुजरात के गृह राज्यमंत्री हर्ष संघवी ने साबरमती संवाद में राज्य की सुरक्षा-व्यवस्था से लेकर प्रासंगिक मुद्दों पर वरिष्ठ पत्रकार गोपाल गोस्वामी से की बेबाक बातचीत
2 mins
झूठ के खिलाफ सत्य का शंखनाद
'साबरमती संवाद' में फेक न्यूज को लेकर हुए सत्र में सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर विजय पटेल एवं काजल हिन्दुस्थानी ने झूट की फैक्टरी चलाने वालों की उघेड़ी परतें
2 mins
चौथी क्रांति के मुहाने पर भारत
भले ही भारत पूर्व की क्रांतियों से अपेक्षित लाभ नहीं उठा सका। लेकिन चौथी क्रांति यानी डिजिटल क्रांति देश को आर्थिक महाशक्ति बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी
2 mins
संकट से समाधान की ओर
जलान्दोलन के जरिए पाञ्चजन्य पानी के उपजते संकट को न केवल सामने रखता आया है बल्कि समय-समय पर विमर्श के जरिए उसके समाधान पर पहुंचने की कोशिश की है। 'साबरमती संवाद' में क्षिप्रा माथुर ने जलान्दोलन अभियान से जुड़ी कथाओं को लोगों से साझा किया
2 mins
Panchjanya Magazine Description:
Yayıncı: Bharat Prakashan (Delhi) Limited
kategori: Politics
Dil: Hindi
Sıklık: Weekly
स्वतंत्रता प्राप्ति के तुरन्त बाद 14 जनवरी, 1948 को मकर संक्राति के पावन पर्व पर अपने आवरण पृष्ठ पर भगवान श्रीकृष्ण के मुख से शंखनाद के साथ श्री अटल बिहारी वाजपेयी के संपादकत्व में 'पाञ्चजन्य' साप्ताहिक का अवतरण स्वाधीन भारत में स्वाधीनता आन्दोलन के प्रेरक आदशोंर् एवं राष्ट्रीय लक्ष्यों का स्मरण दिलाते रहने के संकल्प का उद्घोष ही था।
अटल जी के बाद 'पाञ्चजन्य' के सम्पादक पद को सुशोभित करने वालों की सूची में सर्वश्री राजीवलोचन अग्निहोत्री, ज्ञानेन्द्र सक्सेना, गिरीश चन्द्र मिश्र, महेन्द्र कुलश्रेष्ठ, तिलक सिंह परमार, यादव राव देशमुख, वचनेश त्रिपाठी, केवल रतन मलकानी, देवेन्द्र स्वरूप, दीनानाथ मिश्र, भानुप्रताप शुक्ल, रामशंकर अग्निहोत्री, प्रबाल मैत्र, तरुण विजय, बल्देव भाई शर्मा और हितेश शंकर जैसे नाम आते हैं। नाम बदले होंगे पर 'पाञ्चजन्य' की निष्ठा और स्वर में कभी कोई परिवर्तन नहीं आया, वे अविचल रहे।
किन्तु एक ऐसा नाम है जो इस सूची में कहीं नहीं है, परन्तु वह इस सूची के प्रत्येक नाम का प्रेरणा-स्रोत कहा जा सकता है जिसने सम्पादक के रूप में अपना नाम कभी नहीं छपवाया, किन्तु जिसकी कल्पना में से 'पाञ्चजन्य' का जन्म हुआ, वह नाम है पं. दीनदयाल उपाध्याय।
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