Panchjanya - January 01, 2023
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Bu konuda
भारत का संस्कृति संधान
समाज और राष्ट्र निर्माण में मंदिरों की महती भूमिका रही है.मंदिरों की अनदेखी का दौर अब बीत गया. अब भारत करेगा विश्व भर मेंं संस्कृति और ज्ञान के केंद्र मंदिरों की देखभाल
फिर बहेगी संस्कृति की गंगा
एक लघु भारत विश्व भर में बसा हुआ है।
3 mins
सांस्कृतिक जागरण का जरिया बने मोदी
सदियों की परतंत्रता के बाद 1947 में देश को राजनीतिक स्वतंत्रता तो मिली, किंतु सांस्कृतिक स्वतंत्रता नहीं आई। हमारे मंदिर, मठ और तीर्थस्थल उपेक्षित ही रहे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस स्थिति को बदलने का कार्य कर रहे हैं
4 mins
भारतीय संस्कृति का विश्व वितान
भारत सरकार कंबोडिया, श्रीलंका, नेपाल आदि देशों में अनेक मंदिरों का जीर्णोद्धार करा रही है। यही नहीं, संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन जैसे मुस्लिम देशों में भी ऐसे कार्य हो रहे हैं। अबूधाबी में तो नया मंदिर बन रहा है
5 mins
.... हमने तो दिलों को जीता है
भारत विश्व का अनूठा देश है, जिसकी सॉफ्ट पावर उसकी सभ्यतागत विरासत और सांस्कृतिक कौशल पर आधारित है। भारत की छवि ऐसे सौम्य देश की है जो सैन्य शक्ति होने के बावजूद स्वभाव से आक्रामक नहीं है, जिसकी बढ़ती सैन्य शक्ति को खतरे के रूप में नहीं देखा जाता है
5 mins
भारत का जागता रक्षा बोध
बहुत समय नहीं हुआ, जब देश में इस बात को लेकर चर्चा होती थी कि भारत अपनी सुरक्षा को लेकर लापरवाह बना हुआ है। अब यह स्थिति बदलती जा रही है। भारत न केवल अपनी रक्षा जरूरतों में लंबे समय से चली आ रही कमियों को पूरा करने में सक्षम है, बल्कि वह अपने उस रक्षा बोध को साकार कर रहा है, जिसकी उसे हमेशा आवश्यकता थी
6 mins
उपेक्षित ऐतिहासिक धरोहर
उज्जैन में नाथ संप्रदाय के प्रवर्तक योगी मत्स्येंद्रनाथ की समाधि बरसों तक उपेक्षित रही। उन्हें अपना पीर बताकर मुसलमानों ने समाधि स्थल पर कब्जा कर लिया, जो लंबी लड़ाई के बाद अब हिंदुओं के पास है। हालांकि 2,000 वर्ष का इतिहास होने के बावजूद यह स्थान तकनीकी कारणों से एएसआई की सूची में नहीं है
3 mins
संस्कृति की सलामती के लिए सुधार
टीपू सुल्तान के कार्यकाल में संस्कृति से जो छेड़छाड़ की गई थी, कर्नाटक की भाजपा सरकार अब उसे सुधार रही है। राज्य के मंदिरों में होने वाली आरती पर लगे मजहबी ठप्पे को हटाया जाएगा
2 mins
चर्च में बगावत पादरी नाराज
सिरो-मलाबार चर्च इन दिनों आंतरिक कलह से जूझ रहा है। पोप ने प्रार्थना पद्धति में मामूली बदलाव के निर्देश दिए हैं, जिसे एर्नाकुलम-अंकामाली डायोसिस मानने को तैयार नहीं है। कुछ पादरी पुरानी प्रार्थना पद्धति छोड़ने को तैयार नहीं हैं
5 mins
धर्म के लिए सर्वस्व न्योछावर
1705 में 21 से 27 दिसम्बर की अवधि में गुरु गोबिंद सिंह जी के चार साहिबजादों ने धर्म के लिए सर्वस्व न्योछावर कर दिया। उस समय आधा पंजाब रोया था और आधा जमीन पर सोया था। खेद की बात है कि अब वही राज्य 21 से 27 दिसम्बर तक क्रिसमस मना रहा
4 mins
ब्रह्मपुत्र का भार, ‘भारालू' नदी
ब्रह्मपुत्र की तमाम सहायक नदियों में से सबसे बदहाल और सबसे बड़े खतरे का सबब भारालू ही है। सात शहरी वार्डों को छूकर गुजरती इस नदी में जहरीले रसायनों का स्तर खतरनाक है। भारालू नदी पर अलग-अलग एजेंसियों ने वक्त-वक्त पर चेताया है। इस पर कुछ काम भी हुआ है, परंतु सरकारी अमले और नागरिकों को इस बारे में और जागरूक होना पड़ेगा
6 mins
उज्जैन में पंचमहाभूत पर होगी गोष्टी
जलवायु परिवर्तन से आई समस्याओं को समझने और दुनिया को समझाने के लिए तथा भारतीय दृष्टिकोण से उसका समाधान क्या हो, इस पर हो रही है तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय गोष्ठी
1 min
खतरा सिर पर, सरकारें मस्त
बिहार में नेपाल से सटे जिलों और पश्चिम बंगाल के साथ सीमा साझा करने वाले झारखंड के कई जिलों में मुस्लिम आबादी दोगुनी हो गई है। इसी अनुपात में लव जिहाद, जमीन जिहाद और जमीन पर कब्जे के मामले भी बढ़े हैं, पर राज्य सरकारें तुष्टीकरण में जुटी हुई हैं
4 mins
कागज पर सुशासन और जमीन पर जिहाद
'यह जमीन बिक्री का नहीं है। इस जमीन का हक वामदेव झा के पास है।'
2 mins
समय की आहट पहचाने बॉलीवुड
वक्त बदल रहा है, लेकिन बॉलीवुड नहीं बदल रहा है। देश की अस्मिता पर कुठाराघात करने की उसकी मानसिकता अब लोगों के मन से मुम्बइया फिल्मों को दूर कर रही है
5 mins
सावधान ! फिर सिर उठा रहा है कोरोना
चीन में कोरोना महामारी की स्थिति विस्फोटक होती जा रही है और अगर यह काबू से बाहर हुई तो सिर्फ चीन ही नहीं, इसका खामियाजा दुनिया का हर देश भुगतने को मजबूर हो जाएगा। भारत सरकार भी हुई सतर्क
5 mins
समाज: यह रीत है जीवन की
कुछ समय पहले राजस्थान में जालौर के एक गांव में वाल्मीकि समाज की बेटी का विवाह बड़े धूमधाम से संपन्न हुआ। खास बात य रही कि विवाह की तैयारियों से लेकर कन्यादान और विदाई की रस्म 'अगड़ी जाति' के लोगों ने पूरी की 17 तोले सोना, आधा किलो चांदी और इतना सामान दिया कि ट्रैक्टर ट्रॉली भर गई। समाज को जोड़ने वाली यह एक घटना मिसाल है
2 mins
पाकिस्तानी प्रलाप का दूसरा पक्ष
पाकिस्तान में चुनाव होने वाले हैं, इसलिए वहां के तमाम नेता फौज के जनरलों को खुश करने में लगे हैं। कोई इस्लामी बैंकिंग शुरू करा रहा है, कोई परमाणु बम की धमकी दे रहा है, तो कोई संयुक्त राष्ट्र में भारत के प्रधानमंत्री को लेकर ओछी बात कर रहा है
5 mins
आईटी में कामयाबी के मायने और भारत
भारत के आईसीटी क्षेत्र में बदलाव आ रहा है। विश्वव्यापी आर्थिक ठहराव के दौर में भारत में अवसरों का प्रस्फुटन विश्व के लिए भी एक उम्मीद जगाता है
3 mins
Panchjanya Magazine Description:
Yayıncı: Bharat Prakashan (Delhi) Limited
kategori: Politics
Dil: Hindi
Sıklık: Weekly
स्वतंत्रता प्राप्ति के तुरन्त बाद 14 जनवरी, 1948 को मकर संक्राति के पावन पर्व पर अपने आवरण पृष्ठ पर भगवान श्रीकृष्ण के मुख से शंखनाद के साथ श्री अटल बिहारी वाजपेयी के संपादकत्व में 'पाञ्चजन्य' साप्ताहिक का अवतरण स्वाधीन भारत में स्वाधीनता आन्दोलन के प्रेरक आदशोंर् एवं राष्ट्रीय लक्ष्यों का स्मरण दिलाते रहने के संकल्प का उद्घोष ही था।
अटल जी के बाद 'पाञ्चजन्य' के सम्पादक पद को सुशोभित करने वालों की सूची में सर्वश्री राजीवलोचन अग्निहोत्री, ज्ञानेन्द्र सक्सेना, गिरीश चन्द्र मिश्र, महेन्द्र कुलश्रेष्ठ, तिलक सिंह परमार, यादव राव देशमुख, वचनेश त्रिपाठी, केवल रतन मलकानी, देवेन्द्र स्वरूप, दीनानाथ मिश्र, भानुप्रताप शुक्ल, रामशंकर अग्निहोत्री, प्रबाल मैत्र, तरुण विजय, बल्देव भाई शर्मा और हितेश शंकर जैसे नाम आते हैं। नाम बदले होंगे पर 'पाञ्चजन्य' की निष्ठा और स्वर में कभी कोई परिवर्तन नहीं आया, वे अविचल रहे।
किन्तु एक ऐसा नाम है जो इस सूची में कहीं नहीं है, परन्तु वह इस सूची के प्रत्येक नाम का प्रेरणा-स्रोत कहा जा सकता है जिसने सम्पादक के रूप में अपना नाम कभी नहीं छपवाया, किन्तु जिसकी कल्पना में से 'पाञ्चजन्य' का जन्म हुआ, वह नाम है पं. दीनदयाल उपाध्याय।
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