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बागवानी पौधशाला की स्थापना एवं प्रबंधन
बागवानी पौधशाला किसान बन्धुओं (नर्सरी) शब्द अंग्रेजी के नर्स या नर्सिंग से लिया गया है, जिसका अर्थ है- पौधों की देखभाल, पालन-पोषण और संरक्षण प्रदान करना।
सूचना संचार एवं कृषि विकास
यदि भारत को खुशहाल बनाना है, तो गांवों को भी विकसित करना होगा। आज सरकार ग्रामीण विकास, कृषि एवं भूमिहीन किसानों के कल्याण पर ज्यादा जोर दे रही है। इसलिये यह क्षेत्र बेहतरी की दिशा में परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। प्रौद्योगिकी और पारदर्शिता वर्तमान सरकार की पहचान बन गए हैं। सरकार ने अगले पांच वर्षों में किसानों की आमदनी दोगुनी करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिये परम्परागत तरीकों से हटकर 'आउट-ऑफ-बॉक्स' पहल की गई है।
जैविक उत्पादों और स्थायी सामग्रियों में मशरुम माइसीलियम का योगदान
मशरूम की दुनिया में 'माइसीलियम' एक ऐसा तत्व है जो कई खाद्य, पोषण और औद्योगिक क्रांतियों का आधार बन रहा है। यह मशरूम के जीवन चक्र का वह हिस्सा है जो अदृश्य होते हुए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
उत्तम बीज की पहचान तथा विशेषताएं
भारत एक कृषि प्रधान देश है। जहां लगभग 70 प्रतिशत लोग खेती करते हैं। जो लोग खेती करते हैं, उन्हें हम अन्नदाता कहते हैं और हर एक किसान की यह इच्छा होती है कि उसकी फसल बहुत अच्छी हो और उसे लाभ की प्राप्ति हो जिससे वह अपनी पूरी लागत निकाल सकें।
बीज कानून अथॉर्टी लैटर
“Study of Seed Laws is not a problem but an opportunity to understand how legally we are soung”
लोगों के स्वास्थ्य पर दूध में मौजूद एंटीबायोटिक अवशेषों का प्रभाव
दूध की बढ़ती मांग ने उत्पादकों को व्यापक पशुपालन प्रथाओं को अपनाने के लिए मजबूर किया है। डेयरी पशुओं में विभिन्न रोग स्थितियों के उपचार के लिए पशु चिकित्सा दवाओं का उपयोग इस तरह के व्यापक पशुपालन प्रथाओं का अभिन्न अंग बन गया है।
फल-सब्जियों के स्टोर के लिए एलईडी आधारित तकनीक
आईआईटी इंदौर के शोधकर्ताओं ने मिलकर किसानों के लिए अपनी उपज अधिक समय तक स्टोर करने के लिए एक तकनीक का विकास किया है। यह एलईडी लाईट-आधारित भंडारण तकनीक है। दावा किया जा रहा है कि यह तकनीक फल और सब्जियों को सड़ने से लंबे समय तक बचाए रखती है, जिससे किसान अपनी उपज की शेल्फ लाइफ बढ़ा सकते हैं।
गेहूं की उत्तम पैदावार के लिए मैंगनीज का प्रबंधन कैसे करें?
गेहूं की उत्तम पैदावार के लिए मैंगनीज का प्रबंधन, हमारे देश में गेहूं, धान के बाद दूसरी सबसे महत्वपूर्ण खाद्यान्न फसल है। भारत में आज कुल 8.59 करोड़ टन से अधिक गेहूं का उत्पादन हो रहा है। गेहूं की औसत उत्पादन 28.0 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है, जो कि अनुसंधान संस्थानों के फार्मों पर प्राप्त तथा नई किस्मों की उत्पादन क्षमता 50 से 60 क्विंटल प्रति हैक्टेयर से अत्याधिक कम है।
टिड्डी दल के हमले का हो सकेगा पूर्व अनुमान
रेगिस्तानी टिड्डा (शिस्टोसेरका ग्रेगेरिया) खेती के लिए सबसे खतरनाक प्रवासी कीटों में से एक है, जिससे कई क्षेत्रों में खाद्य सुरक्षा के लिए इसका नियंत्रण जरुरी हो गया है।
आय दोगुनी करने में कृषि तकनीकी सूचना तंत्र का योगदान
आज किसानों को समय-समय पर नई कृषि तकनीकों की जानकारियां देश में इंटरनेट, दूरदर्शन या मोबाइल फोन का कृषि उत्पादन को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान है।
दालों और अनाज की खपत में 5 प्रतिशत की गिरावट
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के विश्लेषण के अनुसार, भारतीय परिवारों ने पिछले 12 वर्षों में अपने खर्च के पैटर्न में महत्वपूर्ण बदलाव किया है तथा अपना ध्यान खाद्य पदार्थों से हटाकर गैर-खाद्य पदार्थों पर केंद्रित कर लिया है।
इन सीटू पराली प्रबंधन है कामयाब
1970 के दशक से भारतीय खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने वाली \"हरित क्रांति\" का श्रेय मुख्य रुप से बौनी उच्च उत्पादक क्षमता वाली गेहूं की किस्मों और धान की किस्मों की शुरुआत को दिया जाता है। भारतीय शोधकर्ताओं ने इन फसलों में और सुधार किया और साथ ही रासायनिक उर्वरकों के उपयोग और भूजल आधारित नलकूप सिंचाई को बढ़ावा दिया। खासतौर पर पंजाब, हरियाणा जैसे उत्तर-पश्चिमी राज्यों में इस पर खास ध्यान दिया गया।
सूखे चारे को पौष्टिक बनायें, पशुधन को उत्पादक बनायें
पशुपालन एवं डेयरी उद्योग का हमारे देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण स्थान है। विश्व भर की कुल गायों का 20 प्रतिशत तथा भैसों का 57 प्रतिशत हमारे देश की धरोहर तो अवश्य है, परन्तु उनकी उत्पादन क्षमता अन्य देशों की तुलना में बहुत कम है।
भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र की ओर से उच्च उपज वाली किस्में जारी
भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC), मुंबई ने विकिरण-आधारित उत्परिवर्तन प्रजनन तकनीकों का उपयोग करके विकसित गेहूं, चावल और तिलहन की आठ नवीन, उच्च उपज वाली, जलवायु-प्रतिरोधी किस्मों का अनावरण किया है। राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के साथ साझेदारी में लांच की गई इन गैर-जीएमओ किस्मों का उद्देश्य उत्पादकता और विविध कृषि स्थितियों अनुकूलता को बढ़ाकर भारतीय कृषि को बदलना है।
उपज की कीमत को स्थिर करने के लिए आप्रेशन ग्रीन का नहीं हो रहा है सही इस्तेमाल
फसल की कीमतों को स्थिर बनाए रखने और किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए बनाई गई केंद्र सरकार की प्रमुख ऑपरेशन ग्रीन्स योजना ने 2024-25 के लिए अपने आवंटित बजट का मात्र 34 प्रतिशत ही खर्च किया है।
शीत ऋतु में ऐसे करें डेयरी पशुओं का प्रबंधन
शीत ऋतु में डेयरी पशुओं का उचित प्रबंधन करके हम उनके स्वास्थ्य और उत्पादकता को बनाए रख सकते हैं। पौष्टिक आहार, उचित आश्रय और स्वास्थ्य देखभाल के माध्यम से पशुओं को ठंड के तनाव से बचाया जा सकता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाकर हम पशुओं के लिए एक स्वस्थ और सुरक्षित वातावरण प्रदान कर सकते हैं।
खाद्यय फसलों की रानी-मक्का उपज बढ़ाने के वैज्ञानिक तरीके
मक्का विश्व की एक प्रमुख खाद्यान्न फसल है। मक्का में विद्यमान अधिक उपज क्षमता और विविध उपयोग के कारण इसे खाद्यय फसलों की रानी कहा जाता है। पहले मक्का को विशेष रुप से गरीबों का मुख्य भोजन माना जाता था परन्तु अब ऐसा नहीं है।
कृषि आय बढ़ाने और महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण में डेयरी सैक्टर की भूमिका
आठ करोड़ डेयरी किसानों के साथ भारत का डेयरी सैक्टर सामूहिक प्रयास और रणनीतिक विकास की ताकत का बेहतरीन सबूत है। 50 साल पहले दूध की कमी वाले देश से दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक बनने तक भारत ने असाधारण यात्रा तय की है।
सूरजमुखी की खेती की उत्तम पैदावार कैसे लें?
सूरजमुखी की खेती खरीफ, रबी एवं जायद तीनों ही मौसमों में की जा सकती है। परन्तु खरीफ में सूरजमुखी पर अनेक रोग कीटों का प्रकोप होता है। फूल छोटे होते हैं तथा उनमें दाना भी कम है।
असामान्य तापमान, डीएपी संकट और रिजर्व बैंक की मुश्किलें
पिछले सप्ताह जीडीपी के सात तिमाही के निचले स्तर पर पहुंचने के आंकड़ों ने पहले से ही परेशान भारतीय रिजर्व बैंक और सरकार की मुश्किलें बढ़ी दी हैं।
अपनी खेती अपने बीज
पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी लुधियाना की ओर से सिफारिश अधिकतर बीज देसी किस्मों से संशोधित बीज हैं, विशेष तौर पर सब्जियों के। अनाज वाली फसलों के अधिकतर बीज हरित क्रांति की तकनीकों के द्वारा विकसित किये अधिक उत्पादन देने वाले हैं। पीएयू की ओर से अब तक गेहूं एवं धान की किसी भी हाईब्रिड किस्म की सिफारिश नहीं की गई है परन्तु मक्का की अधिकतर किस्में हाईब्रिड हैं।
सरसों में कीटों की पहचान व रोकथाम
सरसों रबी में उगाई जाने वाली फसलों में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। सरसों वर्गीय फसलों के तहत तोरिया, राया, तारामीरा, भूरी व पीली सरसों आती है। हरियाणा में सरसों मुख्य रुप से रेवाड़ी, महेन्द्रगढ़, हिसार, सिरसा, भिवानी व मेवात जिलों में बोई जाती है।
गन्ना कटाई मशीन आवश्यकता, लाभ व अनिवार्य शर्ते
यमुनानगर जिले की फसल विविधता में गन्ने का अहम् योगदान है। हरियाणा सांख्यिकी सारांश के अनुसार यमुनानगर जिले में वर्ष 2013-2014 में गन्ने का उत्पादन क्षेत्रफल 27000 हैक्टेयर से घटकर वर्ष 2021-2022 में लगभग 20000 हैक्टेयर रह गया है जिसमें इस प्रकार क्षेत्रफल में लगभग 25 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।
समन्वित कृषि अपशिष्ट प्रबंधन
भारत एक कृषि प्रधान देश है जिसकी अधिकतर जनसंख्या गांवों में निवास करती है। यहां पर अनेक प्रकार के खाद्यान्नों का उत्पादन होता है। वास्तव में खाद्य पदार्थो का सीधा सम्बन्ध जनसंख्या पर आधारित होता है।
गेहूं का पीला रतुआ रोग एवं रोग से बचाव के उपाय
गेहूं का पीला रतुआ रोग, गेहूं के उत्पादन में विश्व स्तर पर भारत का दूसरा स्थान है और वर्ष 2014 में हमारा गेहूं उत्पादन 95.91 मिलियन टन रहा जो एक ऐतिहासिक रिकार्ड उत्पादन है। भारत की गेहूं उत्पादन में यह उपलब्धि दुनिया के विकास के इतिहास में शायद सबसे महत्वपूर्ण तथा अद्वितीय रही है। गेहूं उत्पादन में काफी वृद्धि के बावजूद भी हमारा देश विभिन्न प्रकार की चुनौतियों का सामना कर रहा है।
चावल की गुणवत्ता में आ रही है गिरावट
दुनिया भर में अरबों लोग चावल का उपयोग मुख्य भोजन के रुप में करते हैं। पिछले 50 सालों में इसकी मांग दोगुनी हो गई है, मुख्य रुप से एशिया में उगाई जाने वाली धान की फसल दुनिया भर में निर्यात की जाती है। धान की फसल पर मौसम का बड़ा असर पड़ता है और इसलिए यह समझना कि जलवायु परिवर्तन से पैदावार कैसे प्रभावित होती है, भविष्य में सतत खाद्य आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सबसे जरुरी है।
कृषि सखियां सिखाएंगी अब किसानों को प्राकृतिक खेती के गुर
प्राकृतिक खेती को बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने अब कमर कस ली है और इसके लिए सरकार ने हाल ही में शुरु किए गए राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (एनएमएनएफ) के लिए दिशा-निर्देश जारी किया है। इस मिशन में 30 हजार कृषि सखियों को भी कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा प्रशिक्षित किया जाएगा। इसके बाद ये सखियां किसानों को प्राकृतिक खेती के गुर सिखाएंगी।
खाद्य प्रणाली को पर्यावरण के अनुकूल बनाने की आवश्यकता
कृषि खाद्य प्रणालियों को पर्यावरण और जलवायु अनुकूल बनाने के लिए एक नया कार्यक्रम शुरू किया गया है। इसका उद्देश्य वैश्विक कृषि खाद्य प्रणालियों में खेतों से लेकर खाने के टेबल तक बदलाव करना है, ताकि उन्हें सतत, पर्यावरण अनुकूल, समावेशी और प्रदूषण मुक्त बनाने के साथ-साथ जलवायु में आते बदलावों का सामना करने के भी काबिल बनाया जा सके।
मिट्टी से भी ग्रीन हाऊस गैसों का होता है निकास
मानव लगभग पूरी तरह से बड़ी मात्रा में खाद्य उत्पादन के लिए मिट्टी पर निर्भर है और इस कारण यह ग्रीनहाउस गैसों के बड़े पैमाने पर हो रहे उत्सर्जन का कारण भी है। यह बात वैज्ञानिकों ने हाल में किए गए एक व्यापक शोध में पाई है।
मोटे अनाज की पॉलिश करने से कम होती है पौष्टिकता
भारतीय वैज्ञानिकों ने अपने नए अध्ययन में खुलासा किया है कि बाहरी परत हटाने और पॉलिश करने से मिलेट (मोटे अनाज) की पौष्टिकता घट जाती है।