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गाजरघास की बनाएं खाद
गाजरघास, जिसे कांग्रेस घास, चटक चांदनी, कड़वी घास वगैरह नामों से भी जाना जाता है, न केवल किसानों के लिए, बल्कि इनसानों, पशुओं, आबोहवा व जैव विविधता के लिए एक बड़ा खतरा बनती जा रही है. इस को वैज्ञानिक भाषा में पार्थनियम हिस्टेरोफोरस कहते हैं.
खेती मे काम आने वाली ख़ास मशीने
फसल की कटाई का ज्यादातर काम हंसिए से किया जाता है. एक हेक्टेयर फसल की एक दिन में कटाई के लिए 20-25 मजदूरों की जरूरत पड़ती है.
काजू बनी बेल और फंदे पर लटक गए किसान
मध्य प्रदेश में आदिवासी बहुल बैतूल के यों तो अलगअलग नाम हैं, लेकिन ज्यादातर नाम उस के भौगोलिक पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए दिए गए हैं. बैतूल का मतलब कपासरहित इलाका, लेकिन अंगरेजी वर्णमाला के 5 अक्षरों से बने बैतूल शब्द यानी नाम को एक अलग ही पहचान दी गई है.
लीक की खेती
हरा प्याज की एक किस्म लीक को कंदीय फसल भी कहा जाता है . लेकिन इस की जड़ या कंद छोटा होता है . इसे अलग कर के प्रयोग में नहीं लाते हैं इसलिए यह फसल गैरकंदीय और द्विवार्षिक है .
हाइड्रोजैल के उपयोग : जल प्रबंधनऔर अधिक उपज
बढ़ती आबादी के साथसाथ कृषि , उद्योग और शहरी आबादी के बीच पानी की कमी होना अब चिता की बात है . इस समस्या से कैसे निबटा जाए , इस के लिए हर रोज नए प्रयोग भी हो रहे हैं .
सांप हमारे मित्र भी हैं
सांपों की दुनिया बहुत ही रोमांचक और गोपनीय है . आज भी आम आदमी इन के नाम से खौफ खाता है . यूरोपियन कथाओं में भारत को सांपों का देश कहा जाता है. आइए जानते हैं सांपों के व्यवहार के बारे में ...
वैज्ञानिक तरीके से गेंहू की खेती
यह समय गेहूं की बोआई के लिए माकूल है . इन दिनों किसान अपने खेतों की तैयारी में जुटे हैं . पूरे राजस्थान में गेहूं की खेती की जाती है . यदि उन्नत विधि से खेती की जाए तो औसतन पैदावार 30 से 60 फीसदी तक बढ़ाई जा सकती है .
रबी फसल: खाद प्रबंधक और देखभाल
खाद्यान्न आपूर्ति में रबी फसलों का अच्छा खासा योगदान है , क्योंकि वे कुल सालाना खाद्यान्न मा 40 फीसदी योगदान करती हैं . उस में गेहूं व सरसों की खास भागीदारी होती है .
बड़े काम की खेती की मशीने
पशु ताकत का इस्तेमाल कामों में दिनोंदिन कम हो रहा है , जिस के चलते इंजन , ट्रैक्टर , पावर टिलर व मोटरों का इस्तेमाल बढ़ रहा है , लेकिन ऐसा कहना ठीक होगा कि देश में सभी पावर साधनों का इस्तेमाल होता रहेगा .
फसल को पाले से बचाएं
सर्दियों में पाले का असर पौधों पर सब से ज्यादा होता है . यही वजह है कि सर्दी में उगाई जाने वाली फसलों को आमतौर पर 80 फीसदी तक का नुकसान हो जाता है , इसलिए समय रहते फसलों का पाले से बचाव करना बेहद जरूरी हो जाता है .
दिसंबर महीने के जरूरी काम
अब तक उत्तर भारत में सर्दियां हद पर होती हैं . वहां के खेतों में गेहूं उगा दिए गए होते हैं . अगर गेहूं की बोआई किए हुए 20-25 दिन हो गए हैं , तो पहली सिंचाई कर दें . फसल के साथ उगे खरपतवारों को खत्म करें .
जंगल की आग पलाश
पलाश को हिंदी में ढाक , बंगाली में पलाश , मराठी में पलस , गुजराती में खाखरो , तेलुगु में मोदुगा , तमिल में परस , कन्नड़ में मुलुगा , मलयालम में पलास और वैज्ञानिक भाषा में ब्यटिया मोनोस्पर्मा कहते हैं .
इसबगोल की जैविक खेती
इसबगोल एक महत्वपूर्ण नकदी व औषधीय फसल है . इसबगोल को स्थानीय भाषा में घोड़ा जीरा भी कहते हैं .
हरे चारे की खेती
पशुओं के भोजन में हरे चारे की एक खास भूमिका होती है. यह दुधारू पशुओं के लिए फायदेमंद भी होता है. हरे चारे के रूप में किसान अनेक फसलों को इस्तेमाल करते हैं. लेकिन ऐसी होती हैं, जो फसलें कुछ लंबे समय तक नहीं चल पाती हैं. यहां कुछ खास फसलों के बारे में जानकारी दी गई है, जो सेहतमंद होने के साथसाथ लंबे समय तक हरा चारा मुहैया कराती हैं.
बिजली के इस्तेमाल में न बरतें लापरवाही
तारों में दौड़ती बिजली जहां रोशनी देती है, जिंदगी देती है, वहीं जरा सी लापरवाही बरतने से जिंदगी देने वाली बिजली जिंदगी लील कर घर की रोशनी को अंधेरे में बदल देती है
सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल से करें बोआई
सीड कम फर्टिलाइजर कृषि यंत्र से एक ही बार में खाद व बीज खेत में डाला जाता है. इस यंत्र के इस्तेमाल से खाद व बीज का सही इस्तेमाल होता है और भरपूर फसल पैदावार भी मिलती है.
शतावर खूबियों का खजाना
शतावर का पौधा 3-5 फुट ऊंचा होता है और यह लता के समान बढ़ता है. इस की शाखाएं पतली होती हैं. पत्तियां बारीक सूई के समान होती हैं, जो 1.0-2.5 सैंटीमीटर तक लंबी होती हैं.
मटर की अच्छी पैदावार और बीज का उत्पादन
मटर का स्थान शीतकालीन सब्जियों में प्रमुख है. इस का इस्तेमाल आमतौर पर हरी फली की सब्जी के तौर पर जाना जाता है, वहीं साबुत मटर और दाल के लिए भी किया जाता है. मटर की खेती सब्जी और दाल के लिए उगाई जाती है..
बदलते बिहार की कहानी
दशकों से बिहार की छवि देश में गरीब, भूखे और नंगों के राज्य के रूप में रही है, लेकिन अब बिहार ने न केवल लोगों की नजर में अपनी छवि सुधारी है, बल्कि यहां के लोग देशदुनिया के साथ कई बड़े पदों पर पहुंच कर अपने राज्य का झंडा बुलंद कर रहे हैं.
प्याज बिचैलियो के बीच पिसते किसान
अदना सा प्याज केवल काटने पर ही आंसू बहाने पर मजबूर नहीं करता है, खरीदने पर भी ग्राहकों के आंसू निकाल देता है. कई सरकारें प्याज के बढ़ते दामों की भेंट चढ़ चुकी हैं. केंद्र की मोदी सरकार के समय प्याज की कीमतों ने पुराने सभी रिकोर्ड तोड़ दिए हैं. देश में पहली बार प्याज की कीमत ने सैंचुरी लगाई और 150 रुपए प्रति किलोग्राम से भी ज्यादा हो गई थी.
नकदी फसल है गन्ना
नकदी फसलों में गन्ना प्रमुख फसल है. इस की खेती हर इलाके में की जाती है. यह चीनी का प्रमुख स्रोत है, क्योंकि दुनियाभर में 80 फीसदी चीनी गन्ने से ही बनती है. गन्ना उत्पादन में दुनियाभर में भारत का दूसरा स्थान है.
टमाटर की नई किस्म से दोगनी पैदावार
आमतौर पर सामान्य प्रजाति के टमाटरों का उत्पादन 400 से 600 क्विटल प्रति हेक्टेयर होता है, लेकिन अब टमाटर की खेती करने वाले किसानों के लिए कानपुर के चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने एक ऐसी नई किस्म तैयार की है, जिस से प्रति हेक्टेयर उत्पादकता 1,200 से 1,400 क्विटल तक ली जा सकती है. टमाटर की इस किस्म को नामधारी 4266 का नाम दिया गया है, जो अब किसानों के लिए उपलब्ध है.
जांचपरख कर लें कृषि यंत्र
अब खेती में बोआई से कटाई तक हर कदम पर मशीनें काम आती हैं. इन के इस्तेमाल से वक्त, पैसा और मेहनत बचती है, पैदावार व कमाई बढ़ती है.
जनवरी माह में खेती के खास काम
जनवरी माह में खेती के खास काम
गैरपरंपरागत नकदी फसलों की खेती
राजस्थान भारत का सब से बड़ा राज्य है और पिछड़े हुए राज्यों की कैटीगरी में आता है. यह राज्य भारत की उत्तरीपश्चिमी सीमा पर बसा है.
गन्ने की खेती से नवाचार
गन्ने की फसल एक वहुवर्षीय फसल है, जिस में किसान हर साल एक हेक्टेयर रकबे में एक लाख से ले कर डेढ़ लाख रुपए तक का मुनाफा कमा सकते हैं. गन्ना एक प्रमुख व्यावसायिक फसल है. विषम हालात में भी गन्ने की फसल को बहुत अधिक प्रभावित नहीं कर पाती. इन्हीं सब वजहों से गन्ने की खेती अपनेआप में सरक्षित व लाभ की खेती है.
खेती के लिए खास जीवाणु खाद
आज के समय में खेती की पैदावार बढ़ाने के लिए कैमिकल खादों और दवाओं का जम कर इस्तेमाल किया जाता है, जिस से दिनप्रतिदिन खेत की मिट्टी की सेहत खराब हो रही है और पर्यावरण को भी अच्छाखासा नुकसान पहुंच रहा है.
केले में कीट व रोगों की रोकथाम
आप ने पिछले अंक में पढ़ा था कि वैज्ञानिक तरीके की खेती कैसे से केले करें और केले की अच्छी उपज देने वाली खास किस्मों के बारे में विस्तार से बताया गया था. इस अंक में आप को केले की फसल में लगने वाले कीट व रोगों के बारे में जानकारी व उन की रोकथाम कैसे की जाए बताया जा रहा है.
केले के पौधों से रेशा उत्पादन
इनसानी जाति के लिए ग्लोबल वार्मिंग एक बड़ा खतरा है. ग्लोबल वार्मिंग के असर को रोकने के लिए इस के प्रभाव को बदलने की जरूरत है. यह बदलाव लाने के लिए सब से अच्छा तरीका कृषि अपशिष्ट के लिए नएनए तरीकों का इस्तेमाल करना या उन्हें ढूंढ़ना है.
कम खर्च में तैयार होती नाडेप खाद
आज देश के अनेक किसान खेती में जैविक तरीके अपना रहे हैं. जैविक खाद बनाने के अनेक तरीके हैं, जिन्हें हमारे देश में अपनाया जाता है.