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पूर्वांचल में ड्रैगनफ्रूट की खेती
9 वीं जमात तक की तालीम हासिल करने वाले गया प्रसाद ढाई एकड़ खेत में गेहूं, धान और सब्जियों के साथसाथ देशी गुलाब के फूल की खेती करते हैं, जो देवाशरीफ में नियमित रूप में देशी गुलाब सालभर 50 रुपए प्रति किलोग्राम की दर में घर से ही बिकता है. वे गुलाब जल भी बनाते हैं. सुगंधित गुलाब जल के लिए रानीसाहिबा और नूरजहां प्रजाति उपयुक्त हैं.
खेती में लाभकारी कृषि यंत्र
आज भी देश में कई जगहें ऐसी हैं, जहां पर खेती पारंपरिक तरीके से की जा रही है. इस वजह से ज्यादा मेहनत के साथसाथ समय भी ज्यादा ही लगता है और पैदावार उतनी नहीं मिलती जितनी मिलनी चाहिए. सरकार द्वारा भी कृषि यंत्रों की खरीद को आसान बनाने के लिए किसानों को अनुदान दिया जाता है.
खेती में फायदेमंद जैविक उर्वरक
हमारे यहां खेती में रासायनिक खादों के लगातार व अंधाधुंध इस्तेमाल से जमीन व वातावरण पर बुरा असर पड़ रहा है. मिट्टी की उपजाऊ ताकत घटती जा रही है. साथ ही, पोषक तत्त्वों की कमी को पूरा करने के लिए व रासायनिक खादों के बुरे असर को कम करने के लिए जैविक उर्वरकों के प्रयोग से इस प्रदूषण को काफी हद तक कम किया जा सकता है.
खीरे की करें उन्नत खेती
खीरे का वानस्पतिक नाम 'कुकुमिस स्टीव्स' है. खीरे का मूल स्थान भारत है. यह एक बेल की तरह लटकने वाला पौधा है, जिस का प्रयोग सारे भारत में गरमियों में सब्जी के रूप में किया जाता है. खीरे को कच्चा, सलाद या सब्जियों के रूप में प्रयोग किया जाता है.
ऐसे पहचानें विदेशी व संकर नस्ल की गायों को
अपने देश में अलगअलग नस्ल की गाय पाली जाती हैं. इन गायों के दूध देने की क्षमता भी काफी अधिक है, परंतु पशुपालकों को विदेशी व संकर नस्ल की गायों की पहचान करना काफी टेढ़ी खीर साबित होता है, इसलिए यह जानना जरूरी है कि पशुपालक इन की पहचान कैसे करें.
इलैक्ट्रिक बैटरी वाला पावर टिलर
कृषि यंत्र बनाने की दिशा में सुकून सोल्यूशन कंपनी कृषि के ऐसे अनेक इलैक्ट्रिक यंत्र बना रही है, जो प्रदूषणरहित हैं. इन का इलैक्ट्रिक ट्रैक्टर भी है, जो सुकून कंपनी की पहचान बन चुका है.
'जीरो बजार' संरक्षण का पाठ पठा रही एक महिला शिक्षक
देशी बीजों, फलोंफूलों और पौधों के संरक्षण की लगातार बातें की जा रही हैं. इस के लिए पैसा भी खर्च किया जा रहा है. इस का नतीजा क्या होगा, यह तो भविष्य में पता चलेगा, लेकिन मध्य प्रदेश के एक जिले की एक ऐसी महिला शिक्षक हैं, जो किताबी जानकारी के साथसाथ फलों के बीजों के संरक्षण का पाठ पढ़ा रही हैं. उन की इस मुहिम में किसी भी तरह का पैसा खर्च नहीं हो रहा है. अब तक 2 फलों के बीजों के संरक्षण का बेजोड़ काम किया है, जिस पर 2 सरकारी विभाग मदद भी कर रहे हैं.
सरकारी नौकरी छोड़ किसानी से कमाए लाखो
जैविक खेती की दौड़ में नौकरीपेशा भी कूद पड़े हैं. नए तौरतरीकों से इन किसानों ने न केवल खेती शुरू की, बल्कि आमदनी भी अच्छीखासी कर रहे हैं. यह एक ऐसे नौकरीपेशा किसान की कहानी है, जिस ने हिस्से में आए जमीन के छोटे से टुकड़े को ही अपनी आजीविका का साधन बना लिया.
रबी फसलों को पाले से बचाएं
आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कुमारगंज, अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र, बेलीपार, गोरखपुर के पादप सुरक्षा वैज्ञानिक डा. शैलेंद्र सिंह ने किसानों को सलाह देते हुए बताया कि दिसंबर से जनवरी माह में पाला पड़ने की संभावना अधिक होती है, जिस से फसलों को काफी नुकसान होता है.
ड्रिप सिस्टम लगाएं सरकारी अनुदान पाएं
ड्रिप से सिंचाई करने से प जहां उपज में बढ़ोतरी होती है, वहीं लागत में भी कमी आती है. केंद्र सरकार व राज्य सरकार द्वारा अनेक ऐसी योजनाएं आती रहती हैं, जो किसानों के लिए बड़ी ही फायदेमंद होती हैं.
सरसों की फसल में माहू कीट के प्रकोप को ऐसे करें काबू
अगर सरसों की फसल में माहू कीट में का प्रकोप हो जाता है, तो ऐसी स्थिति में सरसों के उत्पादन में तकरीबन 25 से 30 फीसदी तक की कमी हो सकती है.
नेटाफिम : सिंचाई की उन्नत तकनीक
अच्छी उपज लेने के लिए खेत में अच्छे खादबीज के साथसाथ सही समय पर सही सिंचाई का होना भी बहुत जरूरी है. कई फसलों को ज्यादा पानी की दरकार होती है, तो कई फसलें ऐसी हैं, जो कम पानी में भरपूर उपज देती हैं.
पशुपालकों के लिए पशुधन किसान क्रेडिट कार्ड योजना
यह योजना पशुपालकों की आमदनी को ध्यान में रख कर बनाई गई है. योजना के तहत पशुपालक को ऋण यानी कर्ज का केवल 4 फीसदी के हिसाब से भुगतान करना होगा, वहीं ऋण का समय पर भगुतान करने पर 3 फीसदी ब्याज दर का अनुदान भी मिलेगा. पशुधन किसान क्रेडिट कार्ड योजना का लाभ उठाने के लिए पशुपालकों को बढ़ावा भी दिया जा रहा है.
जाडे की अति वर्षा से खेती को हुए नुकसान और उस की भरपाई
रबी की खेती किसानों के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण होती है. इसी से उस के सारे काम व विकास निर्धारित होते हैं. इन दिनों अच्छीखासी ठंड होती है और अगर बारिश हो जाए तो कहीं तो ये फायदेमंद होती है, लेकिन कई दफा ओला गिरने आदि से फसल को बहुत ज्यादा नुकसान होता है. किसानों की मेहनत और कीमत दोनों ही जाया हो जाती हैं.
कीट व रोग से करें सरसों फसल की सुरक्षा सुरक्षा
आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कुमारगंज, अयोध्या के सेवानिवृत्त प्राध्यापक (कीट विज्ञान) व अध्यक्ष डा. रवि प्रकाश मौर्य ने सरसों की खेती करने वाले किसानों को सलाह दी है कि इस समय सरसों में माहू यानी चंपा कीट मुख्य रूप से लगने का ज्यादा डर रहता है, इसलिए उन्हें उस की रोकथाम पर ध्यान देना जरूरी है.
औटोनोमस ट्रैक्टर दुनिया का ऐसा पहला ट्रैक्टर, जो खुद ही चलेगा
जॉन डियर कंपनी ने हाल ही में विदेश में अपना खुद चलने वाला औटोनोमस ट्रैक्टर प्रदर्शित किया है.
हरित क्रांति (श्वेत क्रांति) बनाम गुलाबी क्रांति
यदि हम आजादी के बाद कृषि इतिहास की ओर नजर घुमाएं तो इस हकीकत को मानना पड़ेगा कि नेहरू युग के अंतिम साल में खाद्यान्न को ले कर देश में संकट इसलिए बढ़ा, क्योंकि केंद्र की पंचवर्षीय योजनाओं में कृषि पर कोई खास ध्यान नहीं दिया गया था. इस वजह से राज्यों में दंगे शुरू हो गए थे. अमेरिकी नीति 'फूड एंड पीस' के हिस्से के तौर पर उस समय भारत में पीएल 480 अनाज का सहारा लिया गया था.
मिट्टीपानी की जांच कराएं कम लागत में अधिक मुनाफा पाएं
समयसमय पर किसानों को अपने खेत की मिट्टी की जांच जरूर करानी चाहिए, ताकि मिट्टी जांच से मिलने वाले नमूने के आधार पर अपनी खेती में जरूरी खाद, उर्वरक, बीज आदि की मात्रा तय कर सकें. ऐसा करने से किसानों को अपने खेत में अंधाधुंध खाद, उर्वरक देने से नजात तो मिलेगी ही, बल्कि खेत की मिट्टी को सही पोषक तत्त्व सही मात्रा में मिल सकेंगे.
फार्म एन फूड अवार्ड ने किसानों का बढ़ाया हौसला
फार्म एन फूड पत्रिका देश के किसानों को न केवल खेतीकिसानी से जुड़ी जानकारी मुहैया कराती है, बल्कि आम बोलचाल की भाषा में यह पत्रिका खेतीबारी की नई तकनीकी, बागबानी, पशुपालन, कुक्कुटपालन, मत्स्यपालन, डेरी व डेरी उत्पाद, फूड प्रोसैसिंग, खेती वगैरह से जुड़ी मशीनों सहित खेत से बाजार सहित ग्रामीण विकास और किसानों की सफलता की कहानियों और अनुभवों को अन्नदाता किसानों तक अपने लेखों और समाचारों के जरीए पहुंचाने का काम करती रही है. यही वजह है कि इस पत्रिका का प्रसार देश में तेजी से बढ़ रहा है और खेती में रुचि रखने वाले पाठकों की तादाद में भी तेजी से इजाफा हो रहा है.
प्याज व लहसुन में पौध
हमारे यहां प्याज व लहसुन कंद समूह की मुख्य रूप से 2 ऐसी फसलें हैं, जिन का सब्जियों के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण स्थान है. देश में इन की खपत काफी है और विदेशी पैसा हासिल करने में इन का बहुत बड़ा योगदान है.
पौधशाला में एकीकृत जीवनाशी प्रबंधन
सही समय पर किसान खेत की जुताई कर के उस में गोबर, कंपोस्ट व बालू मिला कर अच्छी तरह तैयार कर लें. पौधशाला की क्यारी बनाते समय यह भी ध्यान रखें कि वह जमीन से 6-8 सैंटीमीटर उठी हुई हो और चौड़ाई 80-100 सैंटीमीटर ही रखें.
पोटैटो डिगर से आलू की खुदाई
हमारे देश के कई हिस्सों में आलू की खुदाई शुरू हो चुकी है. लेकिन इस बार भी आलू की बंपर पैदावार के चलते किसानों को आलू की सही कीमत नहीं मिल पा रही है. यही वजह है कि कुछ किसानों ने तो कुछ दिनों के लिए अपने खेत से आलू की खुदाई रोक दी है. उन्हें इंतजार है कि आलू का बाजार भाव कुछ ठीक हो तो खुदाई करें.
पशुओं में थनैला रोग और उस की रोकथाम
दुधारू पशुओं में अकसर थनैला रोग हो जाता है. इस वजह से किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है. समय पर उचित उपाय अपना कर इस रोग से छुटकारा पाया जा सकता है. पशु डाक्टर की देखरेख में ही उपचार करेंगे, तो आप का पशु भी सेहतमंद रहेगा.
जनवरी माह के खास काम
नए साल का जनवरी महीना खेतीकिसानी के लिहाज से अहम
मछलीपालन से स्वरोजगार का अच्छा मौका
उदयपुर : महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के संगठक मात्स्यकी महाविद्यालय में पिछले दिनों 25 नवंबर, 2021 को मीठे पानी की पालने योग्य मछलियां व पालन पद्धति पर 3 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित हुआ.
बकरियों में पीपीआर बीमारी के लक्षण व बचाव
बकरियां बीमार पड़ने पर खानापीना छोड़ देती हैं और आंख बंद कर किसी कोने में खड़ी हो कर हांफती नजर आती हैं.
अदरक बने रहें गुण, बनाएं बहुतकुछ
मसालों के साथसाथ अदरक को दवा के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है. पहले किसान फसल को बाजार की मांग के मुताबिक बेचते थे और बाकी बचे अदरक की ओर ध्यान न दे कर उसे किसी इस्तेमाल में न ला कर उसे यों ही फेंक देते थे. जब किसान ताजा अदरक मंडी में भेजता है, तो उसे अपने उत्पाद के पूरे दाम नहीं मिल पाते थे, इसलिए इस अरदक के ऐसे व्यावसायिक पदार्थ बनाए जाएं तो फसल से ज्यादा से ज्यादा मुनाफा उठाया जा सकता है. अदरक का इस्तेमाल अचार, चटनी और उद्योगों में भी किया जा सकता है.
रास नहीं आई शहर की जिंदगी खेती को बनाया रोजगार का साधन
हाल के दशक में युवाओं का खेती में रुझान तेजी से बढ़ा है, इसलिए तमाम बड़ी डिगरियों वाले भारीभरकम तनख्वाह को छोड़ खेती की तरफ रुख मोड़ रहे हैं, जिस से ऐसे लोग नौकरियों से कई गुना ज्यादा खेती से आमदनी ले रहे हैं.
नीम पौध रोपण से किसानों की आमदनी बढ़ाने और पर्यावरण बचाने की कोशिश
मिट्टी और पर्यावरण के सुधार में नीम बहुत ही अधिक माने रखता है. हाल के सालों में नीम के पेड़ के महत्त्व को देखते हुए सरकारों और समुदाय दोनों में जागरूकता आई है. यही वजह है कि नीम के पौधे रोपने पर अब जोर दिया जाने लगा है.
क्या लाभकारी है काले गेहूं की खेती?
अब तक के इतिहास में काले गेहूं की किसी भी किस्म को भारत सरकार ने अधिसूचित नहीं किया है और न ही सरकारी संस्थानों व मान्यताप्राप्त संस्थानों के द्वारा इस का बीज बेचा जा रहा है, इसलिए किसानों को सतर्क रहने की जरूरत है कि वह जब तक सरकार द्वारा अनुमोदित बीज उपलब्ध न कराया जाए, तब तक ऐसे बीजों और भ्रामक प्रचार से बचा जाना चाहिए.