चित्रा ने बिल्ली के बच्चों की तरफ हाथ लहराया जब वह अंदर जाने के लिए मुड़ी. उस की मां उसे ऐसा करते देख कर मुसकराईं और सोचने लगीं, 'यह काल्पनिक दोस्तों के साथ उस का एक खेल होना चाहिए.'
वह चिंतित थीं कि चित्रा सिर्फ एक ही शब्द बोल पाती थी, हालांकि वह 4 साल की थी. डाक्टर ने कहा था, “चिंता करने की कोई बात नहीं है. बहुत से बच्चे देर से बोलना सीखते हैं."
चित्रा खुद पर ही हंसने लगी. उस ने किसी को भी नहीं बताया था कि वह जानवरों, पक्षियों और पेड़पौधों की भाषा को समझ सकती है.
पार्क में कालीन की तरह बिछी हरीहरी मुलायम घास जगहजगह पर मिट्टी को थामे रखने में व्यस्त थी. गरमियों में शाम के समय जब वह इस पर लुढ़कती तो वे उस के कान में फुसफुसती थीं. सफेद, नारंगी, गुलाबी आडू और मौवे रंग के पौधे शाम की ठंडी हवा में उस के साथ खिलखिलाया करते थे. उन्होंने हवा को मीठी और फलों की रसदार खुशबू से भर दिया था.
“सावधान हो जाओ,” नीम के पेड़ ने कहा, जब वह अपने खुरदरे तने पर चढ़ने लगी थी. "उस के बजाय जामुन के पेड़ों पर चढ़ने के बारे में तुम्हारा क्या कहना है?”
“उस के फल तो मेरी निबौरियों से ज्यादा रसीले होते हैं,” उस ने ऐसा कहा, ताकि वे उस की सुरक्षा के लिए उस के बजाय खुद जिम्मेदार होंगे.
‘पेड़ तो दोस्त होते हैं,' चित्रा ने सोचा. जामुन के पेड़ ने डींगें हांकी कि उस के फलों को अन्य भारतीय फलों के साथ निर्यात किया जाता है.
Bu hikaye Champak - Hindi dergisinin July Second 2022 sayısından alınmıştır.
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रिटर्न गिफ्ट
\"डिंगो, बहुत दिन से हम ने कोई अच्छी पार्टी नहीं की है. कुछ करो दोस्त,\" गोल्डी लकड़बग्घा बोला.
चांद पर जाना
होशियारपुर के जंगल में डब्बू नाम का एक शरारती भालू रहता था. वह कभीकभी शहर आता था, जहां वह चाय की दुकान पर टीवी पर समाचार या रेस्तरां में देशदुनिया के बारे में बातचीत सुनता था. इस तरह वह अधिक जान कर और होशियार हो गया. वह स्वादिष्ठ भोजन का स्वाद भी लेता था, क्योंकि बच्चे उसे देख कर खुश होते थे और अपनी थाली से उसे खाना देते थे. डब्बू उन के बीच बैठता और उन के मासूम, क 'चतुर विचारों को अपना लेता.
चाय और छिपकली
पार्थ के पापा को चाय बहुत पसंद थी और वे दिन भर कई कप चाय पीने का मजा लेते थे. पार्थ की मां चाय नहीं पीती थीं. जब भी उस के पापा चाय पीते थे, उन के चेहरे पर अलग खुशी दिखाई देती थी.
शेरा ने बुरी आदत छोड़ी
दिसंबर का महीना था और चंदनवन में ठंड का मौसम था. प्रधानमंत्री शेरा ने देखा कि उन की आलीशान मखमली रजाई गीले तहखाने में रखे जाने के कारण उस पर फफूंद जम गई है. उन्होंने अपने सहायक बेनी भालू को बुलाया और कहा, \"इस रजाई को धूप में डाल दो. उस के बाद, तुम में उसके इसे अपने पास रख सकते हो. मैं ने जंबू जिराफ को अपने लिए एक नई रजाई डिजाइन करने के लिए बुलाया है. उस की रजाइयों की बहुत डिमांड है.\"
मानस और बिल्ली का बच्चा
अर्धवार्षिक परीक्षाएं समाप्त होने के बाद मानस को घर पर बोरियत होने लगी. उस ने जिद की कि उसे अपने साथ रहने के लिए कोई पालतू जानवर चाहिए, जो उस का साथ दे.
पहाड़ी पर भूत
चंपकवन में उस साल बहुत बारिश हुई थी. चीकू खरगोश और जंपी बंदर का घर भी बाढ़ के कारण बह गया था.
जो ढूंढ़े वही पाए
अपनी ठंडी, फूस वाली झोंपड़ी से राजी बाहर आई. उस के छोटे, नन्हे पैरों को खुरदरी, धूप से तपती जमीन झुलसा रही थी. उस ने सूरज की ओर देखा, वह अभी आसमान में बहुत ऊपर नहीं था. उस की स्थिति को देखते हुए राजी अनुमान लगाया कि लगभग 10 बज रहे होंगे.
एक कुत्ता जिस का नाम डौट था
डौट की तरह दिखने वाले कुत्ते चैन्नई की सड़कों पर बहुत अधिक पाए जाते हैं. दीया कभी नहीं समझ पाई कि आखिर क्यों उस जैसे एक खास कुत्ते ने जो किसी भी अन्य सफेद और भूरे कुत्ते की तरह हीथा, उस के दिल के तारों को छू लिया था.
स्कूल का संविधान
10 वर्षीय मयंक ने खाने के लिए अपना टिफिन खोला ही था कि उस के खाने की खुशबू पूरी क्लास में फैल गई.
तरुण की कहानी
\"कहानियां ताजी हवा के झोंके की तरह होनी चाहिए, ताकि वे हमारी आत्मा को शक्ति दें,” तरुण की दादी ने उस से कहा.