जब आरूही स्कूल से घर लौटी तो उस का चेहरा उत्साह से चमक रहा था. पापा ने उसे खुद ही मुसकराते और गाना गुनगुनाते हुए देखा. वह फ्रेश हो गई थी.
"मुझे हैरानी हो रही है कि वह आज इतनी खुश क्यों हो रही है," उन्होंने सोचा. इन दिनों वह कुछ ज्यादा ही उदास हो रही थी, उसे अचानक घर बदलना पड़ा.
“क्या तुम ने स्कूल में नए दोस्त बना लिए हैं, प्यारी बिटिया?” पापा ने उस की प्लेट में एक चम्मच चावल सर्व करते हुए पूछा. "देखो, मैं ने तुम्हें बताया था कि यह काफी समय पहले की बात है."
मां के ट्रांसफर के कारण उन्हें इस शहर में सिर्फ एक सप्ताह ही बीता था. आरूही ने यहां आने से इनकार किया था, “मैं यहां नहीं रहना चाहती. मैं यहां किसी को नहीं जानती. इस जगह से मैं घृणा करती मैं हूं,” वह रोने लगी थी, लेकिन यह सब बेकार हो गया था.
उस ने तो अपने नए स्कूल में भी जाने से इनकार कर दिया था. "मैं पहले की तरह घर में ही रह कर पढ़ क्यों नहीं सकती?” उस ने अपनी मांग रख दी थी.
उसे पहले दिन स्कूल जाने के लिए राजी करने में पापा और आयता (दादीमां) को बहुत मशक्कत करनी पड़ी थी. जैसा कि आरूही हमेशा अपनी मां का कहना मानती थी, ऐसे में अगर मां वहां होतीं तो काफी अच्छा होता, लेकिन उन्हें बहुत जल्दी औफिस जाना पड़ता था.
अब दादीमां ने डायनिंग टेबल पर आरूही से पूछा, “तुम कहां खो गई हो? क्या तुम हमें यह नहीं बताना चाहोगी कि आज स्कूल में ऐसा क्या खास हुआ था?”
“दादीमां, टीचर्स डे आने वाला है, क्या आप जानती हो,” आरूही ने उन के कान में दमकते, चहकते हुए जोर से कहा. “और अंदाजा लगाओ दादीमां, क्या ? समारोह में भागीदारी होने से सभी छात्र स्कू में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं, मैं भी इस में भाग लेने के बारे में सोच रही हूं.”
Bu hikaye Champak - Hindi dergisinin September First 2022 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Giriş Yap
Bu hikaye Champak - Hindi dergisinin September First 2022 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Giriş Yap
जो ढूंढ़े वही पाए
अपनी ठंडी, फूस वाली झोंपड़ी से राजी बाहर आई. उस के छोटे, नन्हे पैरों को खुरदरी, धूप से तपती जमीन झुलसा रही थी. उस ने सूरज की ओर देखा, वह अभी आसमान में बहुत ऊपर नहीं था. उस की स्थिति को देखते हुए राजी अनुमान लगाया कि लगभग 10 बज रहे होंगे.
एक कुत्ता जिस का नाम डौट था
डौट की तरह दिखने वाले कुत्ते चैन्नई की सड़कों पर बहुत अधिक पाए जाते हैं. दीया कभी नहीं समझ पाई कि आखिर क्यों उस जैसे एक खास कुत्ते ने जो किसी भी अन्य सफेद और भूरे कुत्ते की तरह हीथा, उस के दिल के तारों को छू लिया था.
स्कूल का संविधान
10 वर्षीय मयंक ने खाने के लिए अपना टिफिन खोला ही था कि उस के खाने की खुशबू पूरी क्लास में फैल गई.
तरुण की कहानी
\"कहानियां ताजी हवा के झोंके की तरह होनी चाहिए, ताकि वे हमारी आत्मा को शक्ति दें,” तरुण की दादी ने उस से कहा.
फौक्सी को सबक
एक समय की बात है, एक घने, हरेभरे जंगल में जिंदगी की चहलपहल गूंज रही थी, वहां फौक्सी नाम का एक लोमड़ रहता था. फौक्सी को उस के तेज दिमाग और आकर्षण के लिए जाना जाता था, फिर भी वह अकसर अपने कारनामों को बढ़ाचढ़ा कर पेश करता था. उस के सब से अच्छे दोस्त सैंडी गौरैया, रोजी खरगोश और टिम्मी कछुआ थे.
बच्चे देश का भविष्य
भारत की आजादी के कुछ साल बाद देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, जिन्हें प्यार से 'चाचा नेहरू' के नाम से भी जाना जाता है, वे एक कार्यक्रम में छोटे से गांव में आए. नेहरूजी के आने की खबर गांव में फैल गई और हर कोई उन के स्वागत के लिए उत्सुक था. खास कर बच्चे काफी उत्साहित थे कि उन के प्यारे चाचा नेहरू उन से मिलने आ रहे हैं.
पोपी और करण की मास्टरशेफ मम्मी
“इस बार आप बार आप ने क्या बनाया हैं, मम्मी?\"
अद्भुत दीवाली
जब छोटा मैडी बंदर स्कूल से घर आया तो वह हताश था. उसकी मां लता समझ नहीं पा रही थी कि उसे क्या हो गया है? सुबह जब वह खुशीखुशी स्कूल के लिए निकला था तो बोला, “मम्मी, शाम को हम खरीदारी करने के लिए शहर चलेंगे.\"
डिक्शनरी
बहुत से विद्वानों ने अलगअलग समय पर विभिन्न भाषाओं में डिक्शनरी बनाने का प्रयत्न किया, जिस से सभी को शब्दों के अर्थ खोजने में सुविधा हो. 1604 में रौबर्ट कौड्रे ने कड़ी मेहनत कर के अंग्रेजी भाषा के 3 हजार शब्दों का उन के अर्थ सहित संग्रह किया.
सिल्वर लेक की यादगार दीवाली
\"पटाखों के बिना दीवाली नहीं होती है,” ऋषभ ने नाराज हो कर कहा.