सौरभ एक हंसमुख लड़का था. वह छठी क्लास में पढ़ता था. उसे किताबें पढ़ना पसंद था, खास कर कहानी की किताबें, लेकिन टैक्स्टबुक यानी अपने सब्जेक्ट की पुस्तकें पढ़ना पसंद नहीं था, क्योंकि ये पुस्तकें उसे उबाऊ लगती थी.
खैर, जो भी हो, उस की परीक्षा निकट आती जा रही थी, इसलिए अब उसे अपनी पाठ्यपुस्तकों पर ज्यादा ध्यान देना पड़ रहा था. उस ने और उस के दोस्तों ने एकदूसरे की सहायता के लिए ग्रुपस्टडी की योजना बनाई.
उस ने अपनी मैथ्स की पुस्तक खोली और कुछ प्रश्नों को हल करना शुरू किया.
“मैं सिर्फ एक प्रश्न हल कर सकता हूं,” सौरभ दुख प्रकट करते हुए बोला.
“सारे के सारे प्रश्न तो बहुत ही कठिन हैं," विपुल चिल्लाया.
“मैं समझता हूं, मैथ्स में मुझे अधिक प्रैक्टिस की जरूरत है. मेरी विश्लेषणात्मक और तर्कशक्ति बहुत कमजोर है,” सौरभ ने कराहते हुए कहा.
मीता ने उन के उदास चेहरे को देखा और उन पर मुसकराई.
“सब से पहले निराश मत हो. प्रश्नों को हल कर के मुझे तुम अपनी मदद करने दो,” मीता ने कहा.
एक घंटे तक लगातार प्रैक्टिस करने के बाद सौरभ कुछ प्रश्नों को हल करने में समर्थ हो पाया और उस ने अंत में थोड़ा आराम किया.
अगले दिन वह सामाजिक विज्ञान पढ़ने लगा, लेकिन शब्द उस के सिर के ऊपर से निकल गए. वह अपनी बहन लाला के पास गया.
“सामाजिक विज्ञान की पढ़ाई में क्या तुम मुझे कुछ टिप्स दे सकती हो ?” उस ने पूछा.
“रिविजन के लिए महत्त्वपूर्ण टौपिक्स के तुम नोट्स बना सकते हो. तुम याद करने के लिए ऐतिहासिक तिथियों और घटनाओं के भी नोट्स बना सकते हो यानी इन को लिख सकते हो," उस ने ने सुझाव दिया.
"मैं कुछ चैप्टर में तुम्हारी सहायता कर सकती हूं, लेकिन मुझे भी तुम्हारी मदद की जरूरत है. तुम क्या कहना चाहोगे?” लीला ने पूछा.
“इस अध्याय को समझने के लिए कुछ भी कह सकती हो,” उस ने कहा.
“मुझे अपनी पढ़ाई के लिए एक रेफरेंस बुक यानी सहायक किताब की जरूरत है, कृपया क्या तुम मेरे लिए इसे लाइब्रेरी से ला सकते हो ?” उस ने पूछा.
“जरूर, मैं ला दूंगा,” सौरभ ने वादा किया.
Bu hikaye Champak - Hindi dergisinin February Second 2023 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Giriş Yap
Bu hikaye Champak - Hindi dergisinin February Second 2023 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Giriş Yap
जो ढूंढ़े वही पाए
अपनी ठंडी, फूस वाली झोंपड़ी से राजी बाहर आई. उस के छोटे, नन्हे पैरों को खुरदरी, धूप से तपती जमीन झुलसा रही थी. उस ने सूरज की ओर देखा, वह अभी आसमान में बहुत ऊपर नहीं था. उस की स्थिति को देखते हुए राजी अनुमान लगाया कि लगभग 10 बज रहे होंगे.
एक कुत्ता जिस का नाम डौट था
डौट की तरह दिखने वाले कुत्ते चैन्नई की सड़कों पर बहुत अधिक पाए जाते हैं. दीया कभी नहीं समझ पाई कि आखिर क्यों उस जैसे एक खास कुत्ते ने जो किसी भी अन्य सफेद और भूरे कुत्ते की तरह हीथा, उस के दिल के तारों को छू लिया था.
स्कूल का संविधान
10 वर्षीय मयंक ने खाने के लिए अपना टिफिन खोला ही था कि उस के खाने की खुशबू पूरी क्लास में फैल गई.
तरुण की कहानी
\"कहानियां ताजी हवा के झोंके की तरह होनी चाहिए, ताकि वे हमारी आत्मा को शक्ति दें,” तरुण की दादी ने उस से कहा.
फौक्सी को सबक
एक समय की बात है, एक घने, हरेभरे जंगल में जिंदगी की चहलपहल गूंज रही थी, वहां फौक्सी नाम का एक लोमड़ रहता था. फौक्सी को उस के तेज दिमाग और आकर्षण के लिए जाना जाता था, फिर भी वह अकसर अपने कारनामों को बढ़ाचढ़ा कर पेश करता था. उस के सब से अच्छे दोस्त सैंडी गौरैया, रोजी खरगोश और टिम्मी कछुआ थे.
बच्चे देश का भविष्य
भारत की आजादी के कुछ साल बाद देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, जिन्हें प्यार से 'चाचा नेहरू' के नाम से भी जाना जाता है, वे एक कार्यक्रम में छोटे से गांव में आए. नेहरूजी के आने की खबर गांव में फैल गई और हर कोई उन के स्वागत के लिए उत्सुक था. खास कर बच्चे काफी उत्साहित थे कि उन के प्यारे चाचा नेहरू उन से मिलने आ रहे हैं.
पोपी और करण की मास्टरशेफ मम्मी
“इस बार आप बार आप ने क्या बनाया हैं, मम्मी?\"
अद्भुत दीवाली
जब छोटा मैडी बंदर स्कूल से घर आया तो वह हताश था. उसकी मां लता समझ नहीं पा रही थी कि उसे क्या हो गया है? सुबह जब वह खुशीखुशी स्कूल के लिए निकला था तो बोला, “मम्मी, शाम को हम खरीदारी करने के लिए शहर चलेंगे.\"
डिक्शनरी
बहुत से विद्वानों ने अलगअलग समय पर विभिन्न भाषाओं में डिक्शनरी बनाने का प्रयत्न किया, जिस से सभी को शब्दों के अर्थ खोजने में सुविधा हो. 1604 में रौबर्ट कौड्रे ने कड़ी मेहनत कर के अंग्रेजी भाषा के 3 हजार शब्दों का उन के अर्थ सहित संग्रह किया.
सिल्वर लेक की यादगार दीवाली
\"पटाखों के बिना दीवाली नहीं होती है,” ऋषभ ने नाराज हो कर कहा.